जबलपुर। राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा ने जबलपुर के जिला न्यायालय में विश्वेश्वरी मिश्रा की अदालत में ओबीसी आरक्षण रोकने के मामले में अपना कथन दर्ज करवाया है. करीब एक साल पहले ओबीसी आरक्षण मामले पर विवेक तंखा ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह को 10 करोड़ रुपए के मानहानि का नोटिस भेजा था. विवेक तंखा का आरोप है कि शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह को इस बात की जानकारी थी कि मैंने कोर्ट में आरक्षण को लेकर कोई बात नहीं कही लेकिन इसके बाद भी मेरे खिलाफ प्रचार किया गया. ना तो मेरे नोटिस का जवाब दिया गया और ना ही सार्वजनिक तौर पर इस बयान की माफी मांगी गई, तब मेरे पास कोर्ट के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. कोर्ट में इस दौरान उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल भी मौजूद रहे.
सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण पर तंखा: विवेक तंखा ने अपने कथन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में वे मनमोहन नागर की ओर से दायर याचिका में गए हुए थे और उनकी याचिका में केवल परिसीमन और रोटेशन लागू करने की मांग की थी. हमारी याचिका में ओबीसी आरक्षण का जिक्र नहीं था. हमारा कहना सिर्फ इतना था कि गैर कानूनी तरीके से चुनाव करवाए जा रहे हैं यदि रद्द होते हैं तो आम जनता के पैसे की हानि होगी, लेकिन याचिका खत्म होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने मुझे अन्य पिछड़ा वर्ग का विलेन बना कर पेश किया.
विवेक तंखा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पूरी बहस की रिकॉर्डिंग हुई है जो मैंने अपने परिवाद के साथ दाखिल की है. इसमें कहीं भी ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर मैंने कोई बयान नहीं दिया. ओबीसी आरक्षण को लेकर जो भी व्यवस्था चुनाव के दौरान हुई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई थी. इसमें मेरी याचिका का कोई लेन-देन नहीं था. विवेक तंखा ने कोर्ट में दिए बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की प्रोसिडिंग सभी ने लाइव देखी थी और सब को इस बात की जानकारी थी कि कोर्ट में मैंने आरक्षण को लेकर कोई बात नहीं कही थी लेकिन जब राज्य सरकार चुनाव हार गई तो ओबीसी को आरक्षण न दिलवाने का ठीकरा मेरे सर पर पटक दिया.
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बीजेपी ने किया दुष्प्रचार: विवेक तंखा का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने बकायदा अभियान बनाकर मध्य प्रदेश के शहरों से लेकर गांव तक इस बात का प्रचार किया कि अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मेरी वजह से नहीं मिल पाया. विवेक तंखा का कहना है कि यह केवल मेरी मानहानि नहीं थी बल्कि न्यायालय की कार्यवाही पर सवाल खड़े करना है. इस घटना के बाद शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने ना तो उनके नोटिस का जवाब दिया और ना ही किसी ने सार्वजनिक तौर पर इस बयान को गलत ठहराया. विवेक तंखा का कहना है इस प्रचार-प्रसार के बाद मुझे हजारों लोगों ने फोन करके कहा कि आपने ओबीसी के खिलाफ गलत किया है. विवेक तंखा ने अपने कथन के साथ सुप्रीम कोर्ट की प्रोसिडिंग की लाइव फुटेज और मीडिया रिपोर्ट्स को भी कोर्ट में जमा की है. इस कदम के बाद कोर्ट शिवराज सिंह, वी डी शर्मा और भूपेंद्र सिंह की ओर से जवाब मांगा जाएगा.