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ब्लैक फंगस को लेकर रहें सावधान, इन राज्यों ने घोषित किया महामारी - ब्लैक फंगस के बचाव

देश के लगभग पांच राज्यों ने महामारी अधिनियम के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया. यह बीमारी कोरोना से उबरे और जिनका शुगर स्तर ज्यादा है, उन्हें अपनी चपेट में ले रही है. एम्स के अनुसार अनियंत्रित मधुमेह, मधुमेह कीटोएसिडोसिस, स्टेरॉयड पर मधुमेह रोगियों या टोसीलिज़ुमैब के रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस होने का जोखिम अधिक है.

ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस
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Published : May 21, 2021, 8:41 PM IST

Updated : May 23, 2021, 6:07 PM IST

हैदराबाद : कोरोना महामारी के बीच भयंकर बीमारी म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) यानि ब्लैक फंगस (Black Fungus) ने भी जन्म ले लिया है. लोगों में ब्लैक फंगस का खौफ है, क्योंकि यह बीमारी कोरोना से उबरे और जिनका शुगर स्तर ज्यादा है, उन्हें अपनी चपेट में ले रही है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने का आग्रह किया है.

पांच राज्यों ने महामारी अधिनियम के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया. ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने वाले राज्यों में हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं.

ये भी पढ़ें : बच्चे में ब्लैक फंगस संक्रमण का पहला मामला गुजरात में मिला

राज्यों में ब्लैक फंगस के आंकड़े

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस की वजह से सबसे ज्यादा 90 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बाद मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस से मरने वालो का आंकड़ा 27 है.

राज्यों में ब्लैक फंगस के कंफर्म केस

महाराष्ट्र (1500), मध्य प्रदेश (281), हरियाणा (190), राजस्थान (100), कर्नाटक (97), छत्तीसगढ़ (90), दिल्ली (80), तेलंगाना (80), उत्तर प्रदेश (50), उत्तराखंड (38), बिहार (30), केरल (15), तमिलनाडु (9), आंध्र प्रदेश (9) ,ओडिशा (5) पंजाब (5) और गुजरात में ब्लैक फंगस का पहला मामला मिला हैं.

आइए जानते हैं ब्लैक फंगस के बारे में ये जरूरी बातें....

कारण और किन शारीरिक अंगों को करता है प्रभावित

म्यूकोर्मिकोसिस वातावरण में रहते हैं और अपना असर छोड़ते हैं. यह शरीर के उन अंगों को प्रभावित करता है, जहां से यह शरीर में प्रवेश करता है, जैसे नाक, साइनस और फैफड़े. घाव या त्वचा से प्रवेश करने पर यह कम संक्रमण का कारण बनता है, लेकिन साइनस के जरिए शरीर में प्रवेश करने पर यह आंखों और मस्तिष्क पर सीधा अटैक करता है.

ब्लैक फंगस के लक्षण

चेहरे की विकृति, सिरदर्द, त्वचा में दर्द, नाक बंद, आंखों की रोशनी जाना और दर्द होना, मानसिक स्थिति बिगड़ना और भ्रम पैदा होना, गाल और आंखों में सूजन, दांत दर्द, दांतों में ढीलापन और नाक में काली पपड़ी जमना आदि इसके लक्षण हैं.

कैसे करें इसकी रोकथाम

ब्लैक फंगस से बचने का सबसे प्रभावी उपाय यह है कि घर से बाहर निकलते वक्त फेस मास्क जरूर पहनें, विशेष रूप से बाग-बगीचों और धूल भरे क्षेत्रों में या जहां सड़ा हुआ कचरा और भोजन आदि हो. दूसरा यह कि पूरे शरीर को कपड़ों से ढककर रखें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बीमारी से बचने के लिए मधुमेह और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए शुगर के स्तर और रक्त शर्करा को नियंत्रित करना आवश्यक है. वहीं, जिन लोगों को डॉक्टर ने स्टेरॉयड लेने को कहा है, उनकी निगरानी होनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर स्टेरॉयड की खुराक को कम करना चाहिए.

क्या है इसका इलाज

म्यूकोर्मिकोसिस एक गंभीर संक्रमण है और ओरल-एंटी-फंगल दवाओं के बाद इसका इलाज अंत:शिरा एंटी-फंगल दवा का उपयोग करके किया जा सकता है. बता दें, अधिक गंभीर मामलों में इसमें सर्जरी की जरूरत पड़ती है. इसके लिए एम्स ने ब्लैक फंगस के मामलों का पता लगाने और देखभाल के लिए नए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.

किन मरीजों को है अधिक जोखिम

एम्स के अनुसार अनियंत्रित मधुमेह, मधुमेह कीटोएसिडोसिस, स्टेरॉयड पर मधुमेह रोगियों या टोसीलिज़ुमैब के रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस होने का जोखिम अधिक है.

इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर रोधी उपचार, पुरानी बीमारी के रोगियों को भी ब्लैक फंगस का जोखिम ज्यादा है.

स्टेरॉयड की ज्यादा खुराक लेने वाले मरीज या लंबे समय से स्टेरॉयड और टोसीलिज़ुमैब की खुराक लेने वाले मरीजों के लिए ब्लैक फंगस का खतरा अधिक है.

जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हैं और जो वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

एम्स ने डॉक्टरों और विशेष रूप से नेत्र रोग विशेषज्ञों को सलाह दी है कि वे ब्लैक फंगस संक्रमण के जोखिम वाले रोगियों को छुट्टी के बाद भी नियमित जांच करने की सलाह दें.

ये भी पढ़ें : भविष्य में आम सर्दी की तरह हो सकता है कोरोना : अध्ययन

ब्लैक फंगस संक्रमण का पता कैसे लगाएं

कोरोना से उबरे मरीजों में ब्लैक फंगस के इन खतरे के संकेतों को ध्यान देना चाहिए.

नाक से काल स्राव या पपड़ी और खून बहना, नाक बंद होना, सिर और आंखों में दर्द, आंखों के चारों ओर सूजन, दोहरी दृष्टि, आंखों का लाल होना, आंखोंं की रोशनी कम होना, आंख खोलने में तकलीफ होना, त्वचा का सुन्न होना, चबाने और मुंह खोलने में कठिनाई होना.

नियमित रूप से खुद परखें

ब्लैक फंगस की पहचाने करने के लिए लोग खुद निम्नलिखित संकेत दिखने पर सतर्क हो जाएं और कुछ बातों पर गौर करें. जैसे, उजाले में पूरे चेहरे की अच्छे से जांच करें. यह देखें कि त्वचा में विशेष रूप से नाक, गाल और आंख के चारों ओर सूजन तो नहीं है और यह परखें कि दिखाई देने में समस्या, त्वचा का सख्त होना और छूने पर दर्ज जैसी शिकायत तो नहीं है. साथ ही दांतों का ढीला होना, मुंह के अंदर, तालू और नाक में सूजन की जांच करें.

क्या करें

उपरोक्त लक्षण दिखने पर तुरंत नाक, काल और गला (ENT) डॉक्टर और नेत्र-विशेषज्ञ से संपर्क करें.

नियमित उपचार का अनुसरण करें और मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा पर सख्त नियंत्रण और निगरानी रखें.

नियमित दवाएं लें. खुद से स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक्स और एंटिफंगल दवाओं का सेवन न करें.

जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर पैरानसल साइनस और ऑर्बिट की बजाय एमआरआई और सीटी स्कैन कराएं.

हैदराबाद : कोरोना महामारी के बीच भयंकर बीमारी म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) यानि ब्लैक फंगस (Black Fungus) ने भी जन्म ले लिया है. लोगों में ब्लैक फंगस का खौफ है, क्योंकि यह बीमारी कोरोना से उबरे और जिनका शुगर स्तर ज्यादा है, उन्हें अपनी चपेट में ले रही है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने का आग्रह किया है.

पांच राज्यों ने महामारी अधिनियम के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया. ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने वाले राज्यों में हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं.

ये भी पढ़ें : बच्चे में ब्लैक फंगस संक्रमण का पहला मामला गुजरात में मिला

राज्यों में ब्लैक फंगस के आंकड़े

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस की वजह से सबसे ज्यादा 90 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बाद मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस से मरने वालो का आंकड़ा 27 है.

राज्यों में ब्लैक फंगस के कंफर्म केस

महाराष्ट्र (1500), मध्य प्रदेश (281), हरियाणा (190), राजस्थान (100), कर्नाटक (97), छत्तीसगढ़ (90), दिल्ली (80), तेलंगाना (80), उत्तर प्रदेश (50), उत्तराखंड (38), बिहार (30), केरल (15), तमिलनाडु (9), आंध्र प्रदेश (9) ,ओडिशा (5) पंजाब (5) और गुजरात में ब्लैक फंगस का पहला मामला मिला हैं.

आइए जानते हैं ब्लैक फंगस के बारे में ये जरूरी बातें....

कारण और किन शारीरिक अंगों को करता है प्रभावित

म्यूकोर्मिकोसिस वातावरण में रहते हैं और अपना असर छोड़ते हैं. यह शरीर के उन अंगों को प्रभावित करता है, जहां से यह शरीर में प्रवेश करता है, जैसे नाक, साइनस और फैफड़े. घाव या त्वचा से प्रवेश करने पर यह कम संक्रमण का कारण बनता है, लेकिन साइनस के जरिए शरीर में प्रवेश करने पर यह आंखों और मस्तिष्क पर सीधा अटैक करता है.

