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'आसन पर कोई बात थोपी नहीं जा सकती, ड्रामेबाजी स्वीकार नहीं'

वेंकैया नायडू ने उच्च सदन में कहा कि वह सदन के किसी भी वर्ग के दबाव में काम नहीं करेंगे. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आसन पर चाहे कोई भी हो, आसन पर बात थोपी नहीं जा सकती और कोई ड्रामेबाजी स्वीकार नहीं की जाएगी.

वेंकैया नायडू
वेंकैया नायडू
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Published : Jul 27, 2021, 5:23 PM IST

Updated : Jul 27, 2021, 7:07 PM IST

नई दिल्ली : सभापति एम वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध की वजह से राज्यसभा में कार्यवाही लगातार बाधित (Proceedings continuously disrupted in Rajya Sabha) होने पर अप्रसन्नता जाहिर की है. इसके साथ ही उन्होंने आज (मंगलवार) कहा, आसन पर कोई बात थोपी नहीं जा सकती. व्यवधान से देश हित और सदन में सदस्यों के हित प्रभावित होते हैं.

सभापति एम वेंकैया नायडू की प्रतिक्रिया

सभापति ने उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर किए जा रहे हंगामे की ओर संकेत करते हुए कहा, वह सदन के किसी भी वर्ग के दबाव में काम नहीं करेंगे. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, आसन पर चाहे कोई भी हो, आसन पर बात थोपी नहीं जा सकती और कोई ड्रामेबाजी स्वीकार नहीं की जाएगी.

हंगामा कर रहे सदस्यों से सदन की कार्यवाही बाधित करने के उनके रवैये को लेकर आत्मावलोकन करने की अपील करते हुए नायडू ने कहा, शून्यकाल, विशेष उल्लेख आदि के माध्यम से जहां सदस्यों को जन हित से जुड़े मुद्दे उठाने का अवसर मिलता है. वहीं प्रश्नकाल के तहत वे अहम मुद्दों से जुड़े सवाल पूछते हैं. उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही बाधित होने से न केवल देश हित को नुकसान पहुंचता है, बल्कि सदस्यों और संसद के हित भी प्रभावित होते हैं.

पढ़ें- मानसून सत्र : पेगासस मुद्दे पर संसद में हंगामा, दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित

सभापति ने कहा, संसद के इस मानसून सत्र में 19 बैठकें होनी थीं, जिनमें से आज छठी बैठक है. हम अब तक कामकाज उस तरह से शुरू नहीं कर पाए हैं, जैसा होना चाहिए था. मुझे मीडिया में आ रही उन खबरों को लेकर चिंता है कि सदन के कुछ वर्गों का इरादा, सत्र की शेष अवधि में यहां कामकाज न होने देने का है. आप सभी को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या यह संसदीय लोकतंत्र है, जो हम बना रहे हैं.

उन्होंने सदन में व्यवधान की वजह से कामकाज न हो पाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा, 2008 में हंगामे के बीच, 17 मिनट में आठ विधेयक पारित किए गए थे. उन्होंने, हंगामे की वजह से व्यापक जन हित से जुड़े मुद्दे न उठा पाने को लेकर कुछ दलों के सदस्यों और नेताओं द्वारा चिंता जताए जाने का भी जिक्र सदन में किया और कहा कि अपने रवैये पर पुनर्विचार करना चाहिए.

गौरतलब है कि सभापति नायडू गतिरोध की वजह से सदन की कार्यवाही बाधित होने को लेकर लगातार अपनी चिंता जाहिर करते रहे हैं.

(भाषा)

नई दिल्ली : सभापति एम वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध की वजह से राज्यसभा में कार्यवाही लगातार बाधित (Proceedings continuously disrupted in Rajya Sabha) होने पर अप्रसन्नता जाहिर की है. इसके साथ ही उन्होंने आज (मंगलवार) कहा, आसन पर कोई बात थोपी नहीं जा सकती. व्यवधान से देश हित और सदन में सदस्यों के हित प्रभावित होते हैं.

सभापति एम वेंकैया नायडू की प्रतिक्रिया

सभापति ने उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर किए जा रहे हंगामे की ओर संकेत करते हुए कहा, वह सदन के किसी भी वर्ग के दबाव में काम नहीं करेंगे. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, आसन पर चाहे कोई भी हो, आसन पर बात थोपी नहीं जा सकती और कोई ड्रामेबाजी स्वीकार नहीं की जाएगी.

हंगामा कर रहे सदस्यों से सदन की कार्यवाही बाधित करने के उनके रवैये को लेकर आत्मावलोकन करने की अपील करते हुए नायडू ने कहा, शून्यकाल, विशेष उल्लेख आदि के माध्यम से जहां सदस्यों को जन हित से जुड़े मुद्दे उठाने का अवसर मिलता है. वहीं प्रश्नकाल के तहत वे अहम मुद्दों से जुड़े सवाल पूछते हैं. उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही बाधित होने से न केवल देश हित को नुकसान पहुंचता है, बल्कि सदस्यों और संसद के हित भी प्रभावित होते हैं.

पढ़ें- मानसून सत्र : पेगासस मुद्दे पर संसद में हंगामा, दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित

सभापति ने कहा, संसद के इस मानसून सत्र में 19 बैठकें होनी थीं, जिनमें से आज छठी बैठक है. हम अब तक कामकाज उस तरह से शुरू नहीं कर पाए हैं, जैसा होना चाहिए था. मुझे मीडिया में आ रही उन खबरों को लेकर चिंता है कि सदन के कुछ वर्गों का इरादा, सत्र की शेष अवधि में यहां कामकाज न होने देने का है. आप सभी को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या यह संसदीय लोकतंत्र है, जो हम बना रहे हैं.

उन्होंने सदन में व्यवधान की वजह से कामकाज न हो पाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा, 2008 में हंगामे के बीच, 17 मिनट में आठ विधेयक पारित किए गए थे. उन्होंने, हंगामे की वजह से व्यापक जन हित से जुड़े मुद्दे न उठा पाने को लेकर कुछ दलों के सदस्यों और नेताओं द्वारा चिंता जताए जाने का भी जिक्र सदन में किया और कहा कि अपने रवैये पर पुनर्विचार करना चाहिए.

गौरतलब है कि सभापति नायडू गतिरोध की वजह से सदन की कार्यवाही बाधित होने को लेकर लगातार अपनी चिंता जाहिर करते रहे हैं.

(भाषा)

Last Updated : Jul 27, 2021, 7:07 PM IST
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