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केंद्र ने कोर्ट से कहा- अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कल्याण योजनाएं 'कानूनी रूप से वैध' - Hindus or other communities

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लिए चलाई जा रहीं कल्याणकारी योजनाएं 'कानूनी रूप से वैध' हैं. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

उच्चतम न्यायालय
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Published : Jul 14, 2021, 3:44 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court ) से कहा है कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों ( religious minority communities ) के लिए चलाई जा रहीं कल्याणकारी योजनाएं 'कानूनी रूप से वैध' हैं और ये असमानता को घटाने पर केंद्रित हैं तथा इनसे हिन्दुओं या अन्य समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता.

शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया है कि कल्याणकारी योजनाओं का आधार धर्म नहीं हो सकता.

केंद्र ने न्यायालय में दायर अपने शपथपत्र में कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं अल्पसंख्यक समुदायों में असमानता को कम करने, शिक्षा के स्तर में सुधार, रोजगार में भागीदारी, दक्षता एवं उद्यम विकास, निकाय सुविधाओं या अवसंरचना में खामियों को दूर करने पर केंद्रित हैं.

शपथपत्र में कहा गया कि ये योजनाएं संविधान में प्रदत्त समानता के सिद्वांतों के विपरीत नहीं हैं. ये योजनाएं कानूनी रूप से वैध हैं क्योंकि ये ऐसे प्रावधान करती हैं जिससे कि समावेशी परिवेश प्राप्त किया जा सके और अशक्तता को दूर किया जा सके. इसलिए इन योजनाओं के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों के सुविधाहीन/वंचित बच्चों/अभ्यर्थियों की सहायता करने को गलत नहीं कहा जा सकता.

यह भी पढ़ें- दो बच्चे के नियम से घबराकर अयोग्य पार्षद ने तीसरे बच्चे को बताया गैर, सुप्रीम कोर्ट का मानने से इंकार

केंद्र ने कहा कि कल्याणकारी योजनाएं केवल अल्पसंख्यक समुदायों के कमजोर तबकों/वंचित बच्चों/अभ्यर्थियों/महिलाओं/ के लिए हैं, न कि अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित सभी व्यक्तियों के लिए.

याचिकाकर्ताओं-नीरज शंकर सक्सेना और पांच अन्य लोगों ने अपनी याचिका में कहा है कि धर्म के आधार पर कल्याणकारी योजनाएं नहीं चलाई जा सकतीं.

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court ) से कहा है कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों ( religious minority communities ) के लिए चलाई जा रहीं कल्याणकारी योजनाएं 'कानूनी रूप से वैध' हैं और ये असमानता को घटाने पर केंद्रित हैं तथा इनसे हिन्दुओं या अन्य समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता.

शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया है कि कल्याणकारी योजनाओं का आधार धर्म नहीं हो सकता.

केंद्र ने न्यायालय में दायर अपने शपथपत्र में कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं अल्पसंख्यक समुदायों में असमानता को कम करने, शिक्षा के स्तर में सुधार, रोजगार में भागीदारी, दक्षता एवं उद्यम विकास, निकाय सुविधाओं या अवसंरचना में खामियों को दूर करने पर केंद्रित हैं.

शपथपत्र में कहा गया कि ये योजनाएं संविधान में प्रदत्त समानता के सिद्वांतों के विपरीत नहीं हैं. ये योजनाएं कानूनी रूप से वैध हैं क्योंकि ये ऐसे प्रावधान करती हैं जिससे कि समावेशी परिवेश प्राप्त किया जा सके और अशक्तता को दूर किया जा सके. इसलिए इन योजनाओं के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों के सुविधाहीन/वंचित बच्चों/अभ्यर्थियों की सहायता करने को गलत नहीं कहा जा सकता.

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केंद्र ने कहा कि कल्याणकारी योजनाएं केवल अल्पसंख्यक समुदायों के कमजोर तबकों/वंचित बच्चों/अभ्यर्थियों/महिलाओं/ के लिए हैं, न कि अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित सभी व्यक्तियों के लिए.

याचिकाकर्ताओं-नीरज शंकर सक्सेना और पांच अन्य लोगों ने अपनी याचिका में कहा है कि धर्म के आधार पर कल्याणकारी योजनाएं नहीं चलाई जा सकतीं.

(पीटीआई भाषा)

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