गया : जिले के वार्ड नंबर 27 की वार्ड पार्षद कर्तव्य को बिना भूले परिवार और समाज दोनों के लिए एक साथ काम कर रही हैं. पार्षद आशा देवी को कुर्सी मिली तो उन्होंने कुर्सी के दायित्व को समझा. हालांकि, पुश्तैनी काम को भी बरकरार रखा. ताकि जो पिता और दादा ने किया, उस कार्य को खत्म ना करें.
आशा देवी का मानना है, जिस कार्य से लोगों का स्नेह मिला, लोगों का प्रेम मिला, उस कार्य को नहीं छोड़ सकते. बता दें कि पार्षद आशा देवी गया के अलीगंज मोहल्ले में एक किराए के दुकान पर दूसरे के गंदे कपड़े धोने का काम करती हैं और उसके बाद उसे प्रेस कर घर-घर पहुंचाती भी हैं, लेकिन इससे पहले वे सुबह जल्दी उठकर वार्ड का भी काम करती हैं.
शान-ओ-शौकत से हैं दूर
आशा देवी को लोगों ने अपनी पसंद से पार्षद बनाया. आशा देवी ने जनप्रतिनिधि बनने का रौब कभी नहीं दिखाया. वे तड़के उठती हैं. वार्ड में साफ-सफाई और अन्य कामों को करवाती हैं. कभी कोई बैठक हो, तो उसमें शामिल होकर वार्ड की तरक्की की भी बातें रखती हैं. दोपहर होते ही वह अपने पुराने काम में लग जाती हैं.
पढ़ें- वोटिंग के दिन नंदीग्राम में तैनात होंगी केंद्रीय बलों की 22 कंपनियां
परिवार के लोग रहते हैं साथ
मैं अपने गांव में मुखिया-सरपंच को देख चुकी हूं. उनके पास पैसा रहता था, लोग होते थे. मेरे यहां कुछ नहीं है. एक घर है, उसमें बड़ी मुश्किल से हम लोग रहते हैं. हमारी सास जब वार्ड पार्षद बनीं, तब से पैदल ही चल रही हैं. घर में एक बाइक है, उससे नगर निगम जाते हैं. वार्ड का सारा काम निपटाकर आते हैं, उसके बाद पुश्तेनी काम में लग जाते हैं. हम लोग भी उनका हाथ बटाते हैं- गीता देवी, वार्ड पार्षद की बड़ी बहू
ना तो रुपए थे और ना जानकारी
वार्ड पार्षद आशा देवी बताती हैं कि मेरे घर का पुश्तैनी काम है, जो मैं सालों साल से करती आ रही हूं. जब लोगों ने वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए मुझे कहा तो मेरे पास ना तो रुपए थे और ना ही कोई जानकारी. वार्ड की जनता ने मुझे रुपये और वोट देकर मुझे चुनाव लड़वाया और जीत दर्ज करवायी. वार्ड पार्षद के काम में कोई कमाई नहीं है, इसलिए मैं अपने घर को चलाने के लिए पुश्तैनी काम करती हूं. आज भी घर-घर जाकर कपड़ा लाती हूं, कपड़ों को धोकर उसे आयरन करके उन्हें देती हूं.
अदब से पेश आते हैं लोग
आशा देवी कहती हैं, मुझे इस काम को करते हुए 40 साल हो गए. मुझे पहले भी लोग इज्जत देते थे, इसलिए चुनाव जीती. आज भी घर में कपड़ा लेने या देने जाती हूं, लोग बड़ी अदब से पेश आते हैं. मैं सुबह सबसे पहले वार्ड की साफ-सफाई करवाती हूं. फिर वार्ड की समस्या को हल करती हूं. गया नगर निगम की हर बैठक में मेरी उपस्थिति शत-प्रतिशत दर्ज रहती है.
पढ़ें- दूसरे राज्यों के गुंडे नंदीग्राम में दाखिल हो गए, निर्वाचन आयोग करे कार्रवाई : ममता
नगर आयुक्त ने भी की तारीफ
वहीं, गया नगर निगम के नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि मुझे उनके बारे में जानकारी मिली है. आशा देवी वार्ड पार्षद बनने के बाद भी अपने पुश्तैनी काम को कर रही हैं. पुश्तैनी काम और वार्ड पार्षद के काम में बड़ी बेहतरीन तरीके से तालमेल रखती हैं. उनके जुनून और हौसले का नगर निगम भी कद्र करता है. आगामी बैठक में उन्हें हम लोग सम्मानित करेंगे.
चंदे से लड़ी चुनाव
वार्ड नं 27 के स्थानीय लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा करके इन्हें चुनाव लड़वाया. चुनाव जीतने के लगभग चार साल बीतने पर भी आशा देवी में किसी प्रकार का गुरूर नहीं है. आज भी सहज रूप से लोगों से मिलती हैं और लोगों के घर जाकर कपड़ा धोने के लिए लाती हैं.