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विकास दुबे मुठभेड़: यूपी सरकार को पैनल की सिफारिशों के अनुरूप कदम उठाने का निर्देश - यूपी सरकार विकास दुबे मुठभेड़

गैंगस्टर विकास दुबे मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को पैनल की सिफारिशों के अनुसार कदम उठाने के निर्देश दिए. साथ ही शीर्ष अदालत ने जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और उसकी वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है.

Vikas Dubey encounter case SC
विकास दुबे मुठभेड़
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Published : Jul 22, 2022, 6:32 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे और अन्य लोगों की मुठभेड़ में हुई मौत की जांच के लिए फिर से एक आयोग गठित करने समेत राहत का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को पैनल की सिफारिशों के अनुसार कदम उठाने के निर्देश दिए. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और उसकी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए.

न्यायमूर्ति चौहान के पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जुलाई, 2020 में कानपुर में बिकरू कांड के बाद मुठभेड़ में गैंगस्टर दुबे और उसके गिरोह के अन्य सदस्यों की मौत संबंधी पुलिस के संस्करण को लेकर कोई संदेह नहीं है, क्योंकि आम जन या मीडिया में से किसी भी व्यक्ति ने पुलिस के दावे का विरोध नहीं किया और न ही इसे नकारने वाला कोई सबूत दाखिल किया गया. वकील घनश्याम उपाध्याय ने याचिका दायर करके दुबे और अन्य संबंधी मुठभेड़ की जांच के लिए जांच आयोग का पुनर्गठन किए जाने का अनुरोध किया था. शीर्ष अदालत ने 19 अगस्त, 2020 को न्यायिक आयोग को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी थी.

यह भी पढ़ें- बिकरु कांडः लखनऊ में कुख्यात अपराधी विकास दुबे का मकान सील

कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में तीन जुलाई, 2020 की रात आठ पुलिसकर्मियों की उस समय मौत हो गयी थी, जब वे विकास दुबे को गिरफ्तार करने जा रहे थे और उन पर हमला कर दिया गया था. पुलिस ने कहा था कि दुबे की 10 जुलाई, 2020 की सुबह पुलिस मुठभेड़ में उस समय मौत हो गई थी, जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसने घटनास्थल से भागने की कोशिश की थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे और अन्य लोगों की मुठभेड़ में हुई मौत की जांच के लिए फिर से एक आयोग गठित करने समेत राहत का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को पैनल की सिफारिशों के अनुसार कदम उठाने के निर्देश दिए. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और उसकी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए.

न्यायमूर्ति चौहान के पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जुलाई, 2020 में कानपुर में बिकरू कांड के बाद मुठभेड़ में गैंगस्टर दुबे और उसके गिरोह के अन्य सदस्यों की मौत संबंधी पुलिस के संस्करण को लेकर कोई संदेह नहीं है, क्योंकि आम जन या मीडिया में से किसी भी व्यक्ति ने पुलिस के दावे का विरोध नहीं किया और न ही इसे नकारने वाला कोई सबूत दाखिल किया गया. वकील घनश्याम उपाध्याय ने याचिका दायर करके दुबे और अन्य संबंधी मुठभेड़ की जांच के लिए जांच आयोग का पुनर्गठन किए जाने का अनुरोध किया था. शीर्ष अदालत ने 19 अगस्त, 2020 को न्यायिक आयोग को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी थी.

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कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में तीन जुलाई, 2020 की रात आठ पुलिसकर्मियों की उस समय मौत हो गयी थी, जब वे विकास दुबे को गिरफ्तार करने जा रहे थे और उन पर हमला कर दिया गया था. पुलिस ने कहा था कि दुबे की 10 जुलाई, 2020 की सुबह पुलिस मुठभेड़ में उस समय मौत हो गई थी, जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसने घटनास्थल से भागने की कोशिश की थी.

(पीटीआई-भाषा)

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