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हम कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बन गये: चिदम्बरम का नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष - नोटबंदी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम (Senior Congress leader p chidambaram) ने नोटबंदी को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार को निशाना बनाया एवं नकदी का चलन बढ़ने का हवाला देते हुए उसके (नोटबंदी के) लक्ष्यों को लेकर सवाल उठाया.

चिदम्बरम
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Published : Nov 12, 2021, 9:48 PM IST

Updated : Nov 12, 2021, 9:56 PM IST

नई दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम (Senior Congress leader p chidambaram) ने नोटबंदी को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार को निशाना बनाया एवं नकदी का चलन बढ़ने का हवाला देते हुए उसके (नोटबंदी के) लक्ष्यों को लेकर सवाल उठाया.

चिदम्बरम ने ट्वीट किया, 'कुख्यात नोटबंदी के पांच साल हो गये, मोदी सरकार की लोकलुभावन घोषणाओं की स्थिति क्या है?' उन्होंने लिखा , 'श्रीमान् (नरेंद्र) मोदी ने पहले कहा कि हमें बेनकदी अर्थव्यवस्था बनना चाहिए. कुछ ही दिनों में उन्होंने अहसास किया कि यह बेतुका लक्ष्य है. उन्होंने लक्ष्य बदलकर उसे कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था कर दिया. नोटबंदी के दौरान 18 लाख करोड़ रूपये चलन में थे और अब वह 28.5 लाख करोड़ रूपये है.'

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'ऊंची बेरोजगारी एवं मुद्रास्फीति की मार, गरीब एवं मध्यवर्ग कम नकद कमाते हैं और कम खर्च करते हैं. हम वाकई कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बन गये हैं. थ्री चीयर्स.' नोटबंदी के पांच साल बाद चलन में नोट धीरे-धीरे लेकिन बढ़ते रहे. हालांकि डिजिटल भुगतान में भी वृद्धि हुई और अधिकाधिक लोग बेनकदी भुगतान तरीके को अपना रहे हैं.

मुख्य रूप से पिछले वित्त वर्ष में नोट चलन में बढ़े क्योंकि कई लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच एहतियात के तौर पर नकद को रख लिया. इस महामारी ने सामान्य जनजीवन एवं आर्थिक गतिविधियों पर असर डाला.

ये भी पढ़ें - नोटबंदी के 5 साल पर कुछ नहीं बोली सरकार क्योंकि मकसद नहीं हुआ साकार !

चिदम्बरम ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने पेट्रोल एवं डीजल पर संग्रहित करों पर कुछ आंकड़ों का खुलासा किया है और यदि वे तोड़-मरोड़ कर पेश किये गये हैं तो केंद्रीय वित्त मंत्री को इस पर अपनी बात रखनी चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'आंकड़ों से खुलासा हुआ कि 2020-21 में उत्पाद शुल्क के तौर पर 3,72,000 करोड़ रूपये का संग्रहण हुआ. उसमें से बस 18,000 करोड़ रूपये ही मूल उत्पाद शुल्क के रूप में वसूले गये तथा 41 फीसद राज्यों के साथ साझा किये गये. बाकी 3,54,000 करोड़ रूपये केंद्र के पास गये. यह मोदी सरकार का 'सहयोग-परक संघवाद' नमूना है.'

कांग्रेस नेता ने सवाल किया इसके अलावा 3,54,000 करोड़ रूपये की विशाल धनराशि कैसे और कहां खर्च की गयी. उन्होंने दावा किया, 'एक हिस्सा कॉर्पोरेट कर घटाने से पैदा हुए छेद को भरने तथा कॉर्पोरेट को 14,5000 करोड़ रूपये की सौगात देने के लिए किया गया.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम (Senior Congress leader p chidambaram) ने नोटबंदी को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार को निशाना बनाया एवं नकदी का चलन बढ़ने का हवाला देते हुए उसके (नोटबंदी के) लक्ष्यों को लेकर सवाल उठाया.

चिदम्बरम ने ट्वीट किया, 'कुख्यात नोटबंदी के पांच साल हो गये, मोदी सरकार की लोकलुभावन घोषणाओं की स्थिति क्या है?' उन्होंने लिखा , 'श्रीमान् (नरेंद्र) मोदी ने पहले कहा कि हमें बेनकदी अर्थव्यवस्था बनना चाहिए. कुछ ही दिनों में उन्होंने अहसास किया कि यह बेतुका लक्ष्य है. उन्होंने लक्ष्य बदलकर उसे कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था कर दिया. नोटबंदी के दौरान 18 लाख करोड़ रूपये चलन में थे और अब वह 28.5 लाख करोड़ रूपये है.'

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'ऊंची बेरोजगारी एवं मुद्रास्फीति की मार, गरीब एवं मध्यवर्ग कम नकद कमाते हैं और कम खर्च करते हैं. हम वाकई कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बन गये हैं. थ्री चीयर्स.' नोटबंदी के पांच साल बाद चलन में नोट धीरे-धीरे लेकिन बढ़ते रहे. हालांकि डिजिटल भुगतान में भी वृद्धि हुई और अधिकाधिक लोग बेनकदी भुगतान तरीके को अपना रहे हैं.

मुख्य रूप से पिछले वित्त वर्ष में नोट चलन में बढ़े क्योंकि कई लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच एहतियात के तौर पर नकद को रख लिया. इस महामारी ने सामान्य जनजीवन एवं आर्थिक गतिविधियों पर असर डाला.

ये भी पढ़ें - नोटबंदी के 5 साल पर कुछ नहीं बोली सरकार क्योंकि मकसद नहीं हुआ साकार !

चिदम्बरम ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने पेट्रोल एवं डीजल पर संग्रहित करों पर कुछ आंकड़ों का खुलासा किया है और यदि वे तोड़-मरोड़ कर पेश किये गये हैं तो केंद्रीय वित्त मंत्री को इस पर अपनी बात रखनी चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'आंकड़ों से खुलासा हुआ कि 2020-21 में उत्पाद शुल्क के तौर पर 3,72,000 करोड़ रूपये का संग्रहण हुआ. उसमें से बस 18,000 करोड़ रूपये ही मूल उत्पाद शुल्क के रूप में वसूले गये तथा 41 फीसद राज्यों के साथ साझा किये गये. बाकी 3,54,000 करोड़ रूपये केंद्र के पास गये. यह मोदी सरकार का 'सहयोग-परक संघवाद' नमूना है.'

कांग्रेस नेता ने सवाल किया इसके अलावा 3,54,000 करोड़ रूपये की विशाल धनराशि कैसे और कहां खर्च की गयी. उन्होंने दावा किया, 'एक हिस्सा कॉर्पोरेट कर घटाने से पैदा हुए छेद को भरने तथा कॉर्पोरेट को 14,5000 करोड़ रूपये की सौगात देने के लिए किया गया.'

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 12, 2021, 9:56 PM IST
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