कोलकाता : राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य चुनाव आयुक्त राजीबा सिन्हा की ज्वाइनिंग रिपोर्ट वापस भेज दी. यह खबर बुधवार देर रात राजभवन सूत्रों से मिली. राज्य में घटना क्रम में इस विकास के बाद इस बात की प्रबल आशंका है कि बंगाल के चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति रद्द कर दी जाएगी. इसे देखते हुए राज्य के विभिन्न हलकों में सवाल उठने लगे हैं कि मतदान प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी.
चुनाव आयुक्त ने 8 जून को पंचायत चुनाव के दिन की घोषणा की. नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान राज्य में कई स्थानों पर हिंसा की खबरें आने लगी थी. राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने विवरण के बारे में पूछताछ करने के लिए शनिवार को राज्य चुनाव आयुक्त राजीबा को बुलाया. राज्य चुनाव आयुक्त ने यह कहते हुए राज्यपाल से मुलाकात को टाल दिया कि उनके पास स्क्रूटनी का काम है. उन्होंने राज्यपाल से कहा कि वह किसी और दिन जा सकते हैं. तब से राजीबा सिन्हा राजभवन नहीं गए हैं.
सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल सीवी आनंद बोस उनसे बेहद नाराज हैं. इसलिए उन्होंने राज्य चुनाव आयुक्त पद के लिए राजीबा सिन्हा की ज्वाइनिंग रिपोर्ट वापस भेज दी है. ऐसे में राज्य चुनाव आयुक्त के बिना राज्य में पंचायत चुनाव कैसे होंगे, इसे लेकर संशय पैदा हो गया है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के चुनावी इतिहास में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी. इससे संवैधानिक संकट भी पैदा हो सकता है.
बंगाल के विभिन्न हिस्सों में पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी और तैयारी तेज हो गई है. विपक्षी खेमे ने चुनाव में हिंसा की आशंका जताई थी. विपक्षी दलों ने आशंका जताई थी कि इस बार भी साल 2018 की तरह पंचायत चुनाव में हिंसा हो सकती है. इसे देखते हुए भाजपा ने राज्यपाल से लोकतंत्र की रक्षा के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने की अपील की थी. पिछले शनिवार को प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने राज्यपाल के साथ बैठक की थी. बैठक में राज्यपाल ने आश्वस्त किया था कि राज्य में कानून के अनुरूप शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव कराये जायेंगे. इसके लिए वह उचित कार्रवाई करेंगे.
बीते सोमवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने एक बयान में कहा था कि पश्चिम बंगाल के लोग भी उम्मीद करते हैं यहां शांतिपूर्ण ढंग चुनाव हो. उन्होंने कहा था कि राज्यपाल का अपना कर्तव्य है. राज्य चुनाव आयोग जिस तरह से पंचायत चुनाव करा रहा है उससे निराशा होती है. आयोग की सही भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने कहा था कि बतौर राज्यपाल राज्य के काम हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपनी भूमिका निभा रहे हैं. संवैधानिक मानदंडों के अनुसार कार्य कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल के लोग स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चुनाव चाहते हैं. इसमें यदि कोई बाधा आयेगी तो मैं उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करुंगा. इस बीच, बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य भर में केंद्रीय बलों को तैनात करने की अनुमति नहीं देने के लिए चुनाव आयोग और सिन्हा को कड़ी फटकार लगाई.