ETV Bharat / bharat

दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध असम के जंगल में छोड़ा जाएगा, चक्रवात में भटककर पहुंचा था कन्याकुमारी - native of east Asian countries

2017 में रास्ता भटककर कन्याकुमारी पहुंचे दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध को कल असम के जंगलों में छोड़ दिया जाएगा. इसके शरीर पर जीपीएस लगाया गया है, ताकि इस प्रजाति के बारे में और जानकारी हासिल की जा सके. पढ़ें पूरी खबर

native of east Asian countries landed in Kanyakumari
दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध
author img

By

Published : Sep 23, 2022, 9:38 PM IST

कन्याकुमारी: 2017 में आए ओखी चक्रवात (Okhi cyclone) के दौरान दुर्लभ ईगल प्रजाति सिनेरियस का एक गिद्ध (rare eagle species named cinereous vulture) रास्ता भटक गया था. कन्याकुमारी में वन अधिकारियों को यह घायल अवस्था में मिला था. उत्थागिरी कोट्टई चिड़ियाघर पार्क (uthayagiri kottai Zoo park) में कई साल से इसका चिकित्सकीय उपचार और रखरखाव किया जा रहा है.

देखिए वीडियो

केंद्र और राज्य सरकारों ने इस पर जीपीएस डिवाइस लगाने का फैसला किया है और वन विभाग कल (24 सितंबर) इसे कन्याकुमारी जिले से असम राज्य में ले जाने की तैयारी कर रहा है. बचाए जाने पर 'सिनेरियस ईगल', जो खड़ा भी नहीं हो पा रहा था, अब नए जोश के साथ सरपट दौड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.

इस संबंध में वन विभाग के अधिकारी इलियाराजा ने कहा, 'यह गिद्ध प्रजाति साढ़े तीन फीट ऊंची होती है. इसे बड़ी आंखों, तेज नाखूनों, तेज नाक और 6 से 14 किलोग्राम वजन के लिए जाना जाता है. जहां तक ​​भारत की बात है तो कहा जाता है कि ये गिद्ध ज्यादातर गुजरात में पाए जाते हैं. पिछले चार साल से हम इस बाज को हर दो दिन में डेढ़ किलो तक का मांस देकर उसकी देखभाल कर रहे हैं.'

वन्यजीव उत्साही लोगों ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारों को हस्तक्षेप करना चाहिए और बाज को जंगल में ले जाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. इस मामले में चूंकि यह एक संरक्षित प्रजाति है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों ने इस पर जीपीएस उपकरण लगाने और इसकी निगरानी करने का फैसला किया है. वन्यजीव कल्याण कार्यकर्ता भी राज्य और केंद्र सरकारों से दुर्लभ जीव को वन क्षेत्र में रिहा करने का अनुरोध कर रहे थे.

जीपीएस से रखी जाएगी नजर : दुर्लभ प्रजाति होने के कारण गिद्ध पर नजर रखने के लिए जीपीएस उपकरण लगाया गया है. इस खास जीपीएस डिवाइस को लिडवेनिया (lidveniya) से शिप किया गया है. वन अधिकारी ने कहा, 'हम कल (सितंबर 24) तक गिद्ध को असम ले जाने की योजना बना रहे हैं.' वन अधिकारियों ने कहा, 'जीपीएस डिवाइस की निगरानी से हम इस दुर्लभ जीव के बारे में और भी अधिक जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं.'

पढ़ें- Vultures in Himachal Pradesh: हिमाचल में सफल हो रहा गिद्ध बचाओ अभियान, सैटेलाइट टैगिंग से हो रही स्टडी

कन्याकुमारी: 2017 में आए ओखी चक्रवात (Okhi cyclone) के दौरान दुर्लभ ईगल प्रजाति सिनेरियस का एक गिद्ध (rare eagle species named cinereous vulture) रास्ता भटक गया था. कन्याकुमारी में वन अधिकारियों को यह घायल अवस्था में मिला था. उत्थागिरी कोट्टई चिड़ियाघर पार्क (uthayagiri kottai Zoo park) में कई साल से इसका चिकित्सकीय उपचार और रखरखाव किया जा रहा है.

देखिए वीडियो

केंद्र और राज्य सरकारों ने इस पर जीपीएस डिवाइस लगाने का फैसला किया है और वन विभाग कल (24 सितंबर) इसे कन्याकुमारी जिले से असम राज्य में ले जाने की तैयारी कर रहा है. बचाए जाने पर 'सिनेरियस ईगल', जो खड़ा भी नहीं हो पा रहा था, अब नए जोश के साथ सरपट दौड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.

इस संबंध में वन विभाग के अधिकारी इलियाराजा ने कहा, 'यह गिद्ध प्रजाति साढ़े तीन फीट ऊंची होती है. इसे बड़ी आंखों, तेज नाखूनों, तेज नाक और 6 से 14 किलोग्राम वजन के लिए जाना जाता है. जहां तक ​​भारत की बात है तो कहा जाता है कि ये गिद्ध ज्यादातर गुजरात में पाए जाते हैं. पिछले चार साल से हम इस बाज को हर दो दिन में डेढ़ किलो तक का मांस देकर उसकी देखभाल कर रहे हैं.'

वन्यजीव उत्साही लोगों ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारों को हस्तक्षेप करना चाहिए और बाज को जंगल में ले जाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. इस मामले में चूंकि यह एक संरक्षित प्रजाति है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों ने इस पर जीपीएस उपकरण लगाने और इसकी निगरानी करने का फैसला किया है. वन्यजीव कल्याण कार्यकर्ता भी राज्य और केंद्र सरकारों से दुर्लभ जीव को वन क्षेत्र में रिहा करने का अनुरोध कर रहे थे.

जीपीएस से रखी जाएगी नजर : दुर्लभ प्रजाति होने के कारण गिद्ध पर नजर रखने के लिए जीपीएस उपकरण लगाया गया है. इस खास जीपीएस डिवाइस को लिडवेनिया (lidveniya) से शिप किया गया है. वन अधिकारी ने कहा, 'हम कल (सितंबर 24) तक गिद्ध को असम ले जाने की योजना बना रहे हैं.' वन अधिकारियों ने कहा, 'जीपीएस डिवाइस की निगरानी से हम इस दुर्लभ जीव के बारे में और भी अधिक जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं.'

पढ़ें- Vultures in Himachal Pradesh: हिमाचल में सफल हो रहा गिद्ध बचाओ अभियान, सैटेलाइट टैगिंग से हो रही स्टडी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.