पंजिम: गोवा विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम सबके सामने आ चुके हैं. राज्य की सत्ता पर एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी काबिज होने जा रही है. इन चुनावों में कांग्रेस सत्ता पर आसीन होते-होते रह गई. वहीं, कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व सीएम प्रताप सिंह राणे एक अनुभवी लीडर के तौर पर जाने जाते हैं. गोवा सरकार ने इनको आजीवन कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया है. राज्य की सभी पार्टियां इनको सम्मान देती हैं. इस चुनाव में राणे ने पोरिम विधानसभा क्षेत्र से पहले अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया. उस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने रंजीत राणे को अपना उम्मीदवार घोषित किया था.
वहीं, गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में राणे की बहू-बेटे विश्वजीत और दिव्या राणे बीजेपी के टिकट पर लड़े और जीत भी दर्ज की. वहीं, गोवा में एक और बड़ी राजनीतिक हस्ती चर्चिल अलेमाओ हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता चर्चिल ने चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी. वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वह गोवा राज्य के एकमात्र राकांपा विधायक थे. उन्होंने गोवा में राकांपा का तृणमूल कांग्रेस में विलय कर दिया था. बता दें, गोवा में एनसीपी हमेशा कांग्रेस पार्टी के साथ सत्ता में रही है. हालांकि, पिछले दो कार्यकालों में कांग्रेस सत्ता से दूर रही है और राकांपा का भी यही हाल है.
राज्य की सत्ता का हाल देखते हुए चर्चिल अलेमाओ ने भाजपा का साथ पकड़ लिया और असंतुष्ट कांग्रेस पार्टी ने एनसीपी और चर्चिल अलेमाओ से दूरी बनाने की मांग की. बता दें, अलेमाओ ने बनावली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए.
इसके अलावा गोवा की राजनीति में एक और महान नेता लुइसिन फालेरो हैं. कांग्रेस के मूल नेता लुइसिन फालेरो फिलहाल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. फलेरो को पहले कांग्रेस के आयोजक के रूप में जाना जाता था. हालांकि, उन्होंने सितंबर 2021 में कांग्रेस छोड़ दी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. वह नवेलिम निर्वाचन क्षेत्र का नेतृत्व करते हैं.
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तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लुइसिन फालेरो के इस्तीफे की अफवाहें सोशल मीडिया के जरिए फैली हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई. हालांकि, बाद में तृणमूल ने इस खबर का खंडन करते हुए फलेरो के ट्वीट को रिट्वीट किया और विवाद को समाप्त किया. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने फतोरदा से साओला वास को मैदान में उतारा, लेकिन वह हार गए. हालात देखें तो यह कहा जा सकता है कि गोवा के दिग्गज नेताओं को इस बार घर में ही रहना पड़ा. यह कहना होगा कि वे इस चुनाव में किसी भी तरह से सफल नहीं हुए.