वाराणसी : काशी में शनिवार से पुष्कर मेले की शुरुआत हो गई. इसमें बड़ी संख्या में लोग आंध्र प्रदेश, तेलंगाना समेत अन्य जगहों से पहुंचेंगे. तेलुगू भाषी लोगों के लिए 12 वर्ष में एक बार लगने वाला यह मेला बहुत मायने रखता है. नदी किनारे होने वाले इस आयोजन में पूजा-पाठ के साथ श्राद्ध कर्म और तर्पण का कार्य संपन्न किया जाता है. 3 मई तक यह कार्यक्रम चलेगा. इसमें भारी संख्या में लोगों की भीड़ जुटने का अनुमान है. मेले की शुरुआत से पहले मानसरोवर घाट पर शुक्रवार को दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की मौजूदगी में महाआरती और पूजा अनुष्ठान कराया गया. शाम को चारों वेदों की ऋचाओं के उद्घघोष से गंगा की धारा तरंगित हो उठी.
पुष्कर मेले की शुरुआत आज से हो चुकी है. काशी तेलुगू समिति व श्रीराम तारक आन्ध्रा आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में मेले की शुरुआत की पूर्व संध्या पर मानसरोवर घाट पर अनुष्ठान कराया गया. विभिन्न पीठों के अधिपति, सैकड़ों वेदज्ञ व हजारों धर्मानुरागी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने. इसके पूर्व इन सभी ने 12 दिन के तप का संकल्प लेकर पंचामृत स्नान से अभिषिक्त गंगा का षोडशोपचार पूजन किया. इस दौरान मानसरोवर घाट पर आयोजित यह अनुष्ठान चारों वेदों के उद्घघोष से गूंजता रहा.
शिवा स्वामी व नारायणा नंद भारती स्वामी ने दिवंगतजनों की स्मृतियों को समर्पित इस महापर्व की महिमा का बखान किया. बुदा राजु, हर्षवर्धन शर्मा, अनिरुद्ध कुमार चौबे,अनुराग कुमार चौबे व सुजल पाण्डेय आदि ने मां गंगा को समर्पित आरती की. संचालन बीएचयू तेलुगू विभाग के पूर्व अध्यक्ष के प्रो. चल्ला श्रीरामचन्द्र मूर्ति ने किया. इस अवसर पर तेलुगू समिति के गौरवाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिंहांराव के प्रतिनिधि, समिति के उपाध्यक्ष प्रो. नरसिंघ मूर्ति व वीएस सुब्रमण्यम मणि, सचिव वीवी सुन्दर शास्त्री, सह सचिव द्वय तुलसी गजानन जोशी, डॉ. वेणु गोपाल उपस्थित रहे.
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