देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में कितनी उथल-पुथल जारी है, इस बात का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि दूसरी लिस्ट जारी होने और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बयान देने के बाद भी 5 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं. देर रात कांग्रेस ने एक और लिस्ट जारी की है. वैसे तो ये तीसरी लिस्ट है, लेकिन इस लिस्ट में 5 सीटें दूसरी लिस्ट की ही शामिल हैं, जिनमें बड़े बदलाव किए गए हैं.
इस लिस्ट में सबसे पहले हरीश रावत की सीट को रामनगर से बदलकर लालकुआं कर दिया गया है जबकि रामनगर सीट पर अब महेंद्र पाल सिंह लड़ेंगे, जिनका नाम पहले कालाढूंगी सीट के लिए तय किया गया था. वहीं कालाढूंगी सीट पर महेश शर्मा को अब प्रत्याशी बनाया गया है. दो अन्य सीटें- डोईवाला और ज्वालापुर पर भी उम्मीदवार बदले गए हैं. डोईवाला में मोहित उनियाल के स्थान पर गौरव चौधरी का नाम फाइनल किया गया है जबकि ज्वालापुर सीट पर बरखा रानी का टिकट काटकर रवि बहादुर को दिया गया है.
इसके साथ ही पांच अन्य सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम जारी किए गए हैं. नरेंद्र नगर से ओम गोपाल रावत पर भरोसा जताया गया है. बता दें कि ओम गोपाल रावत 24 घंटे पहले ही बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं और उनकी सीधी टक्कर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल से है. वहीं, सल्ट से जैसे कि उम्मीद जताई जा रही थी रणजीत रावत को टिकट दिया गया है. हरिद्वार ग्रामीण से अनुपमा रावत तो चौबट्टाखाल सीट पर केसर सिंह नेगी का नाम फाइनल किया गया है.
कांग्रेस की जारी इस नई लिस्ट में गौर करने वाली 4 मुख्य बातें हैं. सबसे पहली बात- रामनगर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हटाना. यह कोई सामान्य बात नहीं है कि कांग्रेस चुनाव समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए कांग्रेस एक सीट भी फाइनल नहीं कर पा रही है. हरीश रावत के लिए सेफ सीट तलाश रही कांग्रेस को रामनगर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इतनी बगावत झेलनी पड़ी कि आखिरकार हरीश रावत को उस सीट से हटाकर लालकुआं सीट दी गई है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात ये है कि जिन रणजीत रावत के लिए ये सारी बगावत हो रही थी उनको फिर भी रामनगर से टिकट नहीं दिया गया और सल्ट भेजा गया है.
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यहां सवाल ये है कि अगर रणजीत रावत को लेकर ही बगावत हो रही थी तो उनको रामनगर सीट क्यों नहीं दी गई या केवल रामनगर से हरीश रावत को हटाने के लिए ही ये सारी बगावत थी. कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का साफ कहना था कि वो रामनगर से केवल रणजीत रावत को चुनाव लड़ते देखना चाहते हैं, तो क्या हरीश रावत को हटाने भर से ये बगावत शांत हो पाएगी?
दूसरी बात- हरीश रावत को जो लालकुआं सीट दी गई है वहां भी कम हंगामा नहीं बरपा. यहां कांग्रेस पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल को टिकट नहीं दिये जाने को लेकर जबरदस्त बगावती मूड में हैं. उधर, दुर्गापाल भी टिकट की आस में बैठे थे, उन्होंने कहा भी था कि टिकट में बदलाव हो सकते हैं. लेकिन पहले संध्या डालाकोटी को टिकट दे दिया गया और अब हरीश रावत को, यहां भी हरीश चंद्र दुर्गापाल का कोई नाम नहीं है. तो ऐसे में यहां भी बगावत अब रुकेगी या नहीं ये बड़ा सवाल है, क्योंकि हरीश चंद्र दुर्गापाल पहले ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं और उनकी यहां काफी जमीनी बेस है.
तीसरी बड़ी बात- चौबट्टाखाल सीट से केसर सिंह नेगी को टिकट दिया गया है जबकि अटकलें थीं कि बीजेपी से निष्कासित होने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत को चौबट्टाखाल से टिकट मिल सकता है लेकिन इस लिस्ट में भी हरक सिंह रावत का कहीं नाम नहीं है. यहां सवाल ये है कि क्या कांग्रेस हरक सिंह रावत को टिकट देगी भी या नहीं और अगर देगी तो कहां से? बता दें कि चौबट्टाखाल सीट पर फिलहाल कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का कब्जा है. पौड़ी की इस सीट पर ज्यादातर महाराज परिवार का ही दबदबा रहा है.
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चौथी और सबसे जरूरी बात जो इस लिस्ट में देखने को मिली है वो है हरिद्वार ग्रामीण से अनुपमा रावत का टिकट. एक पार्टी एक टिकट की बात करने वाली कांग्रेस ने हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को टिकट देकर अपनी बात ही झुठला दी है. एक और हरीश रावत बयान देते हैं कि पार्टी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देगी और दूसरी ओर उनकी बेटी को मिला ये टिकट उनके बयान पर ही बहुत बड़ा सवाल है. सवाल ये भी कि क्या कांग्रेस पार्टी हरीश रावत के सामने झुक गई है? हरिद्वार ग्रामीण वही सीट है जहां से पिछली बार 2017 में हरीश रावत ने चुनाव लड़ा था और वो स्वामी यतिश्वरानंद से बुरी तरह से हार गए थे. इस बार उनकी बेटी अनुपमा रावत को यहां से टिकट दिया गया है. कहा ये जा रहा है कि बीते 5 सालों में अनुपमा रावत ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है और उनका यह काम कांग्रेस के काम आएगा. अब यह तो वक्त बताएगा कि अनुपमा रावत स्वामी यतिश्वरानंद को हरा पाती हैं या नहीं लेकिन फिलहाल कांग्रेस परिवारवाद को तो नहीं हरा पाई है.