ETV Bharat / bharat

दुनियाभर में अभिशाप है मोटापा, बढ़ाता है मुश्किलें - दुनियाभर में अभिशाप है मोटापा

अधिक वजन को कलंक मानने वाले समाज में इसे छिपाने के लिए कोई जगह नहीं है. दशकों के शोध से यह साबित हुआ है कि कार्यस्थलों, स्कूलों, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों, सार्वजनिक आवास और जनसंचार माध्यमों के साथ-साथ मित्रों और परिवारों के साथ घनिष्ठ पारस्परिक संबंधों में भी अधिक वजन का यह अभिशाप मौजूद रहता है.

दुनियाभर में अभिशाप है मोटापा
दुनियाभर में अभिशाप है मोटापा
author img

By

Published : Jun 2, 2021, 6:51 PM IST

वॉशिगंटन : आलसी, किसी से सीखते भी नहीं, कोई आत्म अनुशासन नहीं, कोई इच्छाशक्ति नहीं, यह रूढ़िवादी टिप्प्णियां करके अमेरिकी समाज में आम तौर पर उन लोगों को कोसा जाता है, जिनका वजन ज्यादा है या जिनके शरीर का आकार बड़ा है.

वजन की अधिकता को अभिशाप माना जाता है और अधिक वजन वाले लोगों के प्रति इस तरह के दृष्टिकोण के कारण कई अमेरिकियों को दोषी ठहराया जाता है, छेड़ा जाता है, धमकाया जाता है, उनके साथ दुर्व्यवहार और भेदभाव किया जाता है.

अधिक वजन को कलंक मानने वाले समाज में इसे छिपाने के लिए कोई जगह नहीं है. दशकों के शोध से यह साबित हुआ है कि कार्यस्थलों, स्कूलों, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों, सार्वजनिक आवास और जनसंचार माध्यमों के साथ-साथ मित्रों और परिवारों के साथ घनिष्ठ पारस्परिक संबंधों में भी अधिक वजन का यह अभिशाप मौजूद रहता है.

मैं कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में रुड सेंटर फॉर फ़ूड पॉलिसी एंड ओबेसिटी में एक मनोवैज्ञानिक और शोधकर्ता हूँ. 20 वर्षों से मेरी टीम ने वजन के अभिशाप का अध्ययन किया है. हमने वजन को लेकर बनी इन धारणाओं की उत्पत्ति और व्यापकता, विभिन्न सामाजिक संस्थानों में इसकी उपस्थिति, इसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान और इस समस्या से निपटने की रणनीतियों की जांच की है.

हमने हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन किया जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वजन का अभिशाप व्यापक और हानिकारक है तथा इसे मिटाना मुश्किल है. यह विभिन्न देशों, भाषाओं और संस्कृतियों में देखा जा सकता है.

एक सतत अमेरिकी पूर्वाग्रह

अमेरिकी वयस्कों में, वजन का लांछन (weight stigma) एक सामान्य अनुभव है, जिसमें 40% से अधिक वजन-आधारित चिढ़ाने, अनुचित व्यवहार और भेदभाव के पिछले अनुभवों की रिपोर्ट करते हैं. ये अनुभव उच्च बॉडी मास इंडेक्स (body mass indexes) वाले लोगों या मोटापे से ग्रस्त लोगों और महिलाओं के लिए सबसे अधिक प्रचलित हैं. युवाओं के लिए, शरीर का वजन चिढ़ाने और धमकाने के सबसे प्रचलित कारणों में से एक है.

तथ्य यह है कि 40% से अधिक अमेरिकियों में मोटापा है, इस समूह के लोगों के प्रति सार्वजनिक दृष्टिकोण को नरम नहीं किया है. हालांकि हाल के दशकों में अन्य कलंकित समूहों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण कम पूर्वाग्रही हो गए हैं, वजन पूर्वाग्रह में बहुत कम बदलाव आया है.

कुछ मामलों में यह बिगड़ रहा है

प्रचलित विचार यह है कि मोटापे के जटिल और बहुक्रियात्मक कारणों के पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाणों के बावजूद लोग अपने वजन के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं. अमेरिकी संस्कृति के पतलेपन के उत्सव, बड़े शरीर वाले लोगों के नकारात्मक मीडिया चित्रण और एक संपन्न आहार उद्योग को देखते हुए इस मानसिकता को बदलना मुश्किल है.

ये कारक दोषपूर्ण आधार को पुष्ट करते हैं कि शरीर का वजन असीम रूप से निंदनीय है, जैसा कि लोगों को वजन भेदभाव से बचाने के लिए कानून की कमी है. सार्वजनिक धारणा के विपरीत, वजन का कलंक लोगों को वजन कम करने के लिए प्रेरित नहीं करता है. इसके बजाय यह स्वास्थ्य को खराब करता है और जीवन की गुणवत्ता को कम करता है.

पढ़ें - CMIE के आंकड़ों में खुलासा, बेरोजगारी में सबसे आगे निकले ये राज्‍य

वजन कलंक के हानिकारक प्रभाव वास्तविक और लंबे समय तक चलने वाले हो सकते हैं. वे भावनात्मक संकट, अवसादग्रस्तता के लक्षण, चिंता, कम आत्मसम्मान से लेकर अव्यवस्थित भोजन, अस्वास्थ्यकर खाने के व्यवहार, कम शारीरिक गतिविधि, वजन बढ़ना, शारीरिक तनाव में वृद्धि और स्वास्थ्य देखभाल से परहेज करते हैं.

