ETV Bharat / bharat

Interview : कर्नाटक में कानून-व्यवस्था गंभीर मुद्दा, हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं : मोइली

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार चरम पर है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का जिक्र किया है, इसके बाद से भाजपा उस पर हमलावर है. ऐसे में तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री ने पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली से बात की. जानिए मोइली ने क्या कहा.

M Veerappa Moily
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली
author img

By

Published : May 7, 2023, 9:31 PM IST

नई दिल्ली : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली का साफ कहना है कि कानून-व्यवस्था का मुद्दा गंभीर मामला है और किसी भी गंभीर राजनीतिक दल को इस पर विचार करना चाहिए. जहां तक किसी संगठन पर बैन लगाने की बात है, तो जो संस्था राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगी उस पर कार्रवाई होगी. मोइली को पूरा भरोसा है कि इस बार जनता कांग्रेस को सत्ता में लाएगी. हालांकि जब उनसे पूछा गया कि सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री कौन होगा? तो साफ किया कि फैसला नवनिर्वाचित विधायकों की राय पर निर्भर करेगा. विस्तार से पढ़िए पूरा साक्षात्कार.

सवाल : भाजपा ने कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रस्तावित प्रतिबंध का विरोध किया है. पीएम मोदी का आरोप है कि कांग्रेस भगवान हनुमान को बंद करना चाहती है. क्या आपको लगता है कि कांग्रेस घोषणा पत्र में इस मुद्दे का जिक्र करने से बच सकती थी?

जवाब : देखिए, कांग्रेस के घोषणापत्र में क्या कहा गया है, पहले इस बात को स्पष्ट कर लेते हैं. इसमें कहा गया है कि सरकार पीएफआई या बजरंग दल जैसी किसी भी संस्था के खिलाफ कार्रवाई करेगी जो राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगी. अब, कानून-व्यवस्था का मुद्दा एक गंभीर मामला है और किसी भी गंभीर राजनीतिक दल को इस पर विचार करना चाहिए. अगर वे (पीएफआई या बजरंग दल) कानून व्यवस्था को बाधित नहीं करेंगे, तो कोई समस्या नहीं होगी. एक घोषणापत्र को जमीनी स्तर की स्थिति से संबंधित होना चाहिए. उल्लेख हमारे इरादों को स्पष्ट करता है कि हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं.

यहां महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि हमारे घोषणापत्र में इसका जिक्र सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश से आता है जिसमें राज्यों को सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा के लिए किसी भी अभद्र भाषा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है. देश संविधान से चलना चाहिए.

पीएम मोदी की नीतियों ने पिछले वर्षों में सामाजिक सद्भाव को बाधित किया है और वह अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करते हैं. नतीजतन, लोग दुखी हैं. उन्होंने बजरंग दल प्रतिबंध के मुद्दे को पकड़ लिया है क्योंकि भाजपा के पास कर्नाटक में उपलब्धियों के मामले में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है. बजरंग दल का मुद्दा भाजपा की मदद करने वाला नहीं है जो हनुमान चालीसा के पाठ के माध्यम से मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है. इसे पढ़ना ही काफी नहीं है, उन्हें उन मूल्यों पर भी खरा उतरना होगा. सभी धर्म शांति का प्रचार करते हैं न कि घृणा का.

सवाल : कांग्रेस कर्नाटक में आक्रामक प्रचार कर रही है. आप पार्टी की संभावनाओं को कैसे देखते हैं?

जवाब : मुझे लगता है कि हम आराम से बहुमत प्राप्त कर रहे हैं. मैं संख्या का अनुमान नहीं लगाना चाहता लेकिन हम 2018 की तरह जनता दल-सेक्युलर पर निर्भर नहीं रहेंगे. साथ ही, हम भाजपा के मंसूबों से वाकिफ हैं और अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने की योजना के साथ तैयार हैं, जैसा उन्होंने 2019 में किया था. कांग्रेस के लिए आरामदायक बहुमत भाजपा को ऑपरेशन लोटस लॉन्च नहीं करने देगा.

