नई दिल्ली : अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने बाइडेन प्रशासन से भारत के ग्रीन कार्ड आवेदकों (Indian Green Card applicants) को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है. दरअसल ये प्रतीक्षा अवधि काफी लंबी है. 195 साल की लंबी प्रतीक्षा अवधि के कारण बड़ी संख्या में भारतीय असमंजस की स्थिति में हैं.
भारतीय आईटी पेशेवरों को मौजूदा आव्रजन प्रणाली से सबसे अधिक नुकसान होता है, जिसके तहत हर देश को ग्रीन कार्ड जारी करने का सात प्रतिशत कोटा आवंटित किया गया है. ज्यादातर भारतीय आईटी पेशेवर उच्च कौशल वाले होते हैं और वे मुख्यत: एच-1बी कार्य वीजा पर अमेरिका आते हैं.
56 सांसदों ने लिखा पत्र : भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में 56 सांसदों के द्विदलीय समूह ने एंटनी ब्लिंकन और होमलैंड सुरक्षा विभाग के सचिव एलेजांद्रो मयोरकास को एक पत्र भेजा है. पत्र में प्रशासन से उच्च-कुशल रोजगार-आधारित वीजा धारकों को राहत प्रदान करने के लिए कार्यकारी कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है.
पत्र में अमेरिकी सांसदों ने प्रशासन से ब्यूरो ऑफ कॉन्सुलर अफेयर्स द्वारा प्रकाशित रोजगार-आधारित वीजा बुलेटिन में रोजगार-आधारित वीजा आवेदन दाखिल करने की सभी तारीखों को 'वर्तमान' के रूप में चिह्नित करने की भी अपील की है.
क्या है ग्रीन कार्ड : ग्रीन कार्ड, जिसे आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है. अमेरिका में अप्रवासियों को सबूत के तौर पर जारी किया जाने वाला एक दस्तावेज है कि धारक को स्थायी रूप से रहने का विशेषाधिकार दिया गया है.
195 साल पहुंच गया है बैकलॉग : वहीं, फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआईआईडीएस यूएसए) ने एक अलग अपील में अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा कि रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड आवंटन पर सात प्रतिशत की देश सीमा के आसपास की मौजूदा स्थिति विशेष रूप से भारत जैसे देशों के लिए गंभीर परिणाम पैदा कर रही है, जहां बैकलॉग आश्चर्यजनक रूप से 195 वर्षों तक पहुंच गया है.
अमेरिकी कंपनियों में बड़ी संख्या में काम करते हैं भारतीय : इसमें कहा गया है कि यह बैकलॉग भारतीय तकनीकी पेशेवरों को असंगत रूप से प्रभावित करता है, जो उच्च कुशल एसटीईएम प्रतिभा और अमेरिका-शिक्षित स्नातकों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये प्रौद्योगिकी उद्योगों में संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. STEM का मतलब विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) विषय हैं.
एफआईआईडीएस का कहना है कि 'हमने ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में फंसे भारतीय एच-1बी को राहत दिलाने के प्रयास शुरू किए. हमने एक परिवर्तन याचिका शुरू की है, हम प्रतिनिधियों, विभिन्न अन्य संगठनों और प्रभावशाली लोगों से संपर्क कर रहे हैं. हम ग्रीन कार्ड आवेदकों के लिए प्राथमिकता तिथियों को चालू करने के लिए प्रशासनिक कार्रवाई करने के लिए राज्य विभाग में कांसुलर सेवाओं के ब्यूरो के साथ-साथ डीएचएस में यूएससीआईएस तक पहुंच रहे हैं.'
पत्र में क्या?: सांसदों ने अपने पत्र में कहा कि सभी तिथियों को 'वर्तमान' रूप में चिह्नित करने से आवेदकों की देश-आधारित प्राथमिकता तिथि की परवाह किए बिना रोजगार-आधारित आवेदन दाखिल करने की अनुमति मिल जाएगी. इससे अमेरिकी आव्रजन प्रणाली में कानूनी रूप से नेविगेट करने का प्रयास करने वाले हजारों व्यक्तियों को राहत मिलेगी और संभावित रूप से कुछ लोग नौकरी बदलने, व्यवसाय शुरू करने और बिना दंड के परिवार से मिलने के लिए विदेश यात्रा करने के लिए रोजगार प्राधिकरण दस्तावेजों के लिए पात्र बन सकते हैं.
कांग्रेसी राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, 'मुझे हमारे कानूनी आव्रजन प्रणाली में नौकरशाही देरी को संबोधित करने के लिए बाइडेन प्रशासन से आग्रह करने में अपने सहयोगियों के साथ शामिल होने पर गर्व है, जो हमारी अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहे हैं और कई परिवारों को अधर में छोड़ रहे हैं. मौजूदा कानून के तहत अपने अधिकार का उपयोग करके, प्रशासन हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और रोजगार पैदा करने में मदद करते हुए इस बोझ को कम कर सकता है.'
कांग्रेसी बुकशॉन ने कहा, 'दुर्भाग्य से हमारे देश की कानूनी आव्रजन प्रणाली में नौकरशाही लालफीताशाही के कारण, वे वीज़ा बैकलॉग में फंस गए हैं और उनके पास नौकरी बदलने, व्यवसाय शुरू करने और बिना दंड के विदेश यात्रा करने की सुविधा नहीं है. मेरा मानना है कि प्रशासन के लिए मौजूदा कानून के तहत कार्य करना महत्वपूर्ण है ताकि इन कानूनी आप्रवासियों के लिए हमारी आव्रजन प्रणाली को नेविगेट करना आसान हो सके और हमारे देश और हमारी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान देना जारी रखा जा सके.'
क्या है एच1बी वीजा : एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों को विशेष व्यवसायों में नियुक्त करने की अनुमति देता है जिनके लिए सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस पर निर्भर हैं.
इमिग्रेशन वॉयस के अध्यक्ष अमन कपूर ने कहा कि 'कांग्रेसी कृष्णमूर्ति और बुकशॉन द्वारा पत्र में प्रस्तावित यह उपाय लगभग दस लाख उच्च कुशल आप्रवासियों के लिए नौकरी बदलने और यात्रा करने की क्षमता जैसे बुनियादी मानव अधिकार प्रदान करने के लिए एक पूर्ण गेम चेंजर होगा. अमेरिका में यह किसी भी समय समाप्त हो सकता है और यह पूरी तरह से उनके नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर है.'
दरअसल 'भेदभावपूर्ण' आव्रजन प्रणाली के कारण भारतीय नागरिकों को ग्रीन कार्ड के लिए 200 साल तक इंतजार करना पड़ता है जबकि 150 अन्य देशों के लोगों को बिल्कुल भी इंतजार नहीं करना पड़ता है.
आंकड़े बता रहे हकीकत : हाल ही में अमेरिकी उच्चायोग के आंकड़ों के अनुसार, रिकॉर्ड संख्या में भारतीय छात्रों ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को चुना, अमेरिका में पढ़ने वाले दस लाख से अधिक विदेशी छात्रों में से लगभग 21 प्रतिशत भारतीय हैं.
ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 200,000 भारतीय छात्रों ने 2021-22 शैक्षणिक वर्ष में अमेरिका को अपने उच्च शिक्षा गंतव्य के रूप में चुना - पिछले वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. लेकिन जब बात ग्रीन कार्ड की आती है तो उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है.
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(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)