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उपराष्ट्रपति का आह्वान, युवाओं में 21वीं सदी का कौशल विकसित करें उच्च शिक्षण संस्थान

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Published : Nov 15, 2021, 6:32 PM IST

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शिक्षण संस्थानों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 का उद्देश्य देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को ज्ञान अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के लिहाज से परिवर्तित करना और उन्हें नया रूप देना है.

vicepresident
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बेंगलुरु : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को उच्च शिक्षा संस्थानों से आह्वान किया कि वे युवाओं को 21वीं सदी की कौशल के अनुसार निखारें. पीईएस विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने ये बातें कहीं. उन्होंने साथ ही कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है और भारत इस अवसर को गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकता.

हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को हमारे युवाओं को 21वीं सदी के कौशल से निखारना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने शिक्षण संस्थानों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 का उद्देश्य देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को ज्ञान अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के लिहाज से परिवर्तित करना और उन्हें नया रूप देना है.

एम. वेंकैया नायडू ने कहा कहा कि नयी शिक्षा नीति को अच्छी तरह से शोधित और अनेक विचार के बाद तैयार किया गया है. इसे सभी हितधारकों और हर विश्वविद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थान, राज्य और केंद्र सरकार के संस्थानों के साथ एक लंबी और विस्तृत चर्चा के बाद बनाया गया है. उपराष्ट्रपति ने संबोधन के दौरान कहा कि इस शिक्षा नीति को गंभीरता से और ईमानदारी से लागू करने की जरूरत है. संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय की कक्षाओं को उभरते वैश्विक रुझानों जैसे कि 5जी आधारित प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़ने की तत्काल जरूरत है. जिसका उपयोग कृषि, चिकित्सा, प्रशासनिक, वाणिज्य और औद्योगिक प्रबंधन सहित कई क्षेत्रों में होता है.

डीआरडीओ और इसरो के सहयोग से पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों एवं कर्मचारियों द्वारा दो उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की सराहना की और कहा कि सरकार अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतरिक्ष क्षेत्र में दूरगामी सुधार लायी है. मैं अपने निजी संस्थानों और विश्वविद्यालयों से इस अवसर का सर्वोत्तम उपयोग करने और भारत को आत्मनिर्भर एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में काम करने का अपील करता हूं.

उन्होंने कहा कि ड्रोन प्रौद्योगिकी एक और उभरता हुआ क्षेत्र है जो कृषि, निगरानी, ​​परिवहन, रक्षा और कानून प्रवर्तन सहित अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को जबरदस्त लाभ प्रदान करता है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि ड्रोन सेवा उद्योग से अगले तीन वर्षों में पांच लाख से अधिक नए नौकरियों के आने की उम्मीद है.

ये पढ़ें: लखीमपुर हिंसा : पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में SIT जांच कराने के सुझाव पर सहमत उप्र सरकार

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें इस क्षेत्र के लिए कुशल जनशक्ति बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए. वास्तव में हमारे सभी उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय जरूरतों के बारे में अवगत होना चाहिए. उन्हें अपने मौजूदा पाठ्यक्रमों की समीक्षा करते हुए उसे उभरते वैश्विक रुझानों के साथ संबंध स्थापित करना चाहिए या उनके अनुरूप नये पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए.

नायडू ने कहा कि 21वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था में ज्ञान संबंधी गतिविधियों का दबदबा है. उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2050 तक अरबों डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है और एनईपी-2020 आने वाले समय में इसमें से कम से कम 50 प्रतिशत ज्ञान से संबंधित गतिविधियों और कौशल से आने का लक्ष्य निर्धारित करता है. भारत को ज्ञान शक्ति में बदलने में तकनीकी विश्वविद्यालयों की विशेष भूमिका है.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरु : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को उच्च शिक्षा संस्थानों से आह्वान किया कि वे युवाओं को 21वीं सदी की कौशल के अनुसार निखारें. पीईएस विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने ये बातें कहीं. उन्होंने साथ ही कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है और भारत इस अवसर को गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकता.

हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को हमारे युवाओं को 21वीं सदी के कौशल से निखारना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने शिक्षण संस्थानों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 का उद्देश्य देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को ज्ञान अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के लिहाज से परिवर्तित करना और उन्हें नया रूप देना है.

एम. वेंकैया नायडू ने कहा कहा कि नयी शिक्षा नीति को अच्छी तरह से शोधित और अनेक विचार के बाद तैयार किया गया है. इसे सभी हितधारकों और हर विश्वविद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थान, राज्य और केंद्र सरकार के संस्थानों के साथ एक लंबी और विस्तृत चर्चा के बाद बनाया गया है. उपराष्ट्रपति ने संबोधन के दौरान कहा कि इस शिक्षा नीति को गंभीरता से और ईमानदारी से लागू करने की जरूरत है. संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय की कक्षाओं को उभरते वैश्विक रुझानों जैसे कि 5जी आधारित प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़ने की तत्काल जरूरत है. जिसका उपयोग कृषि, चिकित्सा, प्रशासनिक, वाणिज्य और औद्योगिक प्रबंधन सहित कई क्षेत्रों में होता है.

डीआरडीओ और इसरो के सहयोग से पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों एवं कर्मचारियों द्वारा दो उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की सराहना की और कहा कि सरकार अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतरिक्ष क्षेत्र में दूरगामी सुधार लायी है. मैं अपने निजी संस्थानों और विश्वविद्यालयों से इस अवसर का सर्वोत्तम उपयोग करने और भारत को आत्मनिर्भर एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में काम करने का अपील करता हूं.

उन्होंने कहा कि ड्रोन प्रौद्योगिकी एक और उभरता हुआ क्षेत्र है जो कृषि, निगरानी, ​​परिवहन, रक्षा और कानून प्रवर्तन सहित अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को जबरदस्त लाभ प्रदान करता है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि ड्रोन सेवा उद्योग से अगले तीन वर्षों में पांच लाख से अधिक नए नौकरियों के आने की उम्मीद है.

ये पढ़ें: लखीमपुर हिंसा : पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में SIT जांच कराने के सुझाव पर सहमत उप्र सरकार

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें इस क्षेत्र के लिए कुशल जनशक्ति बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए. वास्तव में हमारे सभी उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय जरूरतों के बारे में अवगत होना चाहिए. उन्हें अपने मौजूदा पाठ्यक्रमों की समीक्षा करते हुए उसे उभरते वैश्विक रुझानों के साथ संबंध स्थापित करना चाहिए या उनके अनुरूप नये पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए.

नायडू ने कहा कि 21वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था में ज्ञान संबंधी गतिविधियों का दबदबा है. उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2050 तक अरबों डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है और एनईपी-2020 आने वाले समय में इसमें से कम से कम 50 प्रतिशत ज्ञान से संबंधित गतिविधियों और कौशल से आने का लक्ष्य निर्धारित करता है. भारत को ज्ञान शक्ति में बदलने में तकनीकी विश्वविद्यालयों की विशेष भूमिका है.

(पीटीआई-भाषा)

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