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UP Assembly Election: पहले फेज में 'जाट लैंड' पर टिकी यूपी की सियासत

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Published : Feb 7, 2022, 8:09 PM IST

उत्तर प्रदेश में पहले दौर के मतदान (first round of voting) में मात्र 3 दिन बाकी है और यह चरण खास तौर पर बीजेपी के लिए काफी मायने रखता है. क्योंकि पिछली बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों ने ही भाजपा को चुनाव में अच्छी बढ़त दिलाई थी. यही वजह है कि फर्स्ट फेज के चुनाव के अंतिम चरण में पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ प्रधानमंत्री के चौपाल कार्यक्रम भी लगाए हैं. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

UP Assembly
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नई दिल्ली : जाटलैंड में अपना अपना सिक्का जमाने में सभी पार्टियां जी जान से जुटी हुई हैं. 10 फरवरी को पश्चिमी यूपी की 58 सीटों के लिए मतदान (Voting for 58 seats) होना है. यही वजह है कि एक ही दिन में सभी पार्टी के सुप्रीमो इस इलाके से हुंकार भर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने बिजनौर के कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोगों को दोबारा भाजपा का साथ देने का संकल्प लेने की बात कही. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती और साप के अखिलेश यादव ने भी इस क्षेत्र में रैलियों को संबोधित किया.

पश्चिमी यूपी की 30 सीटों पर जाट वोट बैंक का पूरी तरह से कब्जा है और यह पॉलीटिकल पावर के रूप में देखा जाता है. चौधरी चरण सिंह ने यूपी में इसी इलाके में जाट समुदाय को पावर बैंक की तरह स्थापित किया था. मगर 2013 के दंगों ने उन राजनीतिक पार्टियों के समीकरण को बदलकर रख दिया. इस समीकरण का भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त फायदा पहुंचा और यह इलाका एक तरफा भारतीय जनता पार्टी के झोली में चला गया और यही वजह थी कि पार्टी को चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिली.

मगर हाल ही में चले किसान आंदोलन ने एक बार फिर से इस इलाके के वोट बैंक का गणित बदल दिया है. बाकी पार्टियां भी अब दोबारा इस इलाके में अपनी संभावनाएं तलाश रही हैं और इस मौके का सबसे ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश में हैं. हमेशा से जाटों के ऊपर राजनीति करती आई आरएलडी, जिसने सपा गठबंधन के साथ मिलकर इस इलाके में भारतीय जनता पार्टी के वोट बैंक में पूरी तरह से सेंध लगाने की कोशिश की है. वह दावा कर रही है कि इस बार जाटों और किसानों के दबदबे वाले क्षेत्र में बीजेपी को सीटें नहीं मिलेगी.

यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में चिंता की लकीरें देखने को मिल रही है और वह किसान और जाटों से माफी मांगते तक नजर आ रहे हैं. आने वाले दिनों में किसानों के लिए बड़े-बड़े वायदे भी इस इलाके में सभी पार्टियां अपनी अपनी तरफ से करने में पीछे नहीं हट रहीं. भारतीय जनता पार्टी जाटलैंड की ताकत से पूरी तरह से अवगत है और अपना सारा जोर लगा रही है.

पश्चिमी यूपी में जाट प्रभावी मेरठ, मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, आगरा, बिजनौर, मुरादाबाद, सहारनपुर, बरेली और बदायूं मुख्य हैं. मगर पूरे यूपी में देखा जाए तो जाट समुदाय की आबादी 4 से 6 फीसदी के बीच है. जबकि मात्र पश्चिमी यूपी के कुल वोटों में करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी जाट समुदाय की है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग 120 विधानसभा सीटों और 18 लोकसभा सीटों पर जाट वोट बैंक अपना अच्छा खासा प्रभाव है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि विपक्षी पार्टियां यह भ्रम फैला रही हैं कि जाट और किसान इस बार भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं हैं, जो गलत है. उनका कहना है कि सपा और आरएलडी को इसी भ्रम में रहने दिया जाए और 10 मार्च को इन पार्टियों को पता चल जाएगा कि जाट और किसान किसके साथ हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी जाट नेता या कार्यकर्ता नाराज नहीं है और वह पार्टी को पूरा पूरा समर्थन दे रहे हैं.

