ETV Bharat / bharat

माफियाओं से मात खाती रही UP Police, गिरफ्तारी करने में रही फिसड्डी

योगी सरकार में भले ही बुलडोजर की कार्रवाई लगातार जारी है, लेकिन यूपी पुलिस माफियाओं को पकड़ने में नाकाम रही है. ऐसा हम नहीं, पिछले 3 दशक में माफियाओं के खिलाफ यूपी पुलिस की कार्यशैली बयां कर रही है.

Etv Bharat
माफियाओं से मात खाती रही UP Police
author img

By

Published : Aug 26, 2022, 3:04 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीते 4 दिनों में 2 बड़ी घटनाएं घटी है. पहली घटना माफिया डॉन व पूर्व सांसद अतीक अहमद के बड़े बेटे से जुड़ी थी. सीबीआई का मोस्टवांटेड 2 लाख का इनामी उमर अहमद ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और सीबीआई व पुलिस हाथ मलती रह गई. वहीं, दूसरी घटना एक दूसरे माफिया डॉन व पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे से जुड़ी है.

लखनऊ पुलिस का मोस्टवांटेड अब्बास अंसारी को कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस नहीं ढूंढ पाई और कोर्ट की दी गई 3 बार की मियाद पूरी नहीं कर सकी. ये दो घटनाएं यूपी पुलिस की विफलता का जीता जागता उदाहरण है, लेकिन नजर बीते सालों में भी डाले तो राजनीति में झंडा गाड़ चुके माफियाओं को गिरफ्तार करने में यूपी पुलिस हमेशा फिसड्डी ही साबित हुई है.

मुख्तार को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई पुलिस
90 के दशक में पूर्वांचल में अपराध और दहशत का पर्याय बन चुके मुख्तार अंसारी के संबंध बसपा, सपा व कांग्रेस से काफी मधुर रहे, जिसका फायदा उसने अपने आपराधिक साम्राज्य को बढ़ाने में लगाया, लेकिन कई मौके ऐसे भी आए जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी, फिर भी यूपी पुलिस मुख्तार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के अलावा कुछ न कर सकी थी. अक्टूबर 2005 में यूपी के मऊ जिले में हिंसा भड़की. इसके बाद मुख्तार पर कई आरोप लगे. तब तक मुख्तार के खिलाफ 20 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके थे, लेकिन यूपी पुलिस उसे गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी. इसी बीच माफिया मुख्तार ने योजना के तहत गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, तभी से वो जेल में बंद हैं और मौजूदा समय बांदा की जेल की तन्हाइयों में सलाखें गिन रहा है.

देखती रह गई यूपी पुलिस उड़ीसा में गिरफ्तार हो गए ब्रजेश
90 के ही दशक में मुख्तार अंसारी को टक्कर देने वाला एक और माफिया बृजेश सिंह यूपी में राज करने की कोशिश में लगा था. रेलवे टेंडर से लेकर राजनीतिक पॉवर के लिए बृजेश, मुख्तार व बृजेश के गैंग की बीच गैंगवार होने लग गई थी. इसी बीच जुलाई 2001 में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज थी. 15 जुलाई 2001 को मुख्तार चुनाव प्रचार कर वापस लौट रहा था. इसी बीच गाजीपुर मुहम्मदाबाद के उसरी चट्टी में हुए गैंगवार मामले में हुई थी. इसमें मुख्तार अंसारी तो बच गया, लेकिन उसके सुरक्षाकर्मी समेत 3 की मौत हो गई. इस हमले का आरोप विधायक बृजेश सिंह पर लगा. बृजेश को गिरफ्तार करने के लिए हिम्मत जुटा नहीं पाई. 24 फरवरी 2008 को बृजेश की गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भुवनेश्वर से की.

माफिया अतीक को गिरफ्तार करने के लिए लिखनी पड़ती थी स्क्रिप्ट
साल 2016 में प्रयागराज के सैम हिगिन बाटम इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी एंड साइंसेज (शियाट्स) कालेज में माफिया अतीक अहमद ने 2 छात्रों के निलंबन पर वहां के प्रॉक्टर समेत कई स्टाफ के लोगों की पिटाई की तो हंगामा मच गया. दर्जनों मुकदमे दर्ज होने के बाद भी खुलेआम घूम रहे अतीक अहमद की गिरफ्तारी के लिए सरकार पर दबाव पड़ने लगा, लेकिन प्रयागराज पुलिस अतीक को छूने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाई. इसी दौरान हाईकोर्ट ने फटकार लगाई तो पुलिस एक्शन में आई और नाटकीय ढंग से अतीक को पकड़ा गया और बताया गया कि अतीक नैनी थाने में बयान दर्ज कराने आये थे. वहीं उन्हें गिरफ्तार किया गया. यानी अतीक को भी एक अपराधी की तरह गिरफ्तार करने में यूपी पुलिस नाकाम रही.

