नई दिल्ली : हाल ही में मोदी मंत्रिमंडल (Modi cabinet) में हुए फेरबदल के दौरान भले ही ये बात सुर्खियों में रही कि आनन-फानन में कुछ हैवीवेट चेहरों को इस्तीफा देने के निर्देश दिए गए, लेकिन सूत्रों की मानें तो यह सरासर गलत है.
पिछले एक महीने से चल रही पार्टी की बैठकों के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) ने उन मंत्रियों को संकेत दे दिए थे जिन्हें मंत्रिमंडल छोड़ संगठन में काम करने को कहा गया था. उन्हें विश्वास में लेते हुए यह समझा दिया गया था कि यह उनका डिमोशन नहीं बल्कि उनके अनुभव की जरूरत अब संगठन को है.
आने वाले दिनों में उन्हें सिर्फ मुख्यालय में ही नहीं बल्कि जिन राज्यों में चुनाव हैं वहां जाकर पार्टी की रणनीति को सफल बनाना होगा. दूसरे शब्दों में यूं कहें कि उन्हें अब संगठन को लेकर भारी जिम्मेदारी दी जा सकती है.
अब रिजल्ट बेस्ड जिम्मेदारी
भाजपा अब रिजल्ट बेस्ड जिम्मेदारी पर काम करेगी. हर नेता को अपनी जिम्मेदारी को चुनौतीपूर्ण लेते हुए उसके परिणाम सकारात्मक देने होंगे. ऐसा नहीं करने पर नेताओं और मंत्रियों को संगठन में दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा. यानी कि शाह और मोदी की नई रणनीति के हिसाब से पार्टी अब 'करो या मरो' की नीति पर आगे बढ़ने वाली है. यह नई रणनीति बंगाल चुनाव में हुई बड़ी हार के बाद ही बनाई गई है, ताकि पार्टी का एक भी व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी से कन्नी न काट पाए. हाल में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मोदी-शाह की जोड़ी ने यही नीति अपनाई है.
जातिगत समीकरण का भी रखा ध्यान
अलग-अलग राज्यों से गरीब, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग,आदिवासी, अगड़ी जाति, महिला, युवा, सभी बातों का सामंजस्य बिठाते हुए विस्तार में नए चेहरों को जगह दी गई है. इसी का परिणाम है कि मंत्रिमंडल में 27 मंत्री पिछड़ा वर्ग से, 12 अनुसूचित जाति से और 8 अनुसूचित जनजाति से हैं. इसके अलावा 5 अल्पसंख्यक समुदाय से, 2 बौद्ध समुदाय से और 29 मंत्री अलग-अलग जाति से संबंध रखते हैं. 11 महिलाओं को प्रतिनिधित्व देकर भी मोदी सरकार ने रिकॉर्ड बनाया है.
सबको साथ लेकर चलने का संदेश
बात यहीं खत्म नहीं होती मंत्रिमंडल में पूर्व नौकरशाह, डॉक्टर, वकील और टेक्नोक्रेट को भी जगह देकर आधुनिक भारत के निर्माण का भी संदेश दिया गया है. यही नहीं लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यू और अपना दल को शामिल करके सहयोगियों को भी साथ लेकर चलने का संदेश साधा गया है. इस विस्तार में उन लोगों को तरजीह दी गई है जो लुटियन जोन से भी दूर अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी के लिए मेहनत से काम कर रहे थे.
सुदूर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों पर नजर
इनमें से कई तो मीडिया में चर्चित चेहरे भी नहीं हैं, फिर भी प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में जगह देकर कहीं ना कहीं यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी सुदूर क्षेत्र में भी काम कर रहे अपने प्रतिनिधियों पर नजर बनाए हुए है. अगर पार्टी में कोई अच्छा काम करता है तो आने वाले दिनों में उनकी भी बारी आ सकती है. ऐसा करने के पीछे वजह ये है कि जनप्रतिनिधियों में पार्टी के लिए काम करने का जज्बा बना रहे.
पार्टी के एक राष्ट्रीय महासचिव ने नाम ना लेने की शर्त पर बताया कि पार्टी ने पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी सहयोगियों को इसीलिए शामिल किया ताकि अन्य राज्यों में भी ये संदेश जाए कि भाजपा सहयोगियों को साथ लेकर चलती है. हालांकि माना ये जा रहा है कि पार्टी दक्षिण और कुछ नए राज्य जिनमें उसे नए सहयोगियों की तलाश है, उन्हें ये संदेश देना चाहती है.
पीएम दूर दराज में काम करने वालों को भी अवसर दे रहे : सुदेश वर्मा
इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने कहा कि मंत्रिमंडल में जिस तरह नए लोगों को जगह दी है, ये बताता है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबको मौका देते हैं, ताकि भविष्य में पार्टी का नेतृत्व बनता रहे. लुटियंस दिल्ली को जरूर इससे आश्चर्य हुआ होगा. उन्होंने कहा कि पहले भी अनुभवी लोगों को संगठन में भेजा जाता रहा है और संगठन से सरकार में शामिल किया जाता रहा है.
उनका कहना है कि कुछ तथाकथित सेक्युलर पत्रकार हैं जो मतलब निकालने का प्रयास कर रहे हैं, उसके उलट देश में खुशी की लहर है. सिर्फ मीडिया में चर्चा में आने वाले लोगों को जगह मिलेगी ऐसा नही है, जो दूर दराज में काम कर रहे हैं उन्हें भी प्रधानमंत्री अवसर दे रहे हैं, इससे साफ है कि पार्टी में कोई पक्षपात नही सबको अपना काम करना है ये संदेश दिया गया है.
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