बेंगलुरु: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के पिछले भाजपा शासन द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को यहां विरोध प्रदर्शन करेगी. विरोध शाम को फ्रीडम पार्क में होगा और विहिप ने सभी हिंदुओं से भाग लेने का आह्वान किया है. संगठन ने सभी जिला इकाइयों से पूरे राज्य में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का भी आह्वान किया है.
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो एमबी पुराणिक ने कहा कि भारत एक हिंदू देश है और संविधान ने विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अनुमति दी है. अन्य धर्मों के लोग अपने धर्म और रीति-रिवाजों का पालन कर सकते हैं और हम इससे सहमत हैं और सवाल नहीं करते हैं. हम हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण के कृत्यों की निंदा करते हैं. भारत एक हिंदू देश है और कर्नाटक उसका एक हिस्सा है. प्रत्येक हिन्दू को धर्मान्तरण से बचाना हिन्दू धर्म के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार मुख्य रूप से अन्य धर्मों के लोगों के साथ-साथ हिंदुओं द्वारा सत्ता में आई है. यह अल्पसंख्यक वोटों के कारण सत्ता में नहीं आई है. कांग्रेस का यह कदम सभी हिंदुओं के साथ बड़ा विश्वासघात है. कर्नाटक के हिंदुओं की मांग है कि प्रस्ताव को वापस लिया जाना चाहिए, कांग्रेस सरकार केवल अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए वीर सावरकर जैसे राष्ट्रीय नेताओं के ग्रंथों को हटाकर नीचे गिर रही है. प्रो एमबी पुराणिक ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार जनविरोधी फैसले लेना बंद करे और समाज में शांति भंग करने वाले कदम उठाए.
दरअसल, राज्य सरकार ने गुरुवार को कानून में संशोधन की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि कानून में पिछली भाजपा सरकार जोड़ी गई सभी चीजें हटाई जाती हैं. जुलाई में होने वाले विधानसभा सत्र में संशोधन के लिए लिया जाएगा.
ये भी पढ़ें- |
धर्मांतरण पर बीजेपी ने लगाई थी कड़ी शर्तें: इसमें अपराध के लिए कड़ी सजा का भी प्रावधान किया था. कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने बताया कि सरकार धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के कर्नाटक संरक्षण विधेयक 2021 को रद्द कर देगी और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के कर्नाटक संरक्षण विधेयक 2023 को पेश करेगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले विधेयक को निरस्त कर दिया गया है. इस पर मंत्री पाटिल ने कहा कि यह 2022 के संशोधन को पूर्ववत करना है. यह पिछली सरकार द्वारा कानून में किए गए परिवर्तनों को निरस्त करना है. कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार द्वारा अधिनियमित सभी अधिनियमों को निरस्त करने का वादा किया था.
(आईएएनएस)