एक साझा संघर्ष

weight stigma अमेरिका के लिए अद्वितीय नहीं है. यह दुनिया भर में मौजूद है. हालांकि, कुछ अध्ययनों ने विभिन्न देशों में वजन के कलंक के लोगों के अनुभवों की सीधे तुलना की है.

वॉशिगंटन : आलसी, किसी से सीखते भी नहीं, कोई आत्म अनुशासन नहीं, कोई इच्छाशक्ति नहीं, यह रूढ़िवादी टिप्प्णियां करके अमेरिकी समाज में आम तौर पर उन लोगों को कोसा जाता है, जिनका वजन ज्यादा है या जिनके शरीर का आकार बड़ा है.

वजन की अधिकता को अभिशाप माना जाता है और अधिक वजन वाले लोगों के प्रति इस तरह के दृष्टिकोण के कारण कई अमेरिकियों को दोषी ठहराया जाता है, छेड़ा जाता है, धमकाया जाता है, उनके साथ दुर्व्यवहार और भेदभाव किया जाता है.

अधिक वजन को कलंक मानने वाले समाज में इसे छिपाने के लिए कोई जगह नहीं है. दशकों के शोध से यह साबित हुआ है कि कार्यस्थलों, स्कूलों, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों, सार्वजनिक आवास और जनसंचार माध्यमों के साथ-साथ मित्रों और परिवारों के साथ घनिष्ठ पारस्परिक संबंधों में भी अधिक वजन का यह अभिशाप मौजूद रहता है.

मैं कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में रुड सेंटर फॉर फ़ूड पॉलिसी एंड ओबेसिटी में एक मनोवैज्ञानिक और शोधकर्ता हूँ. 20 वर्षों से मेरी टीम ने वजन के अभिशाप का अध्ययन किया है. हमने वजन को लेकर बनी इन धारणाओं की उत्पत्ति और व्यापकता, विभिन्न सामाजिक संस्थानों में इसकी उपस्थिति, इसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान और इस समस्या से निपटने की रणनीतियों की जांच की है.

हमने हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन किया जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वजन का अभिशाप व्यापक और हानिकारक है तथा इसे मिटाना मुश्किल है. यह विभिन्न देशों, भाषाओं और संस्कृतियों में देखा जा सकता है.

एक सतत अमेरिकी पूर्वाग्रह

अमेरिकी वयस्कों में, वजन का लांछन (weight stigma) एक सामान्य अनुभव है, जिसमें 40% से अधिक वजन-आधारित चिढ़ाने, अनुचित व्यवहार और भेदभाव के पिछले अनुभवों की रिपोर्ट करते हैं. ये अनुभव उच्च बॉडी मास इंडेक्स (body mass indexes) वाले लोगों या मोटापे से ग्रस्त लोगों और महिलाओं के लिए सबसे अधिक प्रचलित हैं. युवाओं के लिए, शरीर का वजन चिढ़ाने और धमकाने के सबसे प्रचलित कारणों में से एक है.

तथ्य यह है कि 40% से अधिक अमेरिकियों में मोटापा है, इस समूह के लोगों के प्रति सार्वजनिक दृष्टिकोण को नरम नहीं किया है. हालांकि हाल के दशकों में अन्य कलंकित समूहों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण कम पूर्वाग्रही हो गए हैं, वजन पूर्वाग्रह में बहुत कम बदलाव आया है.

कुछ मामलों में यह बिगड़ रहा है

प्रचलित विचार यह है कि मोटापे के जटिल और बहुक्रियात्मक कारणों के पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाणों के बावजूद लोग अपने वजन के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं. अमेरिकी संस्कृति के पतलेपन के उत्सव, बड़े शरीर वाले लोगों के नकारात्मक मीडिया चित्रण और एक संपन्न आहार उद्योग को देखते हुए इस मानसिकता को बदलना मुश्किल है.

ये कारक दोषपूर्ण आधार को पुष्ट करते हैं कि शरीर का वजन असीम रूप से निंदनीय है, जैसा कि लोगों को वजन भेदभाव से बचाने के लिए कानून की कमी है. सार्वजनिक धारणा के विपरीत, वजन का कलंक लोगों को वजन कम करने के लिए प्रेरित नहीं करता है. इसके बजाय यह स्वास्थ्य को खराब करता है और जीवन की गुणवत्ता को कम करता है.

पढ़ें - CMIE के आंकड़ों में खुलासा, बेरोजगारी में सबसे आगे निकले ये राज्‍य

वजन कलंक के हानिकारक प्रभाव वास्तविक और लंबे समय तक चलने वाले हो सकते हैं. वे भावनात्मक संकट, अवसादग्रस्तता के लक्षण, चिंता, कम आत्मसम्मान से लेकर अव्यवस्थित भोजन, अस्वास्थ्यकर खाने के व्यवहार, कम शारीरिक गतिविधि, वजन बढ़ना, शारीरिक तनाव में वृद्धि और स्वास्थ्य देखभाल से परहेज करते हैं.

एक साझा संघर्ष

weight stigma अमेरिका के लिए अद्वितीय नहीं है. यह दुनिया भर में मौजूद है. हालांकि, कुछ अध्ययनों ने विभिन्न देशों में वजन के कलंक के लोगों के अनुभवों की सीधे तुलना की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.