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उत्तराखंड की जेलों का हाल देश में सबसे खराब, स्टाफ आधा और कैदी दोगुना से भी ज्यादा - Uttarakhand at the bottom for dilapidated jails

उत्तराखंड के 11 जेलों में 7 हजार से ज्यादा कैदियों को रखा गया है. अपने खस्ताहाल और क्षमता से अधिक कैदियों के लिए व्यवस्था नहीं कर पाने की वजह से उत्तराखंड देश के सबसे निचले पायदान पर खड़ा है. हालांकि, 2015 में 4 नए जेल बनाने को लेकर स्वीकृति दी गई थी, लेकिन धरातल पर आज तक कुछ भी नहीं हुआ. देखिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

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उत्तराखंड की जेलों में कैदियों की हालत
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Published : Apr 14, 2023, 8:02 PM IST

उत्तराखंड की जेलों का हाल देश में सबसे खराब

देहरादून: जेलों में कैदियों की व्यवस्था को लेकर उत्तराखंड देश के सबसे निचले पायदान पर है. स्थिति यह है कि प्रदेश में कुल क्षमता से दोगुने कैदियों को जेल में ठूस कर रखा गया है. इतना ही नहीं न तो यहां पर्याप्त अधिकारियों की तैनाती की गई है और न ही इन कैदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पर्याप्त डॉक्टर ही नहीं उपलब्ध है. देश के दूसरे राज्य इस मामले में उत्तराखंड से बेहतर हालात में हैं.

उत्तराखंड यूं तो शांत प्रदेश माना जाता है और यहां बांकी राज्यों की तुलना में आपराधिक घटनाएं कम होती है. इसके बावजूद भी यहां के जेलों में कैदियों की संख्या कम नहीं है. राज्य में विभिन्न आपराधिक मामलों में 7 हजार से ज्यादा कैदी प्रदेश के जेलों में बंद है. जबकि उत्तराखंड की जेले इतनी बड़ी संख्या में कैदियों को रख पाने में सक्षम नहीं है.

ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड ऐसे बदतर हालातों से जूझने वाला एकमात्र राज्य है, देश के ऐसे कई राज्य भी हैं, जो कुल क्षमता से ज्यादा कैदियों को जेल में बंद किए हुए हैं. उत्तराखंड में जेलों की स्थिति क्या है? यह जानने के लिए सबसे पहले आपको उत्तराखंड की जेलों की स्थिति को समझना होगा. राज्य में जेलों की क्या स्थिति इस डाटा से समझिए.

उत्तराखंड में जेलों की स्थिति

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उत्तराखंड में जेलों की स्थिति

वैसे उत्तराखंड में जेलों की खस्ताहाल स्थिति की खबर सरकार और राज्य गृह विभाग को भी है, लेकिन कभी भी इसको लेकर कोई तेजी या अग्रिम कार्रवाई होती नहीं दिखाई दी है. जबकि साल 2015 के बाद राज्य में 4 जिलों में नए जेल बनाने की स्वीकृति दी जा चुकी है, लेकिन जेले बनाए जाने को लेकर कोई प्रगति नहीं दिख रही है. गृह विभाग विशेष सचिव रिद्धिम अग्रवाल कहती है कि विभाग की तरफ से कुछ नई जेलों के निर्माण पर प्रगति अंतिम दौर में है और जल्द ही राज्य को नई जेले मिल जाएंगी.
ये भी पढ़ें: एक तरफ धामी सरकार 2.0 के एक साल का जश्न, दूसरी तरफ इन फैसलों से जनता बेहद नाराज

देशभर की जेलों को लेकर इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में आंकड़े सामने रखे गए हैं. वैसे तो यह आंकड़े देशभर के तमाम राज्य में कैदियों की हालात को लेकर चिंता जाहिर कर रही हैं, लेकिन खासतौर पर उत्तराखंड समेत 6 राज्यों के लिए मौजूदा स्थिति बेहद खराब दिखाई देती है. कैदियों की इन जेलों में खराब हालात क्यों हैं, इसे भी जान लीजिए.

उत्तराखंड की जेलों में कैदियों की हालत

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उत्तराखंड की जेलों में कैदियों की हालत


देश के 17 राज्य में 50 से 100% तक की ऑक्यूपेंसी है. वहीं, 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 100 से 120% की ऑक्युपेंसी है. जबकि 6 राज्य या केंद्र शासित प्रदेश 120-150 प्रतिशत तक की ऑक्यूपेंसी वाले हैं. जबकि 6 राज्य 150 से 185 प्रतिशत तक की ऑक्यूपेंसी वाले राज्य है. उत्तराखंड में 2015 के बाद चार जेलों को स्वीकृति दी गई, इसमें चंपावत, उत्तरकाशी, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग में जेल बनाई जानी है. फिलहाल यहां के कैदियों को अन्य जिलों की जेलों में रखा गया है.

उत्तराखंड की जेलों का हाल देश में सबसे खराब

देहरादून: जेलों में कैदियों की व्यवस्था को लेकर उत्तराखंड देश के सबसे निचले पायदान पर है. स्थिति यह है कि प्रदेश में कुल क्षमता से दोगुने कैदियों को जेल में ठूस कर रखा गया है. इतना ही नहीं न तो यहां पर्याप्त अधिकारियों की तैनाती की गई है और न ही इन कैदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए पर्याप्त डॉक्टर ही नहीं उपलब्ध है. देश के दूसरे राज्य इस मामले में उत्तराखंड से बेहतर हालात में हैं.

उत्तराखंड यूं तो शांत प्रदेश माना जाता है और यहां बांकी राज्यों की तुलना में आपराधिक घटनाएं कम होती है. इसके बावजूद भी यहां के जेलों में कैदियों की संख्या कम नहीं है. राज्य में विभिन्न आपराधिक मामलों में 7 हजार से ज्यादा कैदी प्रदेश के जेलों में बंद है. जबकि उत्तराखंड की जेले इतनी बड़ी संख्या में कैदियों को रख पाने में सक्षम नहीं है.

ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड ऐसे बदतर हालातों से जूझने वाला एकमात्र राज्य है, देश के ऐसे कई राज्य भी हैं, जो कुल क्षमता से ज्यादा कैदियों को जेल में बंद किए हुए हैं. उत्तराखंड में जेलों की स्थिति क्या है? यह जानने के लिए सबसे पहले आपको उत्तराखंड की जेलों की स्थिति को समझना होगा. राज्य में जेलों की क्या स्थिति इस डाटा से समझिए.

उत्तराखंड में जेलों की स्थिति

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वैसे उत्तराखंड में जेलों की खस्ताहाल स्थिति की खबर सरकार और राज्य गृह विभाग को भी है, लेकिन कभी भी इसको लेकर कोई तेजी या अग्रिम कार्रवाई होती नहीं दिखाई दी है. जबकि साल 2015 के बाद राज्य में 4 जिलों में नए जेल बनाने की स्वीकृति दी जा चुकी है, लेकिन जेले बनाए जाने को लेकर कोई प्रगति नहीं दिख रही है. गृह विभाग विशेष सचिव रिद्धिम अग्रवाल कहती है कि विभाग की तरफ से कुछ नई जेलों के निर्माण पर प्रगति अंतिम दौर में है और जल्द ही राज्य को नई जेले मिल जाएंगी.
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देशभर की जेलों को लेकर इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में आंकड़े सामने रखे गए हैं. वैसे तो यह आंकड़े देशभर के तमाम राज्य में कैदियों की हालात को लेकर चिंता जाहिर कर रही हैं, लेकिन खासतौर पर उत्तराखंड समेत 6 राज्यों के लिए मौजूदा स्थिति बेहद खराब दिखाई देती है. कैदियों की इन जेलों में खराब हालात क्यों हैं, इसे भी जान लीजिए.

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देश के 17 राज्य में 50 से 100% तक की ऑक्यूपेंसी है. वहीं, 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 100 से 120% की ऑक्युपेंसी है. जबकि 6 राज्य या केंद्र शासित प्रदेश 120-150 प्रतिशत तक की ऑक्यूपेंसी वाले हैं. जबकि 6 राज्य 150 से 185 प्रतिशत तक की ऑक्यूपेंसी वाले राज्य है. उत्तराखंड में 2015 के बाद चार जेलों को स्वीकृति दी गई, इसमें चंपावत, उत्तरकाशी, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग में जेल बनाई जानी है. फिलहाल यहां के कैदियों को अन्य जिलों की जेलों में रखा गया है.

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