ब्लैक फंगस के लक्षण

चेहरे की विकृति, सिरदर्द, त्वचा में दर्द, नाक बंद, आंखों की रोशनी जाना और दर्द होना, मानसिक स्थिति बिगड़ना और भ्रम पैदा होना, गाल और आंखों में सूजन, दांत दर्द, दांतों में ढीलापन और नाक में काली पपड़ी जमना आदि इसके लक्षण हैं.

कैसे करें इसकी रोकथाम

ब्लैक फंगस से बचने का सबसे प्रभावी उपाय यह है कि घर से बाहर निकलते वक्त फेस मास्क जरूर पहनें, विशेष रूप से बाग-बगीचों और धूल भरे क्षेत्रों में या जहां सड़ा हुआ कचरा और भोजन आदि हो. दूसरा यह कि पूरे शरीर को कपड़ों से ढककर रखें. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बीमारी से बचने के लिए मधुमेह और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए शुगर के स्तर और रक्त शर्करा को नियंत्रित करना आवश्यक है. वहीं, जिन लोगों को डॉक्टर ने स्टेरॉयड लेने को कहा है, उनकी निगरानी होनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर स्टेरॉयड की खुराक को कम करना चाहिए.

क्या है इसका इलाज

म्यूकोर्मिकोसिस एक गंभीर संक्रमण है और ओरल-एंटी-फंगल दवाओं के बाद इसका इलाज अंत:शिरा एंटी-फंगल दवा का उपयोग करके किया जा सकता है. बता दें, अधिक गंभीर मामलों में इसमें सर्जरी की जरूरत पड़ती है. इसके लिए एम्स ने ब्लैक फंगस के मामलों का पता लगाने और देखभाल के लिए नए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.

किन मरीजों को है अधिक जोखिम

एम्स के अनुसार अनियंत्रित मधुमेह, मधुमेह कीटोएसिडोसिस, स्टेरॉयड पर मधुमेह रोगियों या टोसीलिज़ुमैब के रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस होने का जोखिम अधिक है.

इम्यूनोसप्रेसेन्ट या कैंसर रोधी उपचार, पुरानी बीमारी के रोगियों को भी ब्लैक फंगस का जोखिम ज्यादा है.

स्टेरॉयड की ज्यादा खुराक लेने वाले मरीज या लंबे समय से स्टेरॉयड और टोसीलिज़ुमैब की खुराक लेने वाले मरीजों के लिए ब्लैक फंगस का खतरा अधिक है.

जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हैं और जो वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.

एम्स ने डॉक्टरों और विशेष रूप से नेत्र रोग विशेषज्ञों को सलाह दी है कि वे ब्लैक फंगस संक्रमण के जोखिम वाले रोगियों को छुट्टी के बाद भी नियमित जांच करने की सलाह दें.

ये भी पढ़ें : भविष्य में आम सर्दी की तरह हो सकता है कोरोना : अध्ययन

ब्लैक फंगस संक्रमण का पता कैसे लगाएं

कोरोना से उबरे मरीजों में ब्लैक फंगस के इन खतरे के संकेतों को ध्यान देना चाहिए.

नाक से काल स्राव या पपड़ी और खून बहना, नाक बंद होना, सिर और आंखों में दर्द, आंखों के चारों ओर सूजन, दोहरी दृष्टि, आंखों का लाल होना, आंखोंं की रोशनी कम होना, आंख खोलने में तकलीफ होना, त्वचा का सुन्न होना, चबाने और मुंह खोलने में कठिनाई होना.

नियमित रूप से खुद परखें

ब्लैक फंगस की पहचाने करने के लिए लोग खुद निम्नलिखित संकेत दिखने पर सतर्क हो जाएं और कुछ बातों पर गौर करें. जैसे, उजाले में पूरे चेहरे की अच्छे से जांच करें. यह देखें कि त्वचा में विशेष रूप से नाक, गाल और आंख के चारों ओर सूजन तो नहीं है और यह परखें कि दिखाई देने में समस्या, त्वचा का सख्त होना और छूने पर दर्ज जैसी शिकायत तो नहीं है. साथ ही दांतों का ढीला होना, मुंह के अंदर, तालू और नाक में सूजन की जांच करें.

क्या करें

उपरोक्त लक्षण दिखने पर तुरंत नाक, काल और गला (ENT) डॉक्टर और नेत्र-विशेषज्ञ से संपर्क करें.

नियमित उपचार का अनुसरण करें और मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा पर सख्त नियंत्रण और निगरानी रखें.

नियमित दवाएं लें. खुद से स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक्स और एंटिफंगल दवाओं का सेवन न करें.

जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर पैरानसल साइनस और ऑर्बिट की बजाय एमआरआई और सीटी स्कैन कराएं.

Last Updated : May 23, 2021, 6:07 PM IST
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