सवाल: कांग्रेस मतदाताओं से किए गए पांच वादों और साफ-सुथरी सरकार के आश्वासन पर निर्भर है. क्या आपको लगता है कि ये मुद्दे राज्य के मतदाताओं को क्लिक करेंगे?

जवाब : हां, मुझे यकीन है कि कर्नाटक के लोग पांच गारंटी पर हमारा समर्थन करने जा रहे हैं. लोग भाजपा शासन के दौरान भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं और एक स्वच्छ और उत्तरदायी सरकार चाहते हैं जो कांग्रेस देने में सक्षम है. 2014 में पीएम ने ब्लैक मनी से प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये और प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्हें भूल गए.

अब एक बार फिर कर्नाटक में पीएम झूठे वादे कर रहे हैं. उन्होंने कोई सबक नहीं सीखा है लेकिन जनता ऐसे खोखले वादों को देख रही है. लोग देखते हैं कि पीएम अकेले राज्य में बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सिर्फ एक ब्लॉटिंग पेपर की तरह हैं. हाल ही में जिस तरह से भाजपा नेताओं का पलायन हुआ उससे सत्ताधारी पार्टी में बेचैनी है, वहीं पार्टी छोड़ने वाले उन नेताओं में कांग्रेस से उम्मीद दिखाई दे रही है.

सवाल : देर से ही सही, हम कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दो प्रबल दावेदारों, राज्य इकाई के प्रमुख डीके शिव कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री के सिद्धारमैया के बारे में सुन रहे हैं. आपकी नजर में इस बार कौन भाग्यशाली रहने वाला है?

जवाब : देखिए, कांग्रेस में आम चलन यह है कि मुख्यमंत्री तय करने से पहले नवनिर्वाचित विधायकों की राय ली जाती है. मैं भी उसी प्रक्रिया के माध्यम से मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था. अब भी वैसा ही होगा.

पढ़ें- Karnataka election 2023 : केवल मोदी की 'जैकेट' मशहूर है और वह इसे दिन में चार बार बदलते हैं : खड़गे

नई दिल्ली : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली का साफ कहना है कि कानून-व्यवस्था का मुद्दा गंभीर मामला है और किसी भी गंभीर राजनीतिक दल को इस पर विचार करना चाहिए. जहां तक किसी संगठन पर बैन लगाने की बात है, तो जो संस्था राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगी उस पर कार्रवाई होगी. मोइली को पूरा भरोसा है कि इस बार जनता कांग्रेस को सत्ता में लाएगी. हालांकि जब उनसे पूछा गया कि सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री कौन होगा? तो साफ किया कि फैसला नवनिर्वाचित विधायकों की राय पर निर्भर करेगा. विस्तार से पढ़िए पूरा साक्षात्कार.

सवाल : भाजपा ने कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रस्तावित प्रतिबंध का विरोध किया है. पीएम मोदी का आरोप है कि कांग्रेस भगवान हनुमान को बंद करना चाहती है. क्या आपको लगता है कि कांग्रेस घोषणा पत्र में इस मुद्दे का जिक्र करने से बच सकती थी?

जवाब : देखिए, कांग्रेस के घोषणापत्र में क्या कहा गया है, पहले इस बात को स्पष्ट कर लेते हैं. इसमें कहा गया है कि सरकार पीएफआई या बजरंग दल जैसी किसी भी संस्था के खिलाफ कार्रवाई करेगी जो राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगी. अब, कानून-व्यवस्था का मुद्दा एक गंभीर मामला है और किसी भी गंभीर राजनीतिक दल को इस पर विचार करना चाहिए. अगर वे (पीएफआई या बजरंग दल) कानून व्यवस्था को बाधित नहीं करेंगे, तो कोई समस्या नहीं होगी. एक घोषणापत्र को जमीनी स्तर की स्थिति से संबंधित होना चाहिए. उल्लेख हमारे इरादों को स्पष्ट करता है कि हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं.

