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WB Recruitment Scam : कोर्ट के आदेश पर गई सीएम ममता की भतीजी की नौकरी, विपक्ष कर रहा सीबीआई जांच की मांग

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Published : Mar 10, 2023, 7:23 PM IST

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भतीजी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. कोर्ट ने फर्जी नियुक्तियां रद्द करने का आदेश दिया था. ममता की भतीजी का भी उस लिस्ट में नाम था (WB Recruitment Scam). पढ़ें पूरी खबर.

CM Mamata Banerjee
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

रामपुरहाट: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) की भतीजी ब्रिष्टि मुखर्जी (Brashti Mukherjee) को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद बोलपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय में ग्रुप सी स्टाफ सदस्य के रूप में नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की माता का गांव बीरभूम का कुसुम्बा है. कुसुम्बा गांव की रहने वाली बृष्टि को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा गैर-शिक्षण कर्मचारी के रूप में 'अवैध रूप से' नियुक्त किया गया था.

ब्रिष्टि का नाम उन उम्मीदवारों की सूची में 608वें स्थान पर था, जिनकी नौकरी कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक निर्देश के बाद रद्द कर दी गई. कलकत्ता हाई कोर्ट ने फर्जी तरीके से नियुक्त अभ्यर्थियों को दी गई अनुशंसाओं को रद्द करने का आदेश दिया है. बृष्टि ने निजी कारणों का हवाला देते हुए केवल एक दिन काम करने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया.

संपर्क करने पर बनर्जी के भाई निहार ने कहा कि उनकी बेटी ने अपनी शारीरिक बीमारी के कारण इस्तीफा दे दिया और कभी कोई वेतन नहीं लिया. उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ब्रिष्टि को नौकरी कैसे मिली, उन्होंने कहा कि उसने आवेदन किया था, इसलिए नौकरी मिल गई.

बनर्जी का पुश्तैनी मकान चकईपुर गांव के ब्लॉक नंबर एक में है. उसी के पास कुसुम्बा गांव है. कुसुम्बा गांव में मुख्यमंत्री के चाचा अनिल मुखर्जी और उनके बेटे निहार मुखर्जी रहते हैं.

यह पहली बार है कि बनर्जी के परिवार के किसी सदस्य को करोड़ों रुपये के एसएससी घोटाले में नामित किया गया है, जिसके कारण पूर्व शिक्षा मंत्री और आयोग के कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. घोटाला तब सामने आया जब उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि WBSSC ने रिश्वत ली और अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने डब्ल्यूबीएसएससी (WBSSC) को फर्जी तरीकों से नियुक्त उम्मीदवारों की सिफारिशों को रद्द करने का निर्देश दिया था. आयोग ने तब उन उम्मीदवारों की एक सूची प्रकाशित की जिनकी नौकरी रद्द कर दी गई, उसमें ब्रिष्टि का नाम भी था. ब्रिष्टि की नौकरी रद्द होने से बनर्जी का परिवार जांच के दायरे में आ गया है और राज्य में नियुक्तियों में कथित राजनीतिक प्रभाव के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं.

विपक्षी दलों ने की सीबीआई जांच की मांग : विपक्षी दलों ने प्रशासन में शीर्ष पदों पर अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों को कथित रूप से बढ़ावा देने के लिए बनर्जी की आलोचना की है. भाजपा ने बनर्जी के रिश्तेदारों की नियुक्ति और भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी कथित संलिप्तता की सीबीआई जांच की मांग की है.

गौरतलब है कि एसएससी घोटाले के उजागर होने के बाद से पश्चिम बंगाल की शिक्षा प्रणाली विवादों से घिरी हुई है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं पूर्व कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी और प्रभावशाली विधायक माणिक भट्टाचार्य को केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है. फर्जी भर्ती प्रक्रिया ने पिछले 10 वर्षों में भर्ती किए गए शिक्षकों की साख और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

मामले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियां- केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालतों के समक्ष सौंपी गई रिपोर्टों में संकेत दिया है कि भर्ती घोटाला (WB Recruitment Scam) सैकड़ों करोड़ रुपये का हो सकता है, क्योंकि लगभग 8,000 उम्मीदवार दिखाई हैं. विभिन्न श्रेणियों में अवैध रूप से भर्ती की गई है.