यह भी पढ़ें- कैलिफोर्निया में भी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की गूंज...पढ़िए पूरी खबर

उन्होंने कहा कि जहां तक बात किसान आंदोलन की है उसे केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है. किसानों के कर्ज माफ किए गए हैं. गन्ना किसानों को आर्थिक सहायता दी गई है. बजट में एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद की गारंटी दी गई है और यह तमाम चीजें किसानों के लिए इससे पहले किसी भी सरकार ने नहीं किया था. इसीलिए विपक्षी पार्टियां चाहे कोई भी भ्रम फैला लें लेकिन किसान और जाट दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के साथी हैं और रहेंगे.

नई दिल्ली : जाटलैंड में अपना अपना सिक्का जमाने में सभी पार्टियां जी जान से जुटी हुई हैं. 10 फरवरी को पश्चिमी यूपी की 58 सीटों के लिए मतदान (Voting for 58 seats) होना है. यही वजह है कि एक ही दिन में सभी पार्टी के सुप्रीमो इस इलाके से हुंकार भर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने बिजनौर के कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोगों को दोबारा भाजपा का साथ देने का संकल्प लेने की बात कही. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती और साप के अखिलेश यादव ने भी इस क्षेत्र में रैलियों को संबोधित किया.

पश्चिमी यूपी की 30 सीटों पर जाट वोट बैंक का पूरी तरह से कब्जा है और यह पॉलीटिकल पावर के रूप में देखा जाता है. चौधरी चरण सिंह ने यूपी में इसी इलाके में जाट समुदाय को पावर बैंक की तरह स्थापित किया था. मगर 2013 के दंगों ने उन राजनीतिक पार्टियों के समीकरण को बदलकर रख दिया. इस समीकरण का भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त फायदा पहुंचा और यह इलाका एक तरफा भारतीय जनता पार्टी के झोली में चला गया और यही वजह थी कि पार्टी को चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिली.

मगर हाल ही में चले किसान आंदोलन ने एक बार फिर से इस इलाके के वोट बैंक का गणित बदल दिया है. बाकी पार्टियां भी अब दोबारा इस इलाके में अपनी संभावनाएं तलाश रही हैं और इस मौके का सबसे ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश में हैं. हमेशा से जाटों के ऊपर राजनीति करती आई आरएलडी, जिसने सपा गठबंधन के साथ मिलकर इस इलाके में भारतीय जनता पार्टी के वोट बैंक में पूरी तरह से सेंध लगाने की कोशिश की है. वह दावा कर रही है कि इस बार जाटों और किसानों के दबदबे वाले क्षेत्र में बीजेपी को सीटें नहीं मिलेगी.

यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में चिंता की लकीरें देखने को मिल रही है और वह किसान और जाटों से माफी मांगते तक नजर आ रहे हैं. आने वाले दिनों में किसानों के लिए बड़े-बड़े वायदे भी इस इलाके में सभी पार्टियां अपनी अपनी तरफ से करने में पीछे नहीं हट रहीं. भारतीय जनता पार्टी जाटलैंड की ताकत से पूरी तरह से अवगत है और अपना सारा जोर लगा रही है.

पश्चिमी यूपी में जाट प्रभावी मेरठ, मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, आगरा, बिजनौर, मुरादाबाद, सहारनपुर, बरेली और बदायूं मुख्य हैं. मगर पूरे यूपी में देखा जाए तो जाट समुदाय की आबादी 4 से 6 फीसदी के बीच है. जबकि मात्र पश्चिमी यूपी के कुल वोटों में करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी जाट समुदाय की है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग 120 विधानसभा सीटों और 18 लोकसभा सीटों पर जाट वोट बैंक अपना अच्छा खासा प्रभाव है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि विपक्षी पार्टियां यह भ्रम फैला रही हैं कि जाट और किसान इस बार भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं हैं, जो गलत है. उनका कहना है कि सपा और आरएलडी को इसी भ्रम में रहने दिया जाए और 10 मार्च को इन पार्टियों को पता चल जाएगा कि जाट और किसान किसके साथ हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी जाट नेता या कार्यकर्ता नाराज नहीं है और वह पार्टी को पूरा पूरा समर्थन दे रहे हैं.

यह भी पढ़ें- कैलिफोर्निया में भी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की गूंज...पढ़िए पूरी खबर

उन्होंने कहा कि जहां तक बात किसान आंदोलन की है उसे केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है. किसानों के कर्ज माफ किए गए हैं. गन्ना किसानों को आर्थिक सहायता दी गई है. बजट में एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद की गारंटी दी गई है और यह तमाम चीजें किसानों के लिए इससे पहले किसी भी सरकार ने नहीं किया था. इसीलिए विपक्षी पार्टियां चाहे कोई भी भ्रम फैला लें लेकिन किसान और जाट दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के साथी हैं और रहेंगे.

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