यहां महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि हमारे घोषणापत्र में इसका जिक्र सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश से आता है जिसमें राज्यों को सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा के लिए किसी भी अभद्र भाषा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है. देश संविधान से चलना चाहिए.

पीएम मोदी की नीतियों ने पिछले वर्षों में सामाजिक सद्भाव को बाधित किया है और वह अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करते हैं. नतीजतन, लोग दुखी हैं. उन्होंने बजरंग दल प्रतिबंध के मुद्दे को पकड़ लिया है क्योंकि भाजपा के पास कर्नाटक में उपलब्धियों के मामले में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है. बजरंग दल का मुद्दा भाजपा की मदद करने वाला नहीं है जो हनुमान चालीसा के पाठ के माध्यम से मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है. इसे पढ़ना ही काफी नहीं है, उन्हें उन मूल्यों पर भी खरा उतरना होगा. सभी धर्म शांति का प्रचार करते हैं न कि घृणा का.

सवाल : कांग्रेस कर्नाटक में आक्रामक प्रचार कर रही है. आप पार्टी की संभावनाओं को कैसे देखते हैं?

जवाब : मुझे लगता है कि हम आराम से बहुमत प्राप्त कर रहे हैं. मैं संख्या का अनुमान नहीं लगाना चाहता लेकिन हम 2018 की तरह जनता दल-सेक्युलर पर निर्भर नहीं रहेंगे. साथ ही, हम भाजपा के मंसूबों से वाकिफ हैं और अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने की योजना के साथ तैयार हैं, जैसा उन्होंने 2019 में किया था. कांग्रेस के लिए आरामदायक बहुमत भाजपा को ऑपरेशन लोटस लॉन्च नहीं करने देगा.

सवाल: कांग्रेस मतदाताओं से किए गए पांच वादों और साफ-सुथरी सरकार के आश्वासन पर निर्भर है. क्या आपको लगता है कि ये मुद्दे राज्य के मतदाताओं को क्लिक करेंगे?

जवाब : हां, मुझे यकीन है कि कर्नाटक के लोग पांच गारंटी पर हमारा समर्थन करने जा रहे हैं. लोग भाजपा शासन के दौरान भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं और एक स्वच्छ और उत्तरदायी सरकार चाहते हैं जो कांग्रेस देने में सक्षम है. 2014 में पीएम ने ब्लैक मनी से प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये और प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्हें भूल गए.

अब एक बार फिर कर्नाटक में पीएम झूठे वादे कर रहे हैं. उन्होंने कोई सबक नहीं सीखा है लेकिन जनता ऐसे खोखले वादों को देख रही है. लोग देखते हैं कि पीएम अकेले राज्य में बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सिर्फ एक ब्लॉटिंग पेपर की तरह हैं. हाल ही में जिस तरह से भाजपा नेताओं का पलायन हुआ उससे सत्ताधारी पार्टी में बेचैनी है, वहीं पार्टी छोड़ने वाले उन नेताओं में कांग्रेस से उम्मीद दिखाई दे रही है.

सवाल : देर से ही सही, हम कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दो प्रबल दावेदारों, राज्य इकाई के प्रमुख डीके शिव कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री के सिद्धारमैया के बारे में सुन रहे हैं. आपकी नजर में इस बार कौन भाग्यशाली रहने वाला है?

जवाब : देखिए, कांग्रेस में आम चलन यह है कि मुख्यमंत्री तय करने से पहले नवनिर्वाचित विधायकों की राय ली जाती है. मैं भी उसी प्रक्रिया के माध्यम से मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था. अब भी वैसा ही होगा.

पढ़ें- Karnataka election 2023 : केवल मोदी की 'जैकेट' मशहूर है और वह इसे दिन में चार बार बदलते हैं : खड़गे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.