पढ़ें- शिक्षक भर्ती घोटाला प.बंगाल : ईडी की जांच का फोकस अब पैसा देकर मान्यता लेने वाले कॉलेजों पर

रामपुरहाट: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) की भतीजी ब्रिष्टि मुखर्जी (Brashti Mukherjee) को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद बोलपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय में ग्रुप सी स्टाफ सदस्य के रूप में नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की माता का गांव बीरभूम का कुसुम्बा है. कुसुम्बा गांव की रहने वाली बृष्टि को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा गैर-शिक्षण कर्मचारी के रूप में 'अवैध रूप से' नियुक्त किया गया था.

ब्रिष्टि का नाम उन उम्मीदवारों की सूची में 608वें स्थान पर था, जिनकी नौकरी कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक निर्देश के बाद रद्द कर दी गई. कलकत्ता हाई कोर्ट ने फर्जी तरीके से नियुक्त अभ्यर्थियों को दी गई अनुशंसाओं को रद्द करने का आदेश दिया है. बृष्टि ने निजी कारणों का हवाला देते हुए केवल एक दिन काम करने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया.

संपर्क करने पर बनर्जी के भाई निहार ने कहा कि उनकी बेटी ने अपनी शारीरिक बीमारी के कारण इस्तीफा दे दिया और कभी कोई वेतन नहीं लिया. उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ब्रिष्टि को नौकरी कैसे मिली, उन्होंने कहा कि उसने आवेदन किया था, इसलिए नौकरी मिल गई.

बनर्जी का पुश्तैनी मकान चकईपुर गांव के ब्लॉक नंबर एक में है. उसी के पास कुसुम्बा गांव है. कुसुम्बा गांव में मुख्यमंत्री के चाचा अनिल मुखर्जी और उनके बेटे निहार मुखर्जी रहते हैं.

यह पहली बार है कि बनर्जी के परिवार के किसी सदस्य को करोड़ों रुपये के एसएससी घोटाले में नामित किया गया है, जिसके कारण पूर्व शिक्षा मंत्री और आयोग के कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. घोटाला तब सामने आया जब उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि WBSSC ने रिश्वत ली और अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने डब्ल्यूबीएसएससी (WBSSC) को फर्जी तरीकों से नियुक्त उम्मीदवारों की सिफारिशों को रद्द करने का निर्देश दिया था. आयोग ने तब उन उम्मीदवारों की एक सूची प्रकाशित की जिनकी नौकरी रद्द कर दी गई, उसमें ब्रिष्टि का नाम भी था. ब्रिष्टि की नौकरी रद्द होने से बनर्जी का परिवार जांच के दायरे में आ गया है और राज्य में नियुक्तियों में कथित राजनीतिक प्रभाव के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं.

विपक्षी दलों ने की सीबीआई जांच की मांग : विपक्षी दलों ने प्रशासन में शीर्ष पदों पर अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों को कथित रूप से बढ़ावा देने के लिए बनर्जी की आलोचना की है. भाजपा ने बनर्जी के रिश्तेदारों की नियुक्ति और भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी कथित संलिप्तता की सीबीआई जांच की मांग की है.

गौरतलब है कि एसएससी घोटाले के उजागर होने के बाद से पश्चिम बंगाल की शिक्षा प्रणाली विवादों से घिरी हुई है. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं पूर्व कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी और प्रभावशाली विधायक माणिक भट्टाचार्य को केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है. फर्जी भर्ती प्रक्रिया ने पिछले 10 वर्षों में भर्ती किए गए शिक्षकों की साख और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

मामले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियां- केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालतों के समक्ष सौंपी गई रिपोर्टों में संकेत दिया है कि भर्ती घोटाला (WB Recruitment Scam) सैकड़ों करोड़ रुपये का हो सकता है, क्योंकि लगभग 8,000 उम्मीदवार दिखाई हैं. विभिन्न श्रेणियों में अवैध रूप से भर्ती की गई है.

पढ़ें- शिक्षक भर्ती घोटाला प.बंगाल : ईडी की जांच का फोकस अब पैसा देकर मान्यता लेने वाले कॉलेजों पर

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