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पिता का सपना पूरा करने को गम में दी परीक्षा, लौटकर किया अंतिम संस्कार

पश्चिम बंगाल में एक दुखद घटना के बीच बेटी ने जो साहस दिखाया उसकी चर्चा हो रही है. पिता की मौत के बावजूद बेटी परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने पहुंची. परीक्षा देने के बाद वापस जाकर पिता का अंतिम संस्कार किया (girl appears for exam before cremating father).

dalui reached to give exam
मौसमी दलुई परीक्षा देने पहुंची
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Published : Mar 16, 2023, 9:36 PM IST

बोलपुर: पिता को खोने के बाद भी बेटी अपनी उच्च माध्यमिक परीक्षा में शामिल होने के लिए दृढ़ थी और उसने ऐसा ही किया. पिता के शव को घर पर छोड़कर वह परीक्षा देने पहुंची और परीक्षा खत्म कर पिता का अंतिम संस्कार किया. घटना पश्चिम बंगाल के बोलपुर की है.

लड़की की गुरुवार को अंग्रेजी की परीक्षा थी. सुबह 4 बजे उसके पिता का कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया. दुख की इस घड़ी में भी मौसमी दलुई पड़ोसियों की मदद से परीक्षा केंद्र पहुंची. फिर परीक्षा समाप्त होने के बाद वह घर वापस आई और श्मशान घाट जाकर चिता को मुखाग्नि दी.

उसके पिता अष्टम दलुई (40) बोलपुर नगर पालिका के वार्ड नंबर 10 मकरमपुर के रहने वाले थे. दलुई के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. दलुई बोलपुर नेताजी बाजार में चाय की दुकान चलाता था. गुरुवार सुबह दलुई का निधन हो गया. सबसे बड़ी बेटी मौसमी दलुई पारुलडांगा शिक्षानिकेतन आश्रम विद्यालय की 12वीं की छात्रा है. उसका परीक्षा केंद्र बोलपुर शैलबाला हाई स्कूल फॉर गर्ल्स है.

दलुई का सपना था कि बेटी हायर सेकेंडरी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करे और अच्छे अंक प्राप्त करे. ऐसे में अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए मौसमी इस गम को दरकिनार कर पड़ोसियों की मदद से परीक्षा केंद्र पहुंची और अंग्रेजी की परीक्षा दी. इस दौरान दलुई के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए भुबनडांगा स्थित शुकनगर श्मशान घाट ले जाया गया. शव को श्मशान घाट लाने के बाद परिजन व पड़ोसी बेटी का इंतजार करने लगे. बेटी जब परीक्षा के बाद श्मशान आई तो अंतिम संस्कार हुआ. मौसमी के अभी 4 और पेपर बाकी हैं.

मौसमी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'मेरे पिता को पहले दो स्ट्रोक आ चुके थे, इस बार उनकी मौत हो गई. वह चाहते थे कि मैं परीक्षा में अच्छा करूं तो मैं परीक्षा देने गई.

मौसमी के चाचा सुभाष दलुई ने कहा, 'शिक्षा पहले, इसलिए वह अपने पिता का पार्थिव शरीर छोड़कर परीक्षा देने चली गई. मौसमी ने मुझसे पूछा काका क्या करूं? हम सबने उसे परीक्षा देने भेजा. दादा (बड़े भाई) चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़े.'

परीक्षा केंद्र की प्रधानाध्यापिका रूबी घोष ने कहा, 'जीवन का सबसे बड़ा सहारा भले ही चला गया, लेकिन उसने परीक्षा दी. हम उसे इतना मजबूत दिल दिखाने के लिए बधाई देते हैं. हमने बच्ची का भी ख्याल रखा है.'

पढ़ें- रुपये न होने के कारण मां की मौत पर नहीं पहुंच पाई बेटी, वीडियो कॉल पर देखा अंतिम संस्कार

बोलपुर: पिता को खोने के बाद भी बेटी अपनी उच्च माध्यमिक परीक्षा में शामिल होने के लिए दृढ़ थी और उसने ऐसा ही किया. पिता के शव को घर पर छोड़कर वह परीक्षा देने पहुंची और परीक्षा खत्म कर पिता का अंतिम संस्कार किया. घटना पश्चिम बंगाल के बोलपुर की है.

लड़की की गुरुवार को अंग्रेजी की परीक्षा थी. सुबह 4 बजे उसके पिता का कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया. दुख की इस घड़ी में भी मौसमी दलुई पड़ोसियों की मदद से परीक्षा केंद्र पहुंची. फिर परीक्षा समाप्त होने के बाद वह घर वापस आई और श्मशान घाट जाकर चिता को मुखाग्नि दी.

उसके पिता अष्टम दलुई (40) बोलपुर नगर पालिका के वार्ड नंबर 10 मकरमपुर के रहने वाले थे. दलुई के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. दलुई बोलपुर नेताजी बाजार में चाय की दुकान चलाता था. गुरुवार सुबह दलुई का निधन हो गया. सबसे बड़ी बेटी मौसमी दलुई पारुलडांगा शिक्षानिकेतन आश्रम विद्यालय की 12वीं की छात्रा है. उसका परीक्षा केंद्र बोलपुर शैलबाला हाई स्कूल फॉर गर्ल्स है.

दलुई का सपना था कि बेटी हायर सेकेंडरी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करे और अच्छे अंक प्राप्त करे. ऐसे में अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए मौसमी इस गम को दरकिनार कर पड़ोसियों की मदद से परीक्षा केंद्र पहुंची और अंग्रेजी की परीक्षा दी. इस दौरान दलुई के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए भुबनडांगा स्थित शुकनगर श्मशान घाट ले जाया गया. शव को श्मशान घाट लाने के बाद परिजन व पड़ोसी बेटी का इंतजार करने लगे. बेटी जब परीक्षा के बाद श्मशान आई तो अंतिम संस्कार हुआ. मौसमी के अभी 4 और पेपर बाकी हैं.

मौसमी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'मेरे पिता को पहले दो स्ट्रोक आ चुके थे, इस बार उनकी मौत हो गई. वह चाहते थे कि मैं परीक्षा में अच्छा करूं तो मैं परीक्षा देने गई.

मौसमी के चाचा सुभाष दलुई ने कहा, 'शिक्षा पहले, इसलिए वह अपने पिता का पार्थिव शरीर छोड़कर परीक्षा देने चली गई. मौसमी ने मुझसे पूछा काका क्या करूं? हम सबने उसे परीक्षा देने भेजा. दादा (बड़े भाई) चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़े.'

परीक्षा केंद्र की प्रधानाध्यापिका रूबी घोष ने कहा, 'जीवन का सबसे बड़ा सहारा भले ही चला गया, लेकिन उसने परीक्षा दी. हम उसे इतना मजबूत दिल दिखाने के लिए बधाई देते हैं. हमने बच्ची का भी ख्याल रखा है.'

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