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वरुण गांधी ने उठाया सवाल, पॉलिसी बनी तो क्यों नहीं मिला दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों को इलाज

पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) ने इस बार केंद्र की योजना को निशाने पर लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजकर वरुण गांधी ने सरकार को याद दिलाई है कि दुर्लभ रोग से ग्रसित मरीजों की मदद के लिए राष्ट्रीय दुर्लभ रोग पॉलिसी बनाई गई थी, उसका फायदा किसी मरीज को नहीं मिला है (Varun Gandhi wrote letter to Mansukh Mandaviya).

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BJP MP Varun Gandhi
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Published : Jan 7, 2023, 5:43 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) ने शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर केंद्र की योजना की स्थिति से अवगत कराया. वरुण गांधी ने पत्र में बताया कि नेशनल पॉलिसी ऑफ रेयर डिजीज ( national policy of rare disease) के तहत दुर्लभ रोगों से ग्रस्त मरीजों (rare disease patient) को 50 लाख रुपये की सहायता देने का प्रावधान किया गया था, मगर इस योजना का लाभ अबतक किसी भी मरीज को लाभ नहीं मिला है. दुर्लभ बीमारी 432 मरीजों की जान खतरे में है और उनमें से ज्यादातर छह साल से कम उम्र के बच्चे हैं.

  • Last year, the govt assured financial assistance of Rs 50 lakh to every rare disease patient.

    So far, not a single patient has benefited from this scheme. 10 children have died waiting for treatment.

    I request Shri @mansukhmandviya to act immediately by clearing these payments. pic.twitter.com/6IcpFuNft0

    — Varun Gandhi (@varungandhi80) January 7, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वरुण गांधी ने ट्वीट कर बताया कि इलाज के इंतजार में दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त 10 बच्चों की जान चली गईं. उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से ऐसी बीमारी के लिए भुगतान को मंजूरी देने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील भी की.

अपने पत्र में वरुण गांधी ने मनसुख मंडाविया (health Minister Mansukh Mandaviya ) को याद दिलाई है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों से ग्रसित मरीजों की जान बचाने के लिए 30 मार्च, 2021 को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021 ( national policy of rare disease) की शुरुआत की थी. मई 2022 में इस पॉलिसी में संशोधन किया गया और दुर्लभ रोगों के मरीजों को इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान किया गया. घोषणा के कई महीने बाद भी एक भी मरीज को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है, जिससे 432 बच्चों की जान खतरे में पड़ गयी है. ज्यादातर बच्चे गौचर, पोम्प , एमपीएस- वन और एमपीएस-टू और फैब्री जैसे लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं.

उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी के तहत स्थापित 10 सेंटर्स ऑफ एक्सेलेंस (सीओई) ने मंत्रालय से कई बार स्मरण पत्र भेजे जाने के बाद भी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए वित्तीय सहायता की मांग नहीं की है. आधे से अधिक सीओई ने स्वास्थ्य मंत्रालय को एक भी उपचार अनुरोध नहीं भेजा है, जबकि दस से अधिक बच्चे इलाज की बाट जोहते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं. इसलिए मैं अनुरोध करता हूं कि सीओई में इन 208 बच्चों का तत्काल उपचार शुरू किया जाए.

(भाषा)

पढ़ें : मुखर होकर रखें अपनी बातें, सरकार आप से है आप सरकार से नहीं, वरुण गांधी का जनता से संवाद

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) ने शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर केंद्र की योजना की स्थिति से अवगत कराया. वरुण गांधी ने पत्र में बताया कि नेशनल पॉलिसी ऑफ रेयर डिजीज ( national policy of rare disease) के तहत दुर्लभ रोगों से ग्रस्त मरीजों (rare disease patient) को 50 लाख रुपये की सहायता देने का प्रावधान किया गया था, मगर इस योजना का लाभ अबतक किसी भी मरीज को लाभ नहीं मिला है. दुर्लभ बीमारी 432 मरीजों की जान खतरे में है और उनमें से ज्यादातर छह साल से कम उम्र के बच्चे हैं.

  • Last year, the govt assured financial assistance of Rs 50 lakh to every rare disease patient.

    So far, not a single patient has benefited from this scheme. 10 children have died waiting for treatment.

    I request Shri @mansukhmandviya to act immediately by clearing these payments. pic.twitter.com/6IcpFuNft0

    — Varun Gandhi (@varungandhi80) January 7, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वरुण गांधी ने ट्वीट कर बताया कि इलाज के इंतजार में दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त 10 बच्चों की जान चली गईं. उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से ऐसी बीमारी के लिए भुगतान को मंजूरी देने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील भी की.

अपने पत्र में वरुण गांधी ने मनसुख मंडाविया (health Minister Mansukh Mandaviya ) को याद दिलाई है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों से ग्रसित मरीजों की जान बचाने के लिए 30 मार्च, 2021 को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021 ( national policy of rare disease) की शुरुआत की थी. मई 2022 में इस पॉलिसी में संशोधन किया गया और दुर्लभ रोगों के मरीजों को इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान किया गया. घोषणा के कई महीने बाद भी एक भी मरीज को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है, जिससे 432 बच्चों की जान खतरे में पड़ गयी है. ज्यादातर बच्चे गौचर, पोम्प , एमपीएस- वन और एमपीएस-टू और फैब्री जैसे लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं.

उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी के तहत स्थापित 10 सेंटर्स ऑफ एक्सेलेंस (सीओई) ने मंत्रालय से कई बार स्मरण पत्र भेजे जाने के बाद भी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए वित्तीय सहायता की मांग नहीं की है. आधे से अधिक सीओई ने स्वास्थ्य मंत्रालय को एक भी उपचार अनुरोध नहीं भेजा है, जबकि दस से अधिक बच्चे इलाज की बाट जोहते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं. इसलिए मैं अनुरोध करता हूं कि सीओई में इन 208 बच्चों का तत्काल उपचार शुरू किया जाए.

(भाषा)

पढ़ें : मुखर होकर रखें अपनी बातें, सरकार आप से है आप सरकार से नहीं, वरुण गांधी का जनता से संवाद

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