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उत्तराखंड : बीजेपी की सियासी चाल में उलझा कांग्रेस का गणित - BJP has spoiled the equation of Uttarakhand Congress

उत्तराखंड में कांग्रेस का सियासी समीकरण बिगड़ता जा रहा है. कांग्रेस विधायक के बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी हाशिये पर आ गई है. चर्चा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ सकते हैं. इस सबसे बीच कांग्रेस आलाकमान ने कांग्रेस चुनाव समित के अध्यक्ष हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत कई नेताओं को दिल्ली तलब किया है.

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Published : Sep 15, 2021, 9:10 PM IST

देहरादून : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भले ही उत्तराखंड की राजनीति का चाणक्य माना जाता हो. लेकिन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उनका गणित बिगड़ने लगा है. आलम ये है कि जब से कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया है तब से कांग्रेसी विधायक और कांग्रेस नेता भाजपा में में शामिल हो रहे हैं.

वहीं, इस सबके पीछे भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का हाथ सामने आ रहा है. बलूनी दिल्ली में बैठकर हरीश रावत का खेल बिगाड़ रहे हैं. हालांकि इन सभी हालातों पर कांग्रेस आलाकमान की नजरें भी गड़ी हुई है. यही वजह है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को दिल्ली तलब किया है. दूसरी तरफ अपनी कांग्रेस से अपनी नाराजगी जता चुके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी दिल्ली पहुंचे हुए हैं.

आगामी 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राजनीति में सियासी चालें और राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रहा है. एक तरफ भाजपा कांग्रेस के विधायकों को भाजपा की सदस्या दिला रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति पहले से ज्यादा बिगड़ती जा रही है. हाल ही में उत्तरकाशी के पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने के बाद आलाकमान ने सक्रिय होते हुए प्रदेश संगठन के तमाम नेताओं को दिल्ली तलब किया है. यही नहीं, हाल ही में कांग्रेस की कार्यकारिणी गठित होने के बाद से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि कांग्रेस में चल रही गुटबाजी पर विराम लगेगा. लेकिन, उसके उलट गुटबाजी और अधिक बढ़ गई है.

उत्तराखंड में कांग्रेस का सियासी समीकरण बिगड़ता जा रहा है.

दिल्ली से अनिल बलूनी खेल रहे खेल

उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों नेताओं का दलबदल जोरों शोरों से चल रहा है. खास बात यह है कि अभी तक जितने विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. उन सभी ने दिल्ली में अनिल बलूनी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा है. उत्तराखंड के धनौल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार और पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है. कहा यह जा रहा है कि दिल्ली में बैठकर अनिल बलूनी उत्तराखंड कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं. वहीं, अभी कुछ और नेता भी बीजेपी के संपर्क में हैं.

सोशल मीडिया पर हुई नोक-झोंक

हाल ही में सोशल मीडिया पर हरीश रावत और अनिल बलूनी दोनों नेता एक-दूसरे से भिड़ गए थे. राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने पूर्व सीएम हरीश रावत पर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने का आरोप लगाया है. वहीं, हरीश रावत ने सांसद बलूनी को विकास के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती दी है.

बलूनी ने हरीश रावत को कहा हरद्वारी लाल

राज्यसभा सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने हरीश रावत को लेकर लिखा था कि अल्मोड़ा वाले हरदा ऐसे नहीं थे. लेकिन जबसे हरदा हरद्वारी लाल बने, तब से उनके द्वारा अपनी सोच और समझ आमूलचूल रूप से बदल दी गई है. अब रावत ने भी अपनी पार्टी की तरह ही तुष्टिकरण के हिंदू-मुस्लिम कार्ड को गले में टांग लिया है.

हरीश रावत का पलटवार

इस जंग में हरीश रावत भी कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने भी बड़ा भाई बनकर अनिल बलूनी को जवाब दिया. हरीश रावत ने अनिल बलूनी की पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि थैंक्यू बलूनी जी. आपने मुझे हरद्वारी लाल कहकर संबोधित किया. अल्मोड़ा के लोगों का दिल बहुत बड़ा है. उनको यह जानकर खुशी होगी कि उनका हरीश रावत हरिद्वार का दिल जीत सका और विपक्ष को भी उनको हरद्वारी लाल कहकर संबोधित करना पड़ा.

हरीश रावत को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाने पर बढ़ी नाराजगी

साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दो-दो जगह से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद से ही हरीश रावत किसी न किसी तरह सक्रिय बने हुए हैं. लेकिन पिछले महीने अगस्त में कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व सीएम हरीश रावत को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया. जिसके बाद से ही अन्य गुटों में नाराजगी बढ़ गई. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि हरीश रावत की सक्रियता और बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद विरोधी गुटों में न सिर्फ नाराजगी बढ़ गई है. बल्कि वह भी अपनी सक्रियता को बढ़ाने लगे हैं.

पार्टी छोड़ रहे नेताओं से कांग्रेस को नुकसान

किसी भी दल का नेता दूसरे दल में शामिल होता है तो उसके पूर्ववर्ती दल को काफी नुकसान पहुंचता है. क्योंकि लंबे समय से दल में रहने वाले नेता के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं का समर्थन भी रहता है. ऐसे में अगर नेता दल बदलते हैं तो उसके समर्थक भी दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि,

कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने से कांग्रेस को होने वाले नुकसान का आंकलन अभी नहीं किया जा सकता. क्योंकि आने वाले समय में उत्तराखंड की राजनीति में तमाम तरह के बदलाव और समीकरण देखने को मिल सकते हैं.

कांग्रेस MLA के BJP में शामिल होने से बढ़ा कांग्रेस पर दबावः कांग्रेस विधायक राजकुमार का BJP में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी पर आलाकमान का दबाव बढ़ गया है. इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि,

कांग्रेस विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने की घटना को कांग्रेस आलाकमान हल्के में नहीं ले रहा है. यही वजह है कि प्रदेश संगठन के नेताओं को कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली तलब किया है. साथ ही आलाकमान इस बात को भी जानने की कोशिश कर रहा है कि किन वजह से राजकुमार ने बीजेपी का दामन थामा है.

कांग्रेस के बिखराव को समेटने में लगेगा समयः वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि,

कांग्रेस में बिखराव काफी लंबे समय से रहा है, जिसके चलते गुटों के नेताओं के चक्कर में कार्यकर्ता भी बिखर गए हैं. यही कारण है कि नेताओं को समेटने में अधिक समय लगेगा. लेकिन अभी भी कांग्रेस में गुटबाजी किसी न किसी रूप में कायम है, जो समय-समय पर सार्वजनिक हो रही है. भागीरथ शर्मा का कहना है कि जब भी कोई बात पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहते हैं तो उन्हीं के बात पर काउंटर करने के लिए कांग्रेस के ही तमाम नेता सामने आ जाते हैं.

कांग्रेस की गुटबाजी चुनावी चुनौतियों पर भारी

जब कांग्रेस के नई कार्यकारिणी का गठन किया गया, उसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष, प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष और गणेश गोदियाल को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उस दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ता यह महसूस कर रहे थे कि अब शायद एकजुट होकर सभी कांग्रेसी कार्यकर्ता काम करेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, कांग्रेस के बड़े नेता ही सार्वजनिक रूप से अपने ही नेताओं के खिलाफ बयान देते नजर आए. ऐसे में अगर इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो आगामी चुनाव की चुनौती कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. - भागीरथ शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

सेंधमारी पर कांग्रेस दे सकती है मुकम्मल जवाब

चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल सेंधमारी करते हैं. वर्तमान समय में अनिल बलूनी समेत भाजपा के तमाम नेता ऐसा कर रहे हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस के नेता चुप बैठे हों. बल्कि चर्चा इस बात की भी है कि आने वाले समय में कांग्रेस भाजपा के सेंधमारी का मुकम्मल जवाब देगी. ऐसा इसलिए कि चर्चा के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के करीब डेढ़ दर्जन सिटिंग विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं. हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है यह अभी नहीं कहा जा सकता. लेकिन अगर इसमें थोड़ी सी भी सच्चाई है तो नेता अपने भविष्य की तलाश में अन्य दलों में शामिल हो सकते हैं. - भागीरथ शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

ये भी पढ़ेंः BJP में 'बागियों' के सुर पर मदन कौशिक खामोश, ऑल इज वेल का दिखावा!

आने वाले समय में बदलेगा BJP का समीकरण: कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि,

वर्तमान समय में उत्तराखंड की राजनीति में जो चल रहा है, उससे कांग्रेस का कोई भी समीकरण नहीं बिगड़ रहा है. लेकिन इतना जरूर है कि आने वाले समय में भाजपा का समीकरण जरूर बदलेगा. आने वाले समय में भाजपा को अपने कुनबे को एक रखने में काफी दिक्कत होगी. मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि वर्तमान कैबिनेट मंत्रियों के साथ ही कई विधायकों की बयानबाजी से साफ झलकने लगा है कि भाजपा अपने अंदरूनी, सिर फुटव्वल से खुद ही परेशान है. - मथुरा दत्त जोशी, प्रदेश महामंत्री, कांग्रेस

चुनाव से पहले ही सिमट रही कांग्रेसः भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स का कहना है कि,

दिल्ली में कांग्रेस विधायक समेत अन्य विधायक और उनके सहयोगी जिस तरह से भाजपा की सदस्यता ले रहे हैं, उससे हरीश रावत समेत कांग्रेस पार्टी में खलबली मची हुई है. ऐसे में हरीश रावत अपना कुनबा बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. लेकिन कांग्रेस का टूटना लगातार जारी है. ऐसे में भाजपा ने जो संकल्प लिया था कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इकाई में सिमट देंगे, 2021 में ही पूरा होता नजर आ रहा है. इसी के तहत आगामी विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस पूरी तरह साफ हो जाएगी. - शादाब शम्स, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

पढ़ेंः हरीश रावत ने जताई आशंका, बोले- परिवर्तन यात्रा में किसी नेता पर फेंका जा सकता है तेजाब

पढ़ेंः उत्तराखंड की राजनीति में ये क्या हो रहा, जानिए क्या है 'खटमल' और 'लीख' की लड़ाई

देहरादून : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भले ही उत्तराखंड की राजनीति का चाणक्य माना जाता हो. लेकिन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उनका गणित बिगड़ने लगा है. आलम ये है कि जब से कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया है तब से कांग्रेसी विधायक और कांग्रेस नेता भाजपा में में शामिल हो रहे हैं.

वहीं, इस सबके पीछे भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का हाथ सामने आ रहा है. बलूनी दिल्ली में बैठकर हरीश रावत का खेल बिगाड़ रहे हैं. हालांकि इन सभी हालातों पर कांग्रेस आलाकमान की नजरें भी गड़ी हुई है. यही वजह है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को दिल्ली तलब किया है. दूसरी तरफ अपनी कांग्रेस से अपनी नाराजगी जता चुके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी दिल्ली पहुंचे हुए हैं.

आगामी 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राजनीति में सियासी चालें और राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रहा है. एक तरफ भाजपा कांग्रेस के विधायकों को भाजपा की सदस्या दिला रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति पहले से ज्यादा बिगड़ती जा रही है. हाल ही में उत्तरकाशी के पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने के बाद आलाकमान ने सक्रिय होते हुए प्रदेश संगठन के तमाम नेताओं को दिल्ली तलब किया है. यही नहीं, हाल ही में कांग्रेस की कार्यकारिणी गठित होने के बाद से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि कांग्रेस में चल रही गुटबाजी पर विराम लगेगा. लेकिन, उसके उलट गुटबाजी और अधिक बढ़ गई है.

उत्तराखंड में कांग्रेस का सियासी समीकरण बिगड़ता जा रहा है.

दिल्ली से अनिल बलूनी खेल रहे खेल

उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों नेताओं का दलबदल जोरों शोरों से चल रहा है. खास बात यह है कि अभी तक जितने विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. उन सभी ने दिल्ली में अनिल बलूनी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा है. उत्तराखंड के धनौल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार और पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है. कहा यह जा रहा है कि दिल्ली में बैठकर अनिल बलूनी उत्तराखंड कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं. वहीं, अभी कुछ और नेता भी बीजेपी के संपर्क में हैं.

सोशल मीडिया पर हुई नोक-झोंक

हाल ही में सोशल मीडिया पर हरीश रावत और अनिल बलूनी दोनों नेता एक-दूसरे से भिड़ गए थे. राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने पूर्व सीएम हरीश रावत पर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने का आरोप लगाया है. वहीं, हरीश रावत ने सांसद बलूनी को विकास के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती दी है.

बलूनी ने हरीश रावत को कहा हरद्वारी लाल

राज्यसभा सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने हरीश रावत को लेकर लिखा था कि अल्मोड़ा वाले हरदा ऐसे नहीं थे. लेकिन जबसे हरदा हरद्वारी लाल बने, तब से उनके द्वारा अपनी सोच और समझ आमूलचूल रूप से बदल दी गई है. अब रावत ने भी अपनी पार्टी की तरह ही तुष्टिकरण के हिंदू-मुस्लिम कार्ड को गले में टांग लिया है.

हरीश रावत का पलटवार

इस जंग में हरीश रावत भी कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने भी बड़ा भाई बनकर अनिल बलूनी को जवाब दिया. हरीश रावत ने अनिल बलूनी की पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए लिखा कि थैंक्यू बलूनी जी. आपने मुझे हरद्वारी लाल कहकर संबोधित किया. अल्मोड़ा के लोगों का दिल बहुत बड़ा है. उनको यह जानकर खुशी होगी कि उनका हरीश रावत हरिद्वार का दिल जीत सका और विपक्ष को भी उनको हरद्वारी लाल कहकर संबोधित करना पड़ा.

हरीश रावत को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाने पर बढ़ी नाराजगी

साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दो-दो जगह से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद से ही हरीश रावत किसी न किसी तरह सक्रिय बने हुए हैं. लेकिन पिछले महीने अगस्त में कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व सीएम हरीश रावत को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया. जिसके बाद से ही अन्य गुटों में नाराजगी बढ़ गई. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि हरीश रावत की सक्रियता और बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद विरोधी गुटों में न सिर्फ नाराजगी बढ़ गई है. बल्कि वह भी अपनी सक्रियता को बढ़ाने लगे हैं.

पार्टी छोड़ रहे नेताओं से कांग्रेस को नुकसान

किसी भी दल का नेता दूसरे दल में शामिल होता है तो उसके पूर्ववर्ती दल को काफी नुकसान पहुंचता है. क्योंकि लंबे समय से दल में रहने वाले नेता के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं का समर्थन भी रहता है. ऐसे में अगर नेता दल बदलते हैं तो उसके समर्थक भी दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि,

कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने से कांग्रेस को होने वाले नुकसान का आंकलन अभी नहीं किया जा सकता. क्योंकि आने वाले समय में उत्तराखंड की राजनीति में तमाम तरह के बदलाव और समीकरण देखने को मिल सकते हैं.

कांग्रेस MLA के BJP में शामिल होने से बढ़ा कांग्रेस पर दबावः कांग्रेस विधायक राजकुमार का BJP में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी पर आलाकमान का दबाव बढ़ गया है. इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि,

कांग्रेस विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने की घटना को कांग्रेस आलाकमान हल्के में नहीं ले रहा है. यही वजह है कि प्रदेश संगठन के नेताओं को कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली तलब किया है. साथ ही आलाकमान इस बात को भी जानने की कोशिश कर रहा है कि किन वजह से राजकुमार ने बीजेपी का दामन थामा है.

कांग्रेस के बिखराव को समेटने में लगेगा समयः वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि,

कांग्रेस में बिखराव काफी लंबे समय से रहा है, जिसके चलते गुटों के नेताओं के चक्कर में कार्यकर्ता भी बिखर गए हैं. यही कारण है कि नेताओं को समेटने में अधिक समय लगेगा. लेकिन अभी भी कांग्रेस में गुटबाजी किसी न किसी रूप में कायम है, जो समय-समय पर सार्वजनिक हो रही है. भागीरथ शर्मा का कहना है कि जब भी कोई बात पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहते हैं तो उन्हीं के बात पर काउंटर करने के लिए कांग्रेस के ही तमाम नेता सामने आ जाते हैं.

कांग्रेस की गुटबाजी चुनावी चुनौतियों पर भारी

जब कांग्रेस के नई कार्यकारिणी का गठन किया गया, उसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष, प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष और गणेश गोदियाल को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उस दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ता यह महसूस कर रहे थे कि अब शायद एकजुट होकर सभी कांग्रेसी कार्यकर्ता काम करेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, कांग्रेस के बड़े नेता ही सार्वजनिक रूप से अपने ही नेताओं के खिलाफ बयान देते नजर आए. ऐसे में अगर इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो आगामी चुनाव की चुनौती कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. - भागीरथ शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

सेंधमारी पर कांग्रेस दे सकती है मुकम्मल जवाब

चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल सेंधमारी करते हैं. वर्तमान समय में अनिल बलूनी समेत भाजपा के तमाम नेता ऐसा कर रहे हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस के नेता चुप बैठे हों. बल्कि चर्चा इस बात की भी है कि आने वाले समय में कांग्रेस भाजपा के सेंधमारी का मुकम्मल जवाब देगी. ऐसा इसलिए कि चर्चा के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के करीब डेढ़ दर्जन सिटिंग विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं. हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है यह अभी नहीं कहा जा सकता. लेकिन अगर इसमें थोड़ी सी भी सच्चाई है तो नेता अपने भविष्य की तलाश में अन्य दलों में शामिल हो सकते हैं. - भागीरथ शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

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आने वाले समय में बदलेगा BJP का समीकरण: कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि,

वर्तमान समय में उत्तराखंड की राजनीति में जो चल रहा है, उससे कांग्रेस का कोई भी समीकरण नहीं बिगड़ रहा है. लेकिन इतना जरूर है कि आने वाले समय में भाजपा का समीकरण जरूर बदलेगा. आने वाले समय में भाजपा को अपने कुनबे को एक रखने में काफी दिक्कत होगी. मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि वर्तमान कैबिनेट मंत्रियों के साथ ही कई विधायकों की बयानबाजी से साफ झलकने लगा है कि भाजपा अपने अंदरूनी, सिर फुटव्वल से खुद ही परेशान है. - मथुरा दत्त जोशी, प्रदेश महामंत्री, कांग्रेस

चुनाव से पहले ही सिमट रही कांग्रेसः भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स का कहना है कि,

दिल्ली में कांग्रेस विधायक समेत अन्य विधायक और उनके सहयोगी जिस तरह से भाजपा की सदस्यता ले रहे हैं, उससे हरीश रावत समेत कांग्रेस पार्टी में खलबली मची हुई है. ऐसे में हरीश रावत अपना कुनबा बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. लेकिन कांग्रेस का टूटना लगातार जारी है. ऐसे में भाजपा ने जो संकल्प लिया था कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इकाई में सिमट देंगे, 2021 में ही पूरा होता नजर आ रहा है. इसी के तहत आगामी विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस पूरी तरह साफ हो जाएगी. - शादाब शम्स, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

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