नई दिल्ली : उज्बेकिस्तान ने अपने देश के संविधान में कई संशोधनों को लेकर 30 अप्रैल को होने वाले 'ऐतिहासिक' जनमत संग्रह को देखने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग को आमंत्रित किया है. भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत दिलशोद अखातोव ने कहा कि उनके देश के संविधान में समग्र एवं व्यापक बदलाव लाने के लिए भारत सहित 190 देशों के संविधान का अध्ययन किया गया है. संवैधानिक सुधार पर मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शौकत मर्जियोयेव के तहत पिछले कुछ वर्षो में उनके देश में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं और संविधान में बदलाव इसी सम्पूर्ण कवायद का हिस्सा है.
पढ़ें : नरसंहार माने जाएंगे सिख विरोधी दंगे, कैलिफोर्निया सीनेट में प्रस्ताव पारित
अखातोव ने कहा कि देश पिछले कुछ वर्षो में ऐतिहासिक बदलाव से गुजर रहा है. भारत सहित 190 देशों के संविधान तथा विभिन्न कानूनों, नियमों का अध्ययन करने के बााद मसौदा संविधान तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान समग्र एवं व्यापक होगा जो उज्बेकिस्तान को विकास, वृद्धि और समृद्धि के नये मार्ग पर ले जायेगा. राजदूत ने कहा कि जनमत संग्रह उज्बेकिस्तान के वर्तमान संविधान में दो तिहाई बदलाव से संबंधित है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संविधान में सुधार को लेकर 30 अप्रैल को होने वाले ऐतिहासिक जनमत संग्रह को देखने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग को आमंत्रित किया है.
गौरतलब है कि भारत और उज्बेकिस्तान के बीच रिश्ते पिछले कुछ वर्षों से प्रगति की ओर हैं. दोनों देशों ने कारोबार, निवेश, ऊर्जा, लोगों से लोगों के बीच आदान प्रदान सहित कई क्षेत्रों में संबंधों को विस्तार देने में रूचि दिखायी है. राष्ट्रपति मर्जियोयेव ने नवंबर 2021 में अपने उद्घाटन संबोधन में संवैधानिक सुधार की जरूरत बतायी थी और स्पष्ट किया था कि यह प्रस्ताव देश के लोगों की ओर से आया है. वहीं, राजदूत ने कहा कि संवैधानिक सुधार को लेकर चर्चा के दौरान आम जनता से 2,22,000 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए.
उज्बेकिस्तान में न्यू मीडिया एजुकेशन सेंटर के सहायक प्रोफेसर बेरूनियेव एलिमोव ने कहा कि संविधान से संबंधित कुछ नये प्रावधान नागरिकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोगों के सम्मान को बढ़ावा देने और स्वतंत्रा सुनिश्चित करने से संबंधित हैं. उन्होंने कहा कि संविधान में गरीबी कम करने, रोजगार प्रदान करने एवं सामाजिक मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने को लेकर कई तरह की नयी जवाबदेही होगी.
(पीटीआई-भाषा)