90 के दशक में जिन माफिया की गिरफ्तारी करने में पुलिस के छींके आ गई थी. अब उनके बेटों को भी पुलिस गिरफ्तार करने में नाकाम ही साबित हुई है. अतीक अहमद हो या मुख्तार अंसारी दोनों के बेटे इनामी बदमाश होने के बाद भी पुलिस इनकी तलाश में खाक छानती रही.

मुख्तार का बड़ा बेटा अब्बास को नहीं ढूंढ पाई पुलिस
बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा व सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी फरार है. एमपी-एमएलए कोर्ट ने उसे भगौड़ा घोषित कर रखा है. लखनऊ के महानगर थाने में अब्बास के खिलाफ मुकदमा दर्ज है. इस मामलें में कोर्ट ने NBW जारी किया और लखनऊ पुलिस को उसे कोर्ट में पेश करने के लिए कई बार समय दिया गया. बावजूद इसके लखनऊ पुलिस की 10 से ज्यादा टीमें 100 से ज्यादा ठिकानों पर दबिश डालने के बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी. यही नहीं पूरे राज्य की पुलिस मऊ, गाजीपुर समेत अन्य राज्यों पंजाब, बिहार व राजस्थान में छापेमारी कर चुकी है फिर भी अब्बास की गिरफ्तारी करने में नाकाम रही है.

अतीक अहमद के बड़े बेटे को ढूंढती रही CBI-पुलिस, कर दिया सरेंडर
माफिया अतीक अहमद के बड़े बेटे उमर के ऊपर सीबीआई ने 2 लाख का इनाम घोषित किया था. उसे सीबीआई व लखनऊ पुलिस पिछले कई महीनों से तलाश रही थी. लेकिन सीबीआई व पुलिस की आंखों में धूल झोंक उमर अहमद ने लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया. जहां उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दरअसल, साल 2018 में लखनऊ के व्यापारी मोहित ने ये आरोप लगाते हुए कृष्णा नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया कि उसे उमर अहमद ने अपने साथियों के साथ किडनैप किया और उसे देवरिया जेल ले गए. जहां अतीक अहमद बंद था. वहां उसकी पिटाई की गई और उसकी 2 कंपनी अतीक ने अपने लोगों के नाम करवा ली. इसमें अतीक के बेटे उमर को नामजद किया गया था.

अतीक के छोटे बेटे को ढूंढती रही पुलिस कोर्ट में कर दिया सरेंडर
अतीक अहमद के छोटे बेटे अली पर प्रयागराज पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित किया था. 7 महीनों तक प्रयागराज पुलिस की कई टीमें उसे तलाशती रही, लेकिन अली उनके हाथ नहीं लगा. लेकिन जुलाई 2022 को अली अहमद ने प्रयागराज कोर्ट में सरेंडर कर दिया और पुलिस देखती रह गई. दरअसल, अली पर आरोप था कि उसने अपने रिश्तेदार जीशान अहमद के दफ्तर को बुलडोजर से ढहवा दिया और उससे 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी.

पूर्व डीजीपी एके जैन के मुताबिक, यूपी में अपराधी दहशत में है. जिस तरह से सरकार उनके अवैध संपत्तियों पर बुल्डोजर की कार्रवाई कर रहे है. उनका गैंग खत्म कर रही है. उससे वो परेशान होकर फरार हो जा रहे हैं. देश बहुत बड़ा है वो कहीं भी छुप सकते है और मौका मिलने पर सरेंडर कर देते है. ऐसे में यह कहना ठीक नहीं होगा कि यूपी पुलिस कुछ करती नहीं है. वो कहते है ये जरूर है कि पुलिस को अपना सूचनातंत्र और मजबूत करना होगा, जिससे इन जैसे माफिया को समय पर गिरफ्तार किया का सके.

इसे भी पढे़ं- पूर्व सांसद अतीक अहमद समेत 5 नामजद के खिलाफ FIR, एक करोड़ की मांगी थी रंगदारी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीते 4 दिनों में 2 बड़ी घटनाएं घटी है. पहली घटना माफिया डॉन व पूर्व सांसद अतीक अहमद के बड़े बेटे से जुड़ी थी. सीबीआई का मोस्टवांटेड 2 लाख का इनामी उमर अहमद ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और सीबीआई व पुलिस हाथ मलती रह गई. वहीं, दूसरी घटना एक दूसरे माफिया डॉन व पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे से जुड़ी है.

