नई दिल्ली : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मांग की है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार पर रोक के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन फौरन हस्तक्षेप करें. विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री व विदेशी मामलों के प्रमुख स्वामी विज्ञानानंद ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, मानवाधिकार परिषद के उच्चायुक्त और यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष को पत्र लिखा है.
उन्होंने मांग की है कि अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय आयोग बना कर फैक्ट फाइंडिंग मिशन बांग्लादेश भेजा जाए.
तीनों वैश्विक संस्थाओं को लिखे पत्र में स्वामी विज्ञानानंद ने मांग की है कि बांग्लादेश में पीड़ित हिंदुओं के जान-माल, पूजा स्थलों, मंदिरों की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाला जाना चाहिए. यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि अपराधियों को कड़ा दंड और पीड़ितों को उचित मुआवजा मिले.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की चुनी हुई सरकार को चुनौती देने वाले जिहादी आपराधिक संगठनों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तत्काल कार्रवाई करना चाहिए.
स्वामी विज्ञानानंद की मांग है कि बांग्लादेश सरकार अपने वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट, 2013 को समाप्त करे. इस तरह के कानून के कारण ही वहां अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा बढ़ रही है. इस कानून के अंतर्गत बांग्लादेश छोड़ कर जाने वालों की संपत्ति पर उनके पड़ोसी कब्जा कर सकते हैं.
विहिप ने कहा है कि बांग्लादेश के 22 से अधिक जिलों में पिछले 10-12 दिनों में हिंदुओं को निर्ममता से मारा जाना मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है.
विश्व हिंदू परिषद के अनुसार, कट्टरपंथी इस्लामिक जेहादियों ने बांग्लादेश में हिंदुओं के मन में आतंक पैदा कर दिया है. पवित्र दुर्गा पूजा के दौरान जेहादियों ने पूजा स्थलों में जबरन घुसकर प्रतिमाओं और दूसरे पवित्र प्रतीकों को तहस-नहस कर दिया, मंदिरों में तोड़फोड़ की गई. एक दर्जन हिंदू मार डाले गए, एक हजार घायल हो गए.
स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि हिंदुओं पर हिंसा के दौरान बांग्लादेश पुलिस और कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली एजेंसियां निष्क्रिय रहीं या फिर बहुत देर से हरकत में आईं. पूरी दुनिया देख रही है कि एक सदी से अधिक समय से क्षेत्र में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है.
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विहिप मानती है कि बांग्लादेश के हिंदुओं पर किए जा रहे अत्याचार द्वितीय विश्वयुद्ध में यहूदियों की हत्या और रवांडा में हुए नरसंहार से कहीं बड़ी त्रासदी है. अब इन पर पूर्ण विराम लगाना ही चाहिए.