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कोविड-19 की दूसरी लहर में अधिक शहरी पुरुषों ने खोई नौकरियां : CMIE

दूसरी लहर के दौरान, शहरी महिलाओं को नौकरियों का सबसे कम नुकसान हुआ. अप्रैल-जून 2021 के दौरान नौकरी छूटने का बोझ पुरुषों पर आ गया है जिसमें शहरी पुरुषों के बीच नौकरियों का कहीं अधिक नुकसान हुआ है.

शहरी पुरुषों ने खोई नौकरियां
शहरी पुरुषों ने खोई नौकरियां
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Published : Jul 16, 2021, 10:50 PM IST

मुंबई : सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Center for Monitoring Indian Economy-CMIE) के अनुसार, कोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर के दौरान शहरी पुरुषों ने महिलाओं की तुलना में अधिक नौकरियां खोईं. CMIE के प्रबंध निदेशक और सीईओ महेश व्यास ने अपने विश्लेषण में कहा कि कोविड ​​​​-19 की पहली लहर के कारण नौकरियों का सबसे अधिक नुकसान शहरी महिलाओं में हुआ था.

उन्होंने कहा कि शहरी महिलाएं कुल रोजगार का लगभग तीन प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन महामारी (Pandemic) की पहली लहर में कुल नौकरी का 39 प्रतिशत नुकसान महिलाओं को हुआ. व्यास ने कहा कि 63 लाख नौकरियों के नुकसान में से, शहरी महिलाओं को 24 लाख का नुकसान हुआ.

पढ़ें : Covid Third Wave पर बोली सरकार, अगले 100 दिन अहम, सतर्कता बरतें

उन्होंने कहा कि हालांकि, दूसरी लहर के दौरान, शहरी महिलाओं को नौकरियों का सबसे कम नुकसान हुआ. अप्रैल-जून 2021 के दौरान नौकरी छूटने का बोझ पुरुषों पर आ गया है जिसमें शहरी पुरुषों के बीच नौकरियों का कहीं अधिक नुकसान हुआ है.

उन्होंने कहा कि शहरी पुरुष भारत में कुल रोजगार का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा हैं. मार्च 2021 तक उन्हें नौकरियों के नुकसान कम यानी 26 प्रतिशत था. लेकिन, जून 2021 को समाप्त तिमाही में कुल नौकरी के नुकसान में उनकी हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक थी. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को अपनी नौकरी वापस मिल गई या उन्हें वैकल्पिक नौकरी मिली, उन्हें कम मजदूरी दरों पर काम मिला और घरेलू आय में रोजगार की तुलना में बहुत अधिक गिरावट आई है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Center for Monitoring Indian Economy-CMIE) के अनुसार, कोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर के दौरान शहरी पुरुषों ने महिलाओं की तुलना में अधिक नौकरियां खोईं. CMIE के प्रबंध निदेशक और सीईओ महेश व्यास ने अपने विश्लेषण में कहा कि कोविड ​​​​-19 की पहली लहर के कारण नौकरियों का सबसे अधिक नुकसान शहरी महिलाओं में हुआ था.

उन्होंने कहा कि शहरी महिलाएं कुल रोजगार का लगभग तीन प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन महामारी (Pandemic) की पहली लहर में कुल नौकरी का 39 प्रतिशत नुकसान महिलाओं को हुआ. व्यास ने कहा कि 63 लाख नौकरियों के नुकसान में से, शहरी महिलाओं को 24 लाख का नुकसान हुआ.

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उन्होंने कहा कि हालांकि, दूसरी लहर के दौरान, शहरी महिलाओं को नौकरियों का सबसे कम नुकसान हुआ. अप्रैल-जून 2021 के दौरान नौकरी छूटने का बोझ पुरुषों पर आ गया है जिसमें शहरी पुरुषों के बीच नौकरियों का कहीं अधिक नुकसान हुआ है.

उन्होंने कहा कि शहरी पुरुष भारत में कुल रोजगार का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा हैं. मार्च 2021 तक उन्हें नौकरियों के नुकसान कम यानी 26 प्रतिशत था. लेकिन, जून 2021 को समाप्त तिमाही में कुल नौकरी के नुकसान में उनकी हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक थी. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को अपनी नौकरी वापस मिल गई या उन्हें वैकल्पिक नौकरी मिली, उन्हें कम मजदूरी दरों पर काम मिला और घरेलू आय में रोजगार की तुलना में बहुत अधिक गिरावट आई है.

(पीटीआई-भाषा)

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