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उत्तराखंड STF ने किया एक अरब के इंटरनेशनल मनी लॉन्ड्रिंग खेल का खुलासा, दो आरोपी गिरफ्तार

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Published : Feb 26, 2022, 5:41 PM IST

उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस की संयुक्त टीम को बड़ी कामयाबी मिली है. इस टीम ने करीब एक अरब के मनी लॉन्ड्रिंग के खेल का खुलासा किया है, जिसके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जुड़े हुए थे. इस मामले में दो आरोपियों को गिफ्तार किया गया है.

Two arrested in money laundering case
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दो गिरफ्तार

देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस की संयुक्त टीम ने करीब एक अरब रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) के मामले का खुलासा किया है. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को मध्य प्रदेश के भोपाल से गिरफ्तार किया है. आरोपियों को नाम रचित शर्मा और सुरेश यादव है. रचित शर्मा अपने आप को फिल्म इंडस्ट्रीज में प्रोड्यूसर बताता है. एसटीएफ का कहना है कि इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं.

एसटीएफ के मुताबिक गिरोह के सदस्य फर्जी वेबसाइट बनाकर कंबोडिया और हांगकांग से मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर क्राइम जैसी वारदातों को अंजाम देते थे. एसटीएफ अभी दोनों आरोपियों से पूछताछ कर उनके नेटवर्क की जानकारी जुटाने में लगी हुई है. आरोपी मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) के जरिए करीब एक अरब रुपए का ट्रांजैक्शन कर चुके हैं. इसके सबूत एसटीएफ को मिले हैं.

दोनों आरोपी भोपाल के रहने वाले: रचित शर्मा जो अपने आपको फिल्म प्रोड्यूसर बताता है, उसने करीब एक अरब रुपया अलग-अलग फिल्मों को प्रोड्यूस करने के नाम पर लगाया है. आरोपियों के कब्जे से टीम को 15 एटीएम कार्ड और कई इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस मिले हैं. इसके साथ ही दोनों के बैंक खातों में भी करीब 15 लाख रुपए की रकम थी, जिसे फ्रीज करा दिया गया है. रचित शर्मा (42) और सुरेश यादव (42) दोनों ही अवधपुरी भोपाल मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं.

ये भी पढ़ें - Pinki Irani bail : 200 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस में मिली जमानत

एसटीएफ के मुताबिक आरोपियों के पास टीम को तीन मोबाइल, 203 डेबिट कार्ड, चार लैपटॉप, एक लग्जरी वाहन और फर्जी बैंक अकाउंट के पेपर मिले हैं. इन्हीं के जरिए आरोपी अपना पैसा विदेशों में भेजा करते थे. इन दोनों आरोपियों ने अपने कई साथियों के साथ मिलकर फर्जी बैंक अकाउंट भी खुलवाए थे.

एसटीएफ ने बताया कि ये लोग साइबर ठगी के जरिए आम लोगों से जो पैसा ठगते थे, उसे भी विदेशों में इन्वेस्ट करते थे. उत्तराखंड एसटीएफ के अनुसार दोनों आरोपी फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे और फिर यहां से करोड़ों रुपए फिल्म प्रसारित करने नाम पर कंबोडिया और हांगकांग जैसे देशों में ट्रांसफर कर देते थे.

आरोपियों तक ऐसे पहुंची एसटीएफ: एसटीएफ के मुताबिक पूर्व में पंजाब के फरीदकोट से गिरफ्तार आरोपी रोहित के जरिए पुलिस इन तक पहुंची. रोहित ने अपने एक साथी के साथ मिलकर कुछ फर्जी बेवसाइट बनाई थीं. इसके साथ ही कुछ फेक बैंक खाते खोले थे. रोहित ने देहरादून के व्यक्ति को सोना, मसाला और शराब के ऑनलाइन कारोबार का सपना दिखाया था. इसके नाम पर रोहित ने उस व्यक्ति से 15 लाख रुपए ठग लिए थे.

हवाला के जरिए विदेशों में भेजा जाता था पैसा: एसटीएफ ने जब आरोपी रोहित से पूछताछ की तो उनसे बताया था कि वो सारी रकम Binance Wallet के माध्यम से USDT Currency में जमा कराता था. इसके बाद एसटीएफ ने इस मामले की गहनता से तफ्तीश की तो पता चला कि इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं. ये गिरोह भारत में लोगों से ऑनलाइन ठगी करके उन पैसों को हवाला के जरिए विदेशों में इन्वेंस्ट करता है.

