देहरादून: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों में देशभर में हीट वेव के 203 दिन रिकॉर्ड किए गए (Total heatwave days in 2022) हैं, जिसमें से 28 दिन अकेले ही उत्तराखंड में हीट वेव चली है. इस साल हीट वेव को लेकर मौसम विभाग के जो आंकड़े आए हैं, वो न सिर्फ देश, बल्कि उत्तराखंड के लिए भी चिंताजनक हैं. उत्तराखंड जैसे राज्य का 28 दिन हीट वेव की चपेट में रहना कुदरत का एक इशारा है, जो आपको सोचने पर मजदूर कर देगा कि हम पर्यावरण के साथ किस तरह से खिलवाड़ कर रहे हैं.
उत्तराखंड के बदले मौसम की जानकारी संसद में भारत सरकार ने दी है. दरअसल, लोकसभा में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने केंद्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह से सवाल किया के देश में लू के क्या हालात है और पर्यावरण को लेकर केंद्र सरकार क्या कर रही है? कांग्रेस सांसद के सवाल के जवाब में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने जो बात कही वह उत्तराखंड के लिए बेहद चिंताजनक है.
203 दिन चली लू: जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार आईएमडी (भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र) ने जो आंकड़े रिकॉर्ड किए हैं, उसमें यह बताया गया है कि 2021 में 36 दिन देशभर के तमाम राज्यों में लू चली थी, लेकिन इस बार साल 2022 में यह आंकड़ा पांच गुणा तेजी से बढ़ा है. इस साल 203 दिन देशभर में लू चली (heat wave days in country) है.
उत्तराखंड सबसे ऊपर: केंद्र सरकार के राज्य मंत्री ने सिलसिलेवार जो आंकड़े दिए, उसमें उत्तराखंड पहले नंबर पर था. साल 2012 में उत्तराखंड में लगभग 27 दिन लू चली थी, लेकिन इस साल उत्तराखंड में 28 दिन लू चली है. दूसरे नंबर राजस्थान था. राजस्थान में इस साल 26 दिन लू चली है. तीसरे नंबर पर पंजाब और हरियाणा है, जहां पर लू के अधिक दिन रिकॉर्ड किए गए हैं. हैरानी की बात ये है कि पड़ोसी राज्य हिमाचल में इस साल एक भी हीट वेव देखने को नहीं मिली.
क्या कहते है मौसम वैज्ञानिक: यूपी में साल 2022 में 15 दिन लू चली है. हालांकि, उत्तराखंड को लेकर सबकी चिंता बढ़ गई है. क्योंकि हिमालयी राज्य उत्तराखंड का हीट वेव के मामले में सबसे ऊपर रहना सबको सोचने पर मजबूर कर देता है. उत्तराखंड में ऐसा क्यों हुआ इस बारे में देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि इस बार 15 मार्च से लेकर 15 अप्रैल तक बारिश की एक बूंद भी प्रदेश के किसी भी हिस्से में नहीं गिरी, जिससे तापमान काफी बढ़ गया और इस वजह से उत्तराखंड में लू चली. इसका असर पहाड़ों में उस वक्त भी देखा गया जब अचानक से जंगल जगह-जगह आग से धधक रहे थे.
देश-प्रदेश दोनों की स्थिति खराब: भू एवं पर्यावरण वैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी जोशी की मानें तो ये आंकड़ा देश और प्रदेश दोनों के लिए ठीक नहीं है. जोशी इसके पीछे की एक बड़ी वजह लगातार पर्यावरण से हो रहे खिलवाड़ को मानते हैं. पहाड़ों में विकास के नाम पर जिस तरह से पेड़ों की कटाई हो रही है ये प्रदेश के लिए किसी भी तरह के हितकारी नहीं होगा. विकास के लिए पहाड़ों के साथ जो किया जा रहा है, उसके परिणाम भविष्य में बहुत विनाशकारी होंगे. ऐसे में जरूरी है कि बड़े स्तर पौधा रोपण किया जाए और साथ ही उनका ख्याल भी रखा जाए.
बड़ा खतरा: प्रोफेसर बीडी जोशी की मानें तो यदि समय रहते हमने अपनी जीवन शैली में बदलवा नहीं किया तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे. हमें कुदरत के गुस्से का सामना करना पड़ेगा. प्रदेश में यदि हर साल इसी तरह लू चली तो इसका सीधा असर फसलों पर पड़ेगा. वहीं, ग्लेशियर भी बहुत तेजी से पिघलने शुरू हो जाएंगे, जिसकी वजह से पूरा ईको सिस्टम प्रभावित होगा.