चेन्नई : एमके स्टालिन की सत्ताधारी द्रमुक सरकार एक के बाद एक अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्रियों पर निशाना साध रही है. मई 2021 में DMK के सत्ता में आने के बाद से, एडापड्डी के पलानीस्वामी (EPS) कैबिनेट के सात प्रमुख सदस्यों पर छापेमारी की गई है. उन्हें बैकपुट पर रहने को मजबूर किया है. शुक्रवार को तिरुवरूर जिले के मन्नारगुडी और यहां अन्नाद्रमुक विधायक और पूर्व मंत्री आर कामराज के घर की तलाशी ली. सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीएवीसी) के अधिकारियों ने भी कामराज के बेटों इनियान और इनबान और उनके तीन सहयोगियों के परिसरों में एक साथ तलाशी अभियान शुरू किया.
डीवीएसी ने कामराज के खिलाफ 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2021 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 58 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जमा करने का मामला दर्ज किया है. डीवीएसी ने इससे पहले अन्नाद्रमुक सरकार के पूर्व मंत्रियों जैसे एम.आर. विजयभास्कर, सी. विजयभास्कर, एस.पी. वेलुमणि, के.सी. वीरमणि और थगमानी के परिसरों पर छापेमारी की थी. उस सूची में कामराज का नाम जुड़ गया है.
पिछली सरकार में 'भ्रष्ट' लोगों पर मुकदमा चलाना द्रमुक का एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा था और पार्टी ने अपने घोषणापत्र में तेजी से कार्रवाई करने का वादा किया था. विधानसभा चुनाव से पहले ही डीएमके ने राज्यपाल को दो ज्ञापन सौंपे थे, जिसमें ईपीएस और उनके कैबिनेट सहयोगियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को सूचीबद्ध किया गया था. भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ, अरप्पोर इयक्कम ने उनके और शीर्ष आईएएस अधिकारियों के खिलाफ डीवीएसी में कई शिकायतें दर्ज की थीं.
जुलाई 2021 में निगरानी के दायरे में आने वाले पहले पूर्व परिवहन मंत्री एमआर विजयभास्कर थे, जो करूर विधानसभा सीट अपने धुरंधर, सेंथिल बालाजी, वर्तमान परिवहन मंत्री से हार गए थे. डीवीएसी के अनुसार, उनके और उनके सहयोगियों के परिसरों की तलाशी में 25.56 लाख रुपये नकद और दस्तावेजों से पता चला है. उनके पास 6.11 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति थी.
अगली छापेमारी पूर्व स्थानीय प्रशासन मंत्री और अन्नाद्रमुक के दिग्गज नेता एसपी वेलुमणि के यहां हुई. जांच में सामने आया कि उन्होंने 51.09 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी. दिलचस्प बात यह है कि उपनगरीय कोयंबटूर में उनके आवास की तलाशी के दौरान, वहां बड़ी संख्या में एकत्र हुए विरोध करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को भोजन और पेय पदार्थ उपलब्ध कराए गए! छापेमारी के फौरन बाद, जिले में पुलिस प्रतिष्ठान में हड़कंप मच गया और कथित तौर पर रेड के बारे में पहले से सूचना देने के लिए कई लोगों का तबादला कर दिया गया.
इसके बाद पूर्व बिजली मंत्री पी थंगमणि, पूर्व वाणिज्यिक कर मंत्री केसी वीरमणि, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री केपी अंबालागन के परिसरों की तलाशी ली गई. अब तक उनकी आय के ज्ञात स्रोतों के अनुपात में कुल संपत्ति 200 करोड़ रुपये के करीब है. अन्नाद्रमुक के प्रमुख पदाधिकारियों के खिलाफ सतर्कता मामलों के अलावा, दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के कोडनाड एस्टेट बंगले में सनसनीखेज चोरी और हत्याओं की जांच पूर्व मुख्यमंत्री ईपीएस को परेशान करने लगी है. पार्टी में नेतृत्व को लेकर मौजूदा भाईचारे की जंग में ओ पनीरसेल्वम खेमा सरकार से जांच की गति तेज करने की मांग करता रहा है. लेकिन संदिग्धों से एक बार फिर पूछताछ करने और बयान हासिल करने के लिए मामले की नई जांच आगे नहीं बढ़ी है. इससे ईपीएस को थोड़ी राहत जरूर मिली होगी.
स्टालिन सरकार की रणनीति का हिस्सा : जानकार इस बात से हैरान हैं कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज इन मामलों में कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. अब, विश्लेषकों का मानना है कि यह मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की एक रणनीति है जो आरोपी पूर्व मंत्रियों को फंदे में फंसाए रखना है. साथ ही ये भी जाहिर नहीं होने देना है कि सरकार किसी बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है. विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा लगता है कि अगले चुनाव तक इस तरह की कार्रवाई जारी रख जनता के बीच भ्रष्टाचार का मुद्दा ले जाना है.
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