लखनऊ : मोहर्रम से पहले डीजीपी का सरकारी पत्र वायरल होने और उसपर मचे बवाल पर अब शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी का भी बयान सामने आया है. वसीम रिज़वी ने अती गोपनीय पत्र वायरल होने के मामले पर मौलानाओं को ही दोषी ठहराया है और दंगा भड़काने की साज़िश करार दिया है. बीते दिनों पुलिस मुखिया का अति गोपनीय पत्र वायरल होने के बाद से शिया मौलानाओं में भारी नाराज़गी देखी जा रही है.
पुलिस मुखिया का अति गोपनीय पत्र वायरल होने के मामले में मंगलवार को वसीम रिज़वी ने कहा कि मोहर्रम शुरू होने से पहले एक अति गोपनीय सरकारी पत्र को वायरल कर कुछ मौलाना और संगठन दंगा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह मौलाना शिया संप्रदाय के जज्बातों को भड़का कर कोई घटना घटित करवाना चाहते हैं, जिससे कि उसकी जिम्मेदारी सरकार पर बने. वसीम रिज़वी ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में कोई छोटी या बड़ी घटना घटती है, तो उसकी जिम्मेदारी इन मौलानाओं की तय करके और उस घटना में हुए नुकसान की भरपाई इन मौलाना से करवाई जानी चाहिए.
अपने विवादित बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले वसीम रिजवी ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए शिया मौलानाओं पर हमला बोला है. वसीम रिजवी ने कहा कि मोहर्रम के सवा दो महीने मौलवियों की रोजी रोटी चलती है. अगर इमाम हुसैन की शहादत न हुई होती तो मौलवियों के लिए इन सवा दो महीने रोजी रोटी कमाना मुश्किल हो गया होता. वसीम रिजवी ने कहा कि गोपनीय पत्र को वायरल करना प्रदेश कि फिजा को खराब करना है.
वसीम रिजवी ने कहा कि कोरोना को देखते हुए मोहर्रम से पहले जो गाइडलाइंस जारी की गई है, वह हर शिया को मानना चाहिए और गम के त्योहार को उसी के तहत मनाना चाहिए. वसीम रिजवी ने कहा कि हम अपने त्योहार में बीमारी फैला दें या किसी को तकलीफ पहुंचाए यह भी जायज बात नहीं होगी. वसीम रिजवी ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि किसी को भी मौलानाओं की बातों में नहीं आना चाहिए. क्योंकि यह आपको हुकूमत कि नजरों में बुरा बनाते हैं.