ETV Bharat / bharat

एनएचआरसी की रिपोर्ट के जवाब में हलफनामा दे बंगाल सरकार : अदालत

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल चुनाव हिंसा के मामले में तैयार एनएचआरसी की रिपोर्ट पर बंगाल सरकार को हलफनामे के जरिये जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.

khc
khc
author img

By

Published : Jul 22, 2021, 5:42 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में चुनाव उपरांत हुई हिंसा के मामले में तैयार एनएचआरसी की रिपोर्ट पर हलफनामे के जरिये जवाब दाखिल करे.

उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कथित तौर पर लोगों पर हमले करने, घरों से भागने पर मजबूर करने और संपत्ति को नष्ट करने के खिलाफ दाखिल कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. अदालत ने राज्य सरकार को 26 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. वहीं, इस मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर लगे आरोपों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में स्थिति 'कानून के राज' के बजाय ' राजा के राज' जैसी है.

सात सदस्यीय समिति ने 13 जुलाई को उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट जमा की, जिसमें अनुशंसा की गई है कि हत्या और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए और इन मामलों की सुनवाई राज्य से बाहर होनी चाहिए.

एक प्रतिवादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि एनएचआरसी की रिपोर्ट में अनियमितता है और इसमें अपराध के उन आरोपों को शामिल किया है जो दो मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले के हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में राजनीतिक पहलू की बू आ रही है.

पढ़ें :- बंगाल चुनाव हिंसा : BJP कार्यकर्ताओं की मौत की जांच SIT से कराने को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

एक याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने अदालत के समक्ष कहा कि एनएचआरसी की रिपोर्ट पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था की सही स्थिति को प्रतिबिंबित करती है.

उन्होंने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ से अनुरोध किया कि हत्या और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों की जांच स्वतंत्र जांच एजेंसी को दी जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके.

एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट में राज्य में सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा मुख्य विपक्षी पार्टी के लोगों पर 'प्रतिशोधात्मक हिंसा' की भी चर्चा की है. वहीं, एनएचआरसी की टिप्पणी की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार 'राजनीतिक हिसाब चुकता करने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है और राज्य को बदनाम कर रही है.'

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में चुनाव उपरांत हुई हिंसा के मामले में तैयार एनएचआरसी की रिपोर्ट पर हलफनामे के जरिये जवाब दाखिल करे.

उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कथित तौर पर लोगों पर हमले करने, घरों से भागने पर मजबूर करने और संपत्ति को नष्ट करने के खिलाफ दाखिल कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. अदालत ने राज्य सरकार को 26 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. वहीं, इस मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर लगे आरोपों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में स्थिति 'कानून के राज' के बजाय ' राजा के राज' जैसी है.

सात सदस्यीय समिति ने 13 जुलाई को उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट जमा की, जिसमें अनुशंसा की गई है कि हत्या और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए और इन मामलों की सुनवाई राज्य से बाहर होनी चाहिए.

एक प्रतिवादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि एनएचआरसी की रिपोर्ट में अनियमितता है और इसमें अपराध के उन आरोपों को शामिल किया है जो दो मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले के हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में राजनीतिक पहलू की बू आ रही है.

पढ़ें :- बंगाल चुनाव हिंसा : BJP कार्यकर्ताओं की मौत की जांच SIT से कराने को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

एक याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने अदालत के समक्ष कहा कि एनएचआरसी की रिपोर्ट पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था की सही स्थिति को प्रतिबिंबित करती है.

उन्होंने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ से अनुरोध किया कि हत्या और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों की जांच स्वतंत्र जांच एजेंसी को दी जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके.

एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट में राज्य में सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा मुख्य विपक्षी पार्टी के लोगों पर 'प्रतिशोधात्मक हिंसा' की भी चर्चा की है. वहीं, एनएचआरसी की टिप्पणी की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार 'राजनीतिक हिसाब चुकता करने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है और राज्य को बदनाम कर रही है.'

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.