लखनऊ पुलिस का मोस्टवांटेड अब्बास अंसारी को कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस नहीं ढूंढ पाई और कोर्ट की दी गई 3 बार की मियाद पूरी नहीं कर सकी. ये दो घटनाएं यूपी पुलिस की विफलता का जीता जागता उदाहरण है, लेकिन नजर बीते सालों में भी डाले तो राजनीति में झंडा गाड़ चुके माफियाओं को गिरफ्तार करने में यूपी पुलिस हमेशा फिसड्डी ही साबित हुई है.

मुख्तार को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई पुलिस
90 के दशक में पूर्वांचल में अपराध और दहशत का पर्याय बन चुके मुख्तार अंसारी के संबंध बसपा, सपा व कांग्रेस से काफी मधुर रहे, जिसका फायदा उसने अपने आपराधिक साम्राज्य को बढ़ाने में लगाया, लेकिन कई मौके ऐसे भी आए जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी, फिर भी यूपी पुलिस मुख्तार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के अलावा कुछ न कर सकी थी. अक्टूबर 2005 में यूपी के मऊ जिले में हिंसा भड़की. इसके बाद मुख्तार पर कई आरोप लगे. तब तक मुख्तार के खिलाफ 20 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके थे, लेकिन यूपी पुलिस उसे गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी. इसी बीच माफिया मुख्तार ने योजना के तहत गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, तभी से वो जेल में बंद हैं और मौजूदा समय बांदा की जेल की तन्हाइयों में सलाखें गिन रहा है.

देखती रह गई यूपी पुलिस उड़ीसा में गिरफ्तार हो गए ब्रजेश
90 के ही दशक में मुख्तार अंसारी को टक्कर देने वाला एक और माफिया बृजेश सिंह यूपी में राज करने की कोशिश में लगा था. रेलवे टेंडर से लेकर राजनीतिक पॉवर के लिए बृजेश, मुख्तार व बृजेश के गैंग की बीच गैंगवार होने लग गई थी. इसी बीच जुलाई 2001 में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज थी. 15 जुलाई 2001 को मुख्तार चुनाव प्रचार कर वापस लौट रहा था. इसी बीच गाजीपुर मुहम्मदाबाद के उसरी चट्टी में हुए गैंगवार मामले में हुई थी. इसमें मुख्तार अंसारी तो बच गया, लेकिन उसके सुरक्षाकर्मी समेत 3 की मौत हो गई. इस हमले का आरोप विधायक बृजेश सिंह पर लगा. बृजेश को गिरफ्तार करने के लिए हिम्मत जुटा नहीं पाई. 24 फरवरी 2008 को बृजेश की गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भुवनेश्वर से की.

माफिया अतीक को गिरफ्तार करने के लिए लिखनी पड़ती थी स्क्रिप्ट
साल 2016 में प्रयागराज के सैम हिगिन बाटम इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी एंड साइंसेज (शियाट्स) कालेज में माफिया अतीक अहमद ने 2 छात्रों के निलंबन पर वहां के प्रॉक्टर समेत कई स्टाफ के लोगों की पिटाई की तो हंगामा मच गया. दर्जनों मुकदमे दर्ज होने के बाद भी खुलेआम घूम रहे अतीक अहमद की गिरफ्तारी के लिए सरकार पर दबाव पड़ने लगा, लेकिन प्रयागराज पुलिस अतीक को छूने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाई. इसी दौरान हाईकोर्ट ने फटकार लगाई तो पुलिस एक्शन में आई और नाटकीय ढंग से अतीक को पकड़ा गया और बताया गया कि अतीक नैनी थाने में बयान दर्ज कराने आये थे. वहीं उन्हें गिरफ्तार किया गया. यानी अतीक को भी एक अपराधी की तरह गिरफ्तार करने में यूपी पुलिस नाकाम रही.

90 के दशक में जिन माफिया की गिरफ्तारी करने में पुलिस के छींके आ गई थी. अब उनके बेटों को भी पुलिस गिरफ्तार करने में नाकाम ही साबित हुई है. अतीक अहमद हो या मुख्तार अंसारी दोनों के बेटे इनामी बदमाश होने के बाद भी पुलिस इनकी तलाश में खाक छानती रही.

मुख्तार का बड़ा बेटा अब्बास को नहीं ढूंढ पाई पुलिस
बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा व सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी फरार है. एमपी-एमएलए कोर्ट ने उसे भगौड़ा घोषित कर रखा है. लखनऊ के महानगर थाने में अब्बास के खