ETV Bharat / bharat

दुनिया भर में सैन्य ठिकाना बना रहा चीन, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने जताई आशंका - अमेरिकी रक्षा विभाग

चीन अपनी विस्तारवादी नीति को अमलीजामी पहनाने के लिए दुनिया के कई हिस्सों में मिलिट्री बेस बना रहा है. अमेरिकी रक्षा विभाग (US department of defence) की रिपोर्ट के मुताबिक चीन अब कंबोडिया, संयुक्त अरब अमीरात और इक्वेटोरियल गिनी में सैन्य ठिकाना बनाने की कोशिश कर रहा है.

china military bases
china military bases
author img

By

Published : Dec 14, 2021, 10:08 AM IST

हांगकांग : चीन दुनिया भर में सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है. मगर उसने अभी तक सिर्फ एक ठिकाने की पुष्टि की है. अमेरिकी रक्षा विभाग का दावा है कि चीन अपनी थल सेना, वायुसेना और नौसेना को अतिरिक्त मिलिट्री फैसिलिटी उपलब्ध करा रहा है. साथ ही उसने साइबर और स्पेस पावर के लिए भी सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है. पेंटागन के अधिकारियों का कहना है कि शी जिनपिंग ने सत्ता संभालने के बाद चीन की सेना को और आक्रमक बनाया है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. अब वह दुनिया के अन्य देशों में सैन्य ठिकानों और रसद सुविधाओं के लिए जमीन तलाश रहा है.

पिछले दिनों इक्वेटोरियल गिनी और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भी काफी चर्चित रहा. रिपोर्टस के मुताबिक, संभव है कि चीन इन दोनों देशों में सैन्य ठिकाना बना रहा है. दिसंबर की शुरुआत में, मीडिया रिपोर्टों ने आरोप लगाया कि चीन इक्वेटोरियल गिनी में अपना पहला अटलांटिक सैन्य अड्डा बनाने की कोशिश कर रहा है. इससे पहले चीन को संयुक्त राज्य अमेरिका से कड़ी चेतावनी के बाद अबू धाबी से 80 किमी उत्तर में खलीफा के कार्गो बंदरगाह पर निर्माण रोकना पड़ा था.

china military bases
एएनआई सांकेतिक तस्वीर

अमेरिका ने आरोप लगाया था कि संयुक्त अरब अमीरात के बिना बताए चीन वहीं गुप्त रूप से सैन्य ठिकाना बना रहा है. 2018 में, संयुक्त अरब अमीरात और चीन ने COSCO शिपिंग पोर्ट्स अबू धाबी टर्मिनल को अपग्रेड करने के लिए USD300 मिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. यह बंदरगाह अल धफरा एयर बेस और जेबेल अली दोनों के पास स्थित है. दुबई के इस बंदरगाह पर यूएस नेवी की शिप के आने की फ्रीक्वेंसी अधिक है. संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर यूएस नेवी के लिए दुबई सबसे व्यस्त बंदरगाह है.

यूएस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन कंबोडिया में सैन्य बेस बना रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि सितंबर-अक्टूबर 2020 में, कंबोडिया ने रीम नेवल बेस में यूएस की ओर बनाए गए दो इमारतों को ध्वस्त कर दिया. बाद में, कंबोडियाई रक्षा मंत्री टी बान ने पुष्टि की कि चीन उनके देश में आधार बुनियादी ढांचे के विस्तार में मदद कर रहा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजिंग मिलिट्री बेस का उपयोग विदेशी क्षेत्र में पैर जमाने के लिए कर सकता है.

पिछले दिनों वॉल स्ट्रीट जर्नल ने आरोप लगाया था कि चीन की नेवी को सुविधा देने के लिए कंबोडिया ने गुप्त रूप से 30 साल के लिए समझौता किया है. हालांकि कंबोडियाई सरकार ने इसका कड़ा खंडन किया. मगर कंबोडिया के कोह कोंग में बनाया गया एक विशाल एयरपोर्ट से आशंका जताई जा रही है कि चीन ने इसे अपने मिलिट्री बेस से लिए बनाया है.

इससे पहले 2019 में चीन ने सोलोमन के तुलागी द्वीप को 75 साल के लीज़ पर लेने का समझौता किया था. इसे अमरीका के लिए झटके के तौर पर देखा गया. चीन ने सोलोमन पर ताइवान से 36 साल पुराना औपचारिक संबंध खत्म करने का दबाव भी बनाया. प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी में सोलोमन का उसके साथ आना अमरीका हक़ में नहीं था. इस समझौते के ज़रिए चीन ऑस्ट्रेलिया के दरवाज़े तक आ जाएगा. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तुलागी द्वीप जापान की नौसेना का ठिकाना था.

(ANI रिपोर्ट)

पढ़ें - चीन ने नानकिंग नरसंहार की 84वीं बरसी मनाई

हांगकांग : चीन दुनिया भर में सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है. मगर उसने अभी तक सिर्फ एक ठिकाने की पुष्टि की है. अमेरिकी रक्षा विभाग का दावा है कि चीन अपनी थल सेना, वायुसेना और नौसेना को अतिरिक्त मिलिट्री फैसिलिटी उपलब्ध करा रहा है. साथ ही उसने साइबर और स्पेस पावर के लिए भी सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है. पेंटागन के अधिकारियों का कहना है कि शी जिनपिंग ने सत्ता संभालने के बाद चीन की सेना को और आक्रमक बनाया है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. अब वह दुनिया के अन्य देशों में सैन्य ठिकानों और रसद सुविधाओं के लिए जमीन तलाश रहा है.

पिछले दिनों इक्वेटोरियल गिनी और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भी काफी चर्चित रहा. रिपोर्टस के मुताबिक, संभव है कि चीन इन दोनों देशों में सैन्य ठिकाना बना रहा है. दिसंबर की शुरुआत में, मीडिया रिपोर्टों ने आरोप लगाया कि चीन इक्वेटोरियल गिनी में अपना पहला अटलांटिक सैन्य अड्डा बनाने की कोशिश कर रहा है. इससे पहले चीन को संयुक्त राज्य अमेरिका से कड़ी चेतावनी के बाद अबू धाबी से 80 किमी उत्तर में खलीफा के कार्गो बंदरगाह पर निर्माण रोकना पड़ा था.

china military bases
एएनआई सांकेतिक तस्वीर

अमेरिका ने आरोप लगाया था कि संयुक्त अरब अमीरात के बिना बताए चीन वहीं गुप्त रूप से सैन्य ठिकाना बना रहा है. 2018 में, संयुक्त अरब अमीरात और चीन ने COSCO शिपिंग पोर्ट्स अबू धाबी टर्मिनल को अपग्रेड करने के लिए USD300 मिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. यह बंदरगाह अल धफरा एयर बेस और जेबेल अली दोनों के पास स्थित है. दुबई के इस बंदरगाह पर यूएस नेवी की शिप के आने की फ्रीक्वेंसी अधिक है. संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर यूएस नेवी के लिए दुबई सबसे व्यस्त बंदरगाह है.

यूएस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन कंबोडिया में सैन्य बेस बना रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि सितंबर-अक्टूबर 2020 में, कंबोडिया ने रीम नेवल बेस में यूएस की ओर बनाए गए दो इमारतों को ध्वस्त कर दिया. बाद में, कंबोडियाई रक्षा मंत्री टी बान ने पुष्टि की कि चीन उनके देश में आधार बुनियादी ढांचे के विस्तार में मदद कर रहा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजिंग मिलिट्री बेस का उपयोग विदेशी क्षेत्र में पैर जमाने के लिए कर सकता है.

पिछले दिनों वॉल स्ट्रीट जर्नल ने आरोप लगाया था कि चीन की नेवी को सुविधा देने के लिए कंबोडिया ने गुप्त रूप से 30 साल के लिए समझौता किया है. हालांकि कंबोडियाई सरकार ने इसका कड़ा खंडन किया. मगर कंबोडिया के कोह कोंग में बनाया गया एक विशाल एयरपोर्ट से आशंका जताई जा रही है कि चीन ने इसे अपने मिलिट्री बेस से लिए बनाया है.

इससे पहले 2019 में चीन ने सोलोमन के तुलागी द्वीप को 75 साल के लीज़ पर लेने का समझौता किया था. इसे अमरीका के लिए झटके के तौर पर देखा गया. चीन ने सोलोमन पर ताइवान से 36 साल पुराना औपचारिक संबंध खत्म करने का दबाव भी बनाया. प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी में सोलोमन का उसके साथ आना अमरीका हक़ में नहीं था. इस समझौते के ज़रिए चीन ऑस्ट्रेलिया के दरवाज़े तक आ जाएगा. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तुलागी द्वीप जापान की नौसेना का ठिकाना था.

(ANI रिपोर्ट)

पढ़ें - चीन ने नानकिंग नरसंहार की 84वीं बरसी मनाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.