नई दिल्ली: अफगानिस्तान में शांति बहाली को लेकर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने नई दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, संयुक्त सचिव जेपी सिंह और अन्य के साथ मुलाकात की. इस भेंटवार्ता में अफगानिस्तान में शांति बहाली के मुद्दों पर अपने विचार साझा किये. इससे पहले भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ अफगानिस्तान के विषय पर चर्चा की गयी थी.
गौरतलब है कि रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ अफगानिस्तान के विषय पर हाल में हुई 'दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता' भारत की उम्मीद से बेहतर रही. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की अध्यक्षता में हुई वार्ता में रूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के उनके समकक्षों ने भाग लिया था.
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US Special Representative for Afghanistan Thomas West met with Indian National Security Advisor Ajit Doval, Foreign Secretary Harsh V Shringla, Joint Secretary JP Singh & others in New Delhi to address shared interests for a peaceful Afghanistan. pic.twitter.com/ep9ownxblO
— ANI (@ANI) November 17, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) November 17, 2021US Special Representative for Afghanistan Thomas West met with Indian National Security Advisor Ajit Doval, Foreign Secretary Harsh V Shringla, Joint Secretary JP Singh & others in New Delhi to address shared interests for a peaceful Afghanistan. pic.twitter.com/ep9ownxblO
— ANI (@ANI) November 17, 2021
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एक सूत्र ने कहा, 'इनमें सुरक्षा की स्थिति, आतंकवाद का बढ़ता खतरा और आसन्न मानवीय संकट जैसे मामले शामिल थे.' उसने कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने मानवीय मदद की आवश्यकता पर गौर किया और जोर दिया कि इसके लिए थल एवं वायु मार्ग उपलब्ध रहने चाहिए और किसी को इस प्रक्रिया को बाधित नहीं करना चाहिए.'
सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी द्विपक्षीय एजेंडे के चलते किसी को भी वार्ता प्रक्रिया का बहिष्कार नहीं करना चाहिए. उल्लेखनीय है कि भारत ने चीन और पाकिस्तान को भी इस वार्ता के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन दोनों देशों ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया.