वाराणसी: सरकारी योजनाओं का लाभ हर किसी को मिले इसके लिए सरकार लगातार विभागों के जरिए अपनी योजनाओं के फायदे जन-जन तक पहुंचाने के निर्देश देती रहती है. विभाग भी अपने ऊपर आने वाले प्रेशर की वजह से टारगेट पूरा करने में परेशान दिखाई देता है. लेकिन, इसी प्रेशर के कारण शायद विभागों से ऐसी गलतियां हो जाती हैं. इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला वाराणसी में इन दिनों देखने में सामने आया है.
वाराणसी विकास प्राधिकरण की एक बिल्डिंग में कमर्शियल फ्लैट खरीदने के बाद एक व्यक्ति परेशान है. परेशानी इस बात की है कि उसने 74 लाख 10 हजार रुपये का फ्लैट तो खरीद लिया. लेकिन, ना उसके फ्लैट का दाखिल खारिज हो पा रहा है और ना ही येलो कार्ड जारी हो रहा है. बल्कि, बदले में नगर निगम ने 25 लाख रुपये से ज्यादा का हाउस टैक्स बकाया का नोटिस उक्त व्यक्ति को थमा दिया है. इसके बाद अब सरकारी योजना में फंसा यह व्यक्ति कभी नगर निगम तो कभी वाराणसी विकास प्राधिकरण के चक्कर काट रहा है. लेकिन, समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है.
दरअसल, वाराणसी के सोनिया इलाके के रहने वाले राजीव कुमार सिंह ने वाराणसी के सिगरा में रोड स्थित शक्ति शिखा अपार्टमेंट में एक कमर्शियल फ्लैट खरीदा है. राजीव कुमार सिंह ने बताया कि वाराणसी विकास प्राधिकरण की गांधीनगर योजना स्थित शक्ति शिखा टावर में फ्लैट संख्या ए-115 उन्होंने 74 लाख 10 हजार रुपये में खरीदा है. जब इस फ्लैट के दाखिल खारिज के लिए उन्होंने नगर निगम के दशाश्वमेध जोन के कार्यालय में आवेदन किया तो निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद मौखिक रूप से यह बताया गया कि इस पूरे भवन पर नगर निगम का 25 लाख 17391 रुपये बकाया है.
इसलिए जब तक इस रकम का भुगतान नहीं होगा, तब तक फ्लैट का दाखिल खारिज नहीं हो पाएगा और ना ही येलो कार्ड जारी होगा. राजीव कुमार सिंह का कहना है कि यह फ्लैट उनके बेटे संभव सिंह ने खरीदा है. लेकिन, उसके बाद जब बेटा थक हार गया तो उन्होंने विभागों के चक्कर काटने शुरू किए. राजीव सिंह का कहना है कि इस अपार्टमेंट में पहले से ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सिडबी और अन्य कई फ्लैट धारकों का दाखिल खारिज किया जा चुका है. लेकिन, उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है, यह नहीं समझ में आ रहा है. जबकि, वह बार-बार नगर निगम और विकास प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं.
राजीव सिंह का कहना है कि सरकारी फ्लैट होने की वजह से उन्होंने इसके बारे में बहुत ज्यादा पूछताछ नहीं की थी. योजना के तहत जब उनका नीलामी में फ्लैट निकला तो उन्होंने पूरी रकम जमा करके फ्लैट की रजिस्ट्री करवा ली. इसके बाद कब्जा भी मिल गया. लेकिन, दाखिल खारिज न होने की वजह से वे परेशान हैं और विभागों के चक्कर काट रहे हैं.
राजीव का कहना है कि जून में उन्होंने सबसे पहले नगर निगम में हर मंगलवार को होने वाली सुनवाई में एप्लीकेशन दी थी. इसके बाद नगर निगम ने वाराणसी विकास प्राधिकरण को लेटर भेजकर इस बारे में जानकारी मांगी और वाराणसी विकास प्राधिकरण में सिर्फ संबंधित प्रकरण पर लेटर भेजकर अपने काम को समाप्त कर लिया. अब ना नगर निगम इस पर कोई जवाब दे रहा है और ना ही वाराणसी विकास प्राधिकरण इस पर कोई एक्शन ले रहा है. इसकी वजह से वह कंफ्यूजन में हैं कि पूरी बिल्डिंग का यदि 25 लाख रुपये बकाया है तो उनके फ्लैट का कितना है. यदि यह भी निश्चित हो जाए तो वह अपने फ्लैट के बकाया पैसे का भुगतान करके अपना कार्य आगे बढ़ा लें. लेकिन, कोई सुन नहीं रहा है.
इस प्रकरण में जब अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि इस संदर्भ में शिकायत मिली है. संबंधित जोन को जांच करके उचित कार्रवाई के लिए कहा गया है. वहीं, वाराणसी विकास प्राधिकरण के संपत्ति अधिकारी राजीव जायसवाल से बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि संदर्भ में मुझसे मिलने राजीव सिंह आए थे. मैंने उनको नगर निगम जाकर इस संदर्भ में बात करने के लिए कहा था. लेकिन, वह लौटकर मुझे बताने के लिए आए ही नहीं. इसलिए, मामला जानकारी में नहीं है कि आगे क्या हुआ. अपर नगर आयुक्त ने कहा कि वे अभी छुट्टी पर हैं. लौटकर आऊंगा तो इस प्रकरण को देखूंगा.
यह भी पढ़ें: पांच साल पुराने मामले में केडीए के दो पूर्व अफसरों पर गिरी गाज, मुकदमा दर्ज