बेंगलुरू: विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने कर्नाटक के बेंगलुरू पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को गणेश मंदिर में जाकर विशेष पूजा अर्चना की. अपनी पत्नी के साथ आए उपराष्ट्रपति बुधवार सुबह बसवनगुड़ी में बुल टेंपल रोड स्थित डोड्डा गणेश मंदिर पहुंचे और ढोल नगाड़ों व नादस्वर के साथ उनका स्वागत किया गया. यहां कड़ी सुरक्षा के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी ने मंदिर में दर्शन किए.
इस दौरान का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें जगदीप धनखड़ को ढोल बताते हुए देखा जा सकता है. कुछ देर ढोल बजाने के बाद उन्होंने हारमोनियम पर भी हाथ आजमाया और वहां मौजूद सभी लोगों का ध्यान आकर्षित कर लिया. गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद वह शहर में चल रहे कार्यक्रम में शामिल हुए. जानकारी के अनुसार राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने वायु सेना के विशेष विमान से मंगलवार शाम शहर के एचएएल हवाई अड्डे पर पहुंचे उपराष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत किया था और रात में वे राजभवन में ही रुके थे.
स्वर्गीय डॉ एम एस रमैया के शताब्दी समारोह में की शिरकत
बुधवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता की शक्ति पर प्रकाश डाला और नागरिकों से भारत की बढ़ती उपलब्धियों पर गर्व करने का आह्वान किया. वे बुधवार को बेंगलुरु में गोकुला एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय डॉ एम एस रमैया के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे. सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने सामाजिक परिवर्तन को सक्षम करने में शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया.
उन्होंने बताया कि भारत, प्राचीन काल से नालंदा, तक्षशिला, वल्लभी और विक्रमशिला जैसे शिक्षा के महान केंद्रों का घर रहा है. धनखड़ ने भारत के शिक्षा क्षेत्र में अधिक समावेश और उत्कृष्टता लाने के लिए नई शिक्षा नीति के महत्व पर जोर दिया और एनईपी-2020 को गेम चेंजर बताया. उन्होंने कहा कि, यह हमारी शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, यह हमें डिग्री उन्मुख संस्कृति से दूर कर देगा और हमें एक उत्पादक पथ पर ले जाएगा. छात्रों को तनाव न लेने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के माहौल में न फंसें.
आगे उन्होंने कहा कि कोशिश करने में संकोच न करें, क्योंकि गलती हो सकती है. उपराष्ट्रपति ने बताया कि बिना गिरे कुछ भी बड़ा हासिल नहीं हुआ है. वैश्विक क्षेत्र में भारत के अजेय उत्थान की प्रशंसा करते हुए, धनखड़ ने कहा कि दुनिया भारत का सम्मान करती है और भारत की आवाज सुनती है. संसद को सरकार को जवाबदेह ठहराने का एक मंच बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने सदन में व्यवधान की बढ़ती घटनाओं पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त की.