अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में 6 दिसंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जियारत (WB CM Mamta Banerjee Garib Nawaz Dargah visit) करेंगी. ममता बनर्जी दूसरी बार दरगाह आ रही हैं. इससे पहले वे रेल मंत्री बनने से पहले दरगाह आई थीं. दरगाह जियारत के बाद ममता बनर्जी का पुष्कर में पवित्र सरोवर की पूजा-अर्चना और जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन का भी कार्यक्रम है.
ममता बनर्जी 6 दिसंबर को किशनगढ़ हेलीपैड उतरेंगी. इसके बाद सीधे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह जियारत के लिए जाएंगी. 24 वर्ष बाद ममता अजमेर दरगाह आ रही हैं. दरगाह के खादिम सैयद मुकद्दस मोइनी ने बताया कि ममता बनर्जी पहली बार वर्ष 1999 में रेल मंत्री बनने से पहले अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आई थीं. मोइनी बताते हैं कि दरगाह जियारत के दौरान उन्होंने दुआ करने के लिए कहा था कि वह राजनीति में कामयाब होकर देश और प्रदेश की सेवा कर सकें. दरगाह आने के 4 महीने बाद ही वह देश की रेल मंत्री बनी थीं.
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उन्होंने बताया कि जियारत के बाद तत्कालीन सांसद ममता बनर्जी को दुपट्टा ओढ़ाकर तबर्रुक (प्रसाद) भेंट किया गया था. दरगाह के मुख्य द्वार निजाम गेट पर 1999 में पहली बार उनके दरगाह आने की याद के रूप में फोटो भी खिंचाया था. वह फोटो आज भी मेरे पास मौजूद है. इसमें ममता के साथ मैं और मेरा भाई सैयद हिमायत भी मौजूद थे. खादिम मुकद्दस मोईनी ने बताया कि ममता बनर्जी की ख्वाजा गरीब नवाज में गहरी आस्था है. वह ख्वाजा गरीब नवाज के हर सालाना उर्स पर चादर और संदेश भेजती रही हैं.