ये भी पढ़ें - 20 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़, कई गिरफ्तार

आरोपी कई फिल्मों में लगा चुका है पैसा: आखिर में एसटीएफ बड़ी मछली तक पहुंची और मामले की बड़े स्तर पर जांच शुरू हुई. टीम को भोपाल जाकर पता चला कि विदेशी फिल्मों में इन्वेस्टमेंट के नाम पर भारत का पैसा लगाया जा रहा है. इसके बाद एसटीएफ ने स्टेट बैंक ऑफ मॉरीसस से जानकारी ली और उनका विश्लेषण किया तो मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) का पूरा खेल पता चला कि कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत का पैसा बाहर भेजा जा रहा है. इसके बाद एसटीएफ ने आरोपियों के ठिकाने पर छापेमारी की और उन्हें सुबूतों के साथ गिरफ्तार किया.

एसटीएफ की जानकारी के मुताबिक रचित शर्मा ने दो फिल्में प्रोड्यूस की हैं. इन फिल्मों के नाम 'फरेब' और 'लाइफ इन मुंबई है'. इसके अलावा इस गिरोह ने आधा दर्जन फिल्मों जैसे Vengeance of Zombies और Silent Night, Bloody Night के प्रसारण के नाम पर भी कुछ फर्जी इन्वेस्टमेंट किया है, जिसकी जांच की जा रही है. गौरतलब है कि Vengeance of Zombies1973 की स्पेनिश फिल्म थी. जबकि Silent Night, Bloody Night 1972 की अमरीकी मूवी थी. इनका प्रसारण (Screening) 2021 में करना सवाल खड़े करता है.

क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग?: दरअसल, कानून की नजर में आपराधिक गतिविधियों से बड़ी मात्रा में धन बनाने की अवैध प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है. जैसे कि ड्रग की तस्करी, आतंकी गतिविधियों और साइबर ठगी कर मिला पैसा. इसमें ऊपर से ऐसा लगता है कि धन वैध स्त्रोतों से आया है, लेकिन वो होता है अवैध. अवैध धन को कानूनी दांवपेंच खेलकर वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाना ही मनी लॉन्ड्रिंग हुआ. इसमें अवैध तरीके से कमाया हुआ काला धन सफेद दिखाया जाता है और उसे वैध मुद्रा में बदला जाता है. इसे आम बोलचाल में हवाला लेनदेन के रूप में जाना जाता है.

ये भी पढ़ें - नक्सलियों से मिले पुराने रुपये का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की संपत्ति ईडी ने कुर्क की

देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस की संयुक्त टीम ने करीब एक अरब रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) के मामले का खुलासा किया है. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को मध्य प्रदेश के भोपाल से गिरफ्तार किया है. आरोपियों को नाम रचित शर्मा और सुरेश यादव है. रचित शर्मा अपने आप को फिल्म इंडस्ट्रीज में प्रोड्यूसर बताता है. एसटीएफ का कहना है कि इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं.

एसटीएफ के मुताबिक गिरोह के सदस्य फर्जी वेबसाइट बनाकर कंबोडिया और हांगकांग से मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर क्राइम जैसी वारदातों को अंजाम देते थे. एसटीएफ अभी दोनों आरोपियों से पूछताछ कर उनके नेटवर्क की जानकारी जुटाने में लगी हुई है. आरोपी मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) के जरिए करीब एक अरब रुपए का ट्रांजैक्शन कर चुके हैं. इसके सबूत एसटीएफ को मिले हैं.

दोनों आरोपी भोपाल के रहने वाले: रचित शर्मा जो अपने आपको फिल्म प्रोड्यूसर बताता है, उसने करीब एक अरब रुपया अलग-अलग फिल्मों को प्रोड्यूस करने के नाम पर लगाया है. आरोपियों के कब्जे से टीम को 15 एटीएम कार्ड और कई इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस मिले हैं. इसके साथ ही दोनों के बैंक खातों में भी करीब 15 लाख रुपए की रकम थी, जिसे फ्रीज करा दिया गया है. रचित शर्मा (42) और सुरेश यादव (42) दोनों ही अवधपुरी भोपाल मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं.

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एसटीएफ के मुताबिक आरोपियों के पास टीम को तीन मोबाइल, 203 डेबिट कार्ड, चार लैपटॉप, एक लग्जरी वाहन और फर्जी बैंक अकाउंट के पेपर मिले हैं. इन्हीं के जरिए आरोपी अपना पैसा विदेशों में भेजा करते थे. इन दोनों आरोपियों ने अपने कई साथियों के साथ मिलकर फर्जी बैंक अकाउंट भी खुलवाए थे.

एसटीएफ ने बताया कि ये लोग साइबर ठगी के जरिए आम लोगों से जो पैसा ठगते थे, उसे भी विदेशों में इन्वेस्ट करते थे. उत्तराखंड एसटीएफ के अनुसार दोनों आरोपी फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे और फिर यहां से करोड़ों रुपए फिल्म प्रसारित करने नाम पर कंबोडिया और हांगकांग जैसे देशों में ट्रांसफर कर देते थे.

आरोपियों तक ऐसे पहुंची एसटीएफ: एसटीएफ के मुताबिक पूर्व में पंजाब के फरीदकोट से गिरफ्तार आरोपी रोहित के जरिए पुलिस इन तक पहुंची. रोहित ने अपने एक साथी के साथ मिलकर कुछ फर्जी बेवसाइट बनाई थीं. इसके साथ ही कुछ फेक बैंक खाते खोले थे. रोहित ने देहरादून के व्यक्ति को सोना, मसाला और शराब के ऑनलाइन कारोबार का सपना दिखाया था. इसके नाम पर रोहित ने उस व्यक्ति से 15 लाख रुपए ठग लिए थे.

हवाला के जरिए विदेशों में भेजा जाता था पैसा: एसटीएफ ने जब आरोपी रोहित से पूछताछ की तो उनसे बताया था कि वो सारी रकम Binance Wallet के माध्यम से USDT Currency में जमा कराता था. इसके बाद एसटीएफ ने इस मामले की गहनता से तफ्तीश की तो पता चला कि इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हुए हैं. ये गिरोह भारत में लोगों से ऑनलाइन ठगी करके उन पैसों को हवाला के जरिए विदेशों में इन्वेंस्ट करता है.

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आरोपी कई फिल्मों में लगा चुका है पैसा: आखिर में एसटीएफ बड़ी मछली तक पहुंची और मामले की बड़े स्तर पर जांच शुरू हुई. टीम को भोपाल जाकर पता चला कि विदेशी फिल्मों में इन्वेस्टमेंट के नाम पर भारत का पैसा लगाया जा रहा है. इसके बाद एसटीएफ ने स्टेट बैंक ऑफ मॉरीसस से जानकारी ली और उनका विश्लेषण किया तो मनी लॉन्ड्रिंग (हवाला) का पूरा खेल पता चला कि कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत का पैसा बाहर भेजा जा रहा है. इसके बाद एसटीएफ ने आरोपियों के ठिकाने पर छापेमारी की और उन्हें सुबूतों के साथ गिरफ्तार किया.

एसटीएफ की जानकारी के मुताबिक रचित शर्मा ने दो फिल्में प्रोड्यूस की हैं. इन फिल्मों के नाम 'फरेब' और 'लाइफ इन मुंबई है'. इसके अलावा इस गिरोह ने आधा दर्जन फिल्मों जैसे Vengeance of Zombies और Silent Night, Bloody Night के प्रसारण के नाम पर भी कुछ फर्जी इन्वेस्टमेंट किया है, जिसकी जांच की जा रही है. गौरतलब है कि Vengeance of Zombies1973 की स्पेनिश फिल्म थी. जबकि Silent Night, Bloody Night 1972 की अमरीकी मूवी थी. इनका प्रसारण (Screening) 2021 में करना सवाल खड़े करता है.

क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग?: दरअसल, कानून की नजर में आपराधिक गतिविधियों से बड़ी मात्रा में धन बनाने की अवैध प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है. जैसे कि ड्रग की तस्करी, आतंकी गतिविधियों और साइबर ठगी कर मिला पैसा. इसमें ऊपर से ऐसा लगता है कि धन वैध स्त्रोतों से आया है, लेकिन वो होता है अवैध. अवैध धन को कानूनी दांवपेंच खेलकर वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाना ही मनी लॉन्ड्रिंग हुआ. इसमें अवैध तरीके से कमाया हुआ काला धन सफेद दिखाया जाता है और उसे वैध मुद्रा में बदला जाता है. इसे आम बोलचाल में हवाला लेनदेन के रूप में जाना जाता है.

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