नई दिल्ली: उत्तराखंड जीएसटी विभाग के विशेष जांच ब्यूरो ने अवैध लकड़ी कारोबार मामले में कार्रवाई की है. उत्तराखंड जीएसटी विभाग ने मास्टरमाइंड शाहनवाज हुसैन के खिलाफ रुद्रपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 3,500 पेज की चार्जशीट दाखिल की है. अवैध लकड़ी (टिंबर) कारोबार के मास्टरमाइंड शाहनवाज हुसैन को 22 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. शाहनवाज हुसैन फर्जी कंपनियों और जाली बिलों के जरिए लकड़ी का व्यापार करता था, जिससे वह राज्य को कर चोरी में करोड़ों रुपये का चूना लगाता था.
अब इस मामले में उत्तराखंड जीएसटी विभाग ने 100 करोड़ रुपये के लकड़ी कारोबार पर 18 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित जीएसटी चोरी का खुलासा किया है. इस मामले में 3,500 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई है. एसआईबी (सब्सिडियरी इंटेलिजेंस ब्यूरो) अधिकारियों की एक टीम द्वारा की गई एक साल की जांच के बाद चार्जशीट तैयार की गई है. इसे उत्तराखंड कर विभाग के अधिकारियों आयुक्त डॉ अहमद इकबाल, अतिरिक्त आयुक्त राकेश वर्मा और संयुक्त आयुक्त ठाकुर रणवीर सिंह के निर्देशन में तैयार किया गया है.
पढ़ें- फेक GST बिल की कैसे करें पहचान, जानें डिटेल्स
अधिकारियों को इस मामले में चार्जशीट तैयार करने में कुल 58 दिन लगे. इस प्रक्रिया में फर्जी फर्मों के 200 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स, 60 से ज्यादा फोन मैसेज, व्हाट्सएप पर हुई चैट, करीब 30 कम्प्यूटरों से मिले डॉक्टूमेंट्स और बड़ी संख्या में फाइलों का फॉरेंसिक अध्ययन किया गया. इन सभी से मिले इनपुट्स चार्जशीट में शामिल किए गए हैं. चार्जशीट में वो फर्जी बिल भी लगाये गए हैं जो आरोपियों के ऑफिस और आवासीय परिसरों से जब्त किए गए थे.
एसआईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमने अदालत के सामने केवल कागजों पर मौजूद 28 से अधिक फर्मों द्वारा की गई 20 करोड़ रुपये की कर चोरी के सबूत पेश किए हैं जो 113 करोड़ की लकड़ी (टिंबर) की फर्जी बिक्री से हासिल हुए हैं. जब हमारी जांच चल रही थी तो कई टिंबर कंपनियों (जो इन फर्जी फर्मों के साथ मिलीभगत से कर की चोरी कर रही थी) ने ईमानदारी से टैक्स देना शुरू कर दिया क्योंकि इन कंपनियों को अपने खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का डर था. लगभग एक साल पहले यह मामला उठाया गया था इसलिए कंपनियों ने करोड़ों में टैक्स चुकाया है.'
पढ़ें- 'बिल लाओ इनाम पाओ' योजना से चांदी काट रहे दून के होटल और रेस्टोरेंट! राज्य सरकार को लगा रहे चूना
बता दें कि, बीते 4 मार्च से उत्तराखंड कर विभाग की टीम ने उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के जसपुर इलाके में गहन तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था, और तभी से मामले का मास्टरमाइंड आरोपी शाहनवाज हुसैन फरार था, जिसे 22 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया. एसआईबी टीम ने इस जांच में ड्रोन, एडवांस डिजिटल ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर फाल्कन, आर्टिफिशियल सुपरइंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का इस्तेमाल किया. इस ऑपरेशन में 27 टीमें बनाई गई थीं, जिसमें 300 से अधिक टैक्स और फॉरेंसिक अधिकारी, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स शामिल थे. इस जांच टीम ने 27 कमर्शियल प्रतिष्ठानों और ट्रांसपोर्टरों, वकीलों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के आवासों पर छापे मारे.
जांचकर्ता पिछले 9 महीनों से इन नेटवर्कों पर नजर रख रहे थे. उन्हें एक ही व्यक्ति के नाम पर कई फर्में मिली. जांच में पाया गया कि व्यापारियों के एक समूह ने टिंबर और उसके उत्पादों के अपने अवैध व्यापार को कानूनी संरक्षण देने और देश के सबसे बड़े टिंबर बाजारों में से एक उधमसिंह नगर में करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी करने के लिए फर्जी फर्में बनाईं. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों के लोगों की संलिप्तता का संदेह भी है.
पढ़ें- सिलक्यारा टनल हादसे के 38 दिन बाद निर्माण कार्य शुरू! पोलगांव बड़कोट की ओर बढ़ी श्रमिकों की गतिविधियां, अब इतनी बची सुरंग
जांचकर्ताओं को ये भी संदेह है कि बैंक अधिकारियों ने उचित केवाईसी प्रक्रिया के बिना ही खाते खोलने में आरोपियों की मदद की. अधिकारियों ने बताया कि, नेटवर्क में 25 से 30 प्रमुख लोग शामिल हैं जो मिलकर ये काम कर रहे हैं. जांच के दौरान जिन फर्मों एवं अपंजीकृत व्यवसाय स्थलों पर ताला लटका मिला, उन्हें जिला प्रशासन की अनुमति से सील कर दिया गया है.