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जीडीपी ने कोरोना से पहले वाले स्तर को पार किया, इस बढ़ोतरी के क्या मायने हैं?

दो साल के कोरोना महामारी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है. कोरोना काल में भारत समेत दुनिया के सभी देशों की जीडीपी में भारी गिरावट दर्ज की गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश की जीडीपी ने (GDP) उस स्तर को पार कर लिया है, जो कोरोना के दौर से पहले था.

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Published : Jun 3, 2022, 2:39 PM IST

नई दिल्ली : भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना काल के ठीक पहले की स्थिति से कुछ ऊपर आ चुकी है. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पादन (GDP) पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च 2022 ) के दौरान पूर्व-महामारी अवधि को पार कर गया. इसमें एक निश्चित अवधि के दौरान देश में उत्पादित सभी सेवाओं और वस्तुओं का मूल्य शामिल है.

जीडीपी में इस बढ़ोतरी का मतलब है कि अप्रैल-मार्च 2022 की अवधि के दौरान उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य अप्रैल-मार्च 2019 और अप्रैल-मार्च 2020 से अधिक है. मार्च 2020 से पहले तक कोविड -19 वैश्विक महामारी भारत में नहीं आई थी.इसे सामान्य भाषा में समझें : अगर वित्त वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष मान लिया जाए तो अप्रैल-मार्च 2022 की अवधि के दौरान देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य स्थिर कीमतों पर 147 लाख करोड़ रुपये रहा. सही मायनों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि की गणना करते समय महंगाई जैसे फैक्टर को छूट दी गई है.

वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी 8.7 फीसदी बढ़ने का अनुमान

जीडीपी में वार्षिक वृद्धि लगभग 8.7 फीसदी अनुमानित है. आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-मार्च 2022 की अवधि के दौरान उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य अप्रैल-मार्च 2021 की तुलना में 11.77 लाख करोड़ रुपये अधिक रहा. बता दें कि पिछले वर्ष के दौरान इस अवधि में देश कोविड -19 महामारी की पहली लहर की चपेट में था. अप्रैल 2020 - मार्च 2021 के बीच कोरोना से संबंधित प्रतिबंध लागू थे. इसके पहले तीन महीने में देश में पूरा लॉकडाउन लगा रहा. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इसे अब तक का सबसे सख्त लॉकडाउन बताया था. इसके बाद जुलाई-सितंबर 2020 के बीच थोड़ी राहत मिली. लॉकडाउन के कारण अप्रैल-मार्च 2020 के पिछले वर्ष की तुलना में जीडीपी 9.57 लाख करोड़ रुपये कम था.

147 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी ग्रोथ का क्या मतलब है?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ने महामारी के दौर से पहले की जीडीपी स्तर को पार लिया है. वित्त वर्ष 2022 में देश की जीडीपी 147 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2019-20 के स्तर की तुलना में 2.19 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2018-19 के स्तर की तुलना में 7.4 लाख करोड़ रुपये अधिक है. प्रतिशत के हिसाब से वित्त वर्ष 2019-20 के स्तर की तुलना में 1.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 5 फीसदी अधिक है.

पढ़ें : एसबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत किया

नई दिल्ली : भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना काल के ठीक पहले की स्थिति से कुछ ऊपर आ चुकी है. मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पादन (GDP) पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च 2022 ) के दौरान पूर्व-महामारी अवधि को पार कर गया. इसमें एक निश्चित अवधि के दौरान देश में उत्पादित सभी सेवाओं और वस्तुओं का मूल्य शामिल है.

जीडीपी में इस बढ़ोतरी का मतलब है कि अप्रैल-मार्च 2022 की अवधि के दौरान उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य अप्रैल-मार्च 2019 और अप्रैल-मार्च 2020 से अधिक है. मार्च 2020 से पहले तक कोविड -19 वैश्विक महामारी भारत में नहीं आई थी.इसे सामान्य भाषा में समझें : अगर वित्त वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष मान लिया जाए तो अप्रैल-मार्च 2022 की अवधि के दौरान देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य स्थिर कीमतों पर 147 लाख करोड़ रुपये रहा. सही मायनों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि की गणना करते समय महंगाई जैसे फैक्टर को छूट दी गई है.

वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी 8.7 फीसदी बढ़ने का अनुमान

जीडीपी में वार्षिक वृद्धि लगभग 8.7 फीसदी अनुमानित है. आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-मार्च 2022 की अवधि के दौरान उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य अप्रैल-मार्च 2021 की तुलना में 11.77 लाख करोड़ रुपये अधिक रहा. बता दें कि पिछले वर्ष के दौरान इस अवधि में देश कोविड -19 महामारी की पहली लहर की चपेट में था. अप्रैल 2020 - मार्च 2021 के बीच कोरोना से संबंधित प्रतिबंध लागू थे. इसके पहले तीन महीने में देश में पूरा लॉकडाउन लगा रहा. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इसे अब तक का सबसे सख्त लॉकडाउन बताया था. इसके बाद जुलाई-सितंबर 2020 के बीच थोड़ी राहत मिली. लॉकडाउन के कारण अप्रैल-मार्च 2020 के पिछले वर्ष की तुलना में जीडीपी 9.57 लाख करोड़ रुपये कम था.

147 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी ग्रोथ का क्या मतलब है?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ने महामारी के दौर से पहले की जीडीपी स्तर को पार लिया है. वित्त वर्ष 2022 में देश की जीडीपी 147 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2019-20 के स्तर की तुलना में 2.19 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2018-19 के स्तर की तुलना में 7.4 लाख करोड़ रुपये अधिक है. प्रतिशत के हिसाब से वित्त वर्ष 2019-20 के स्तर की तुलना में 1.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 5 फीसदी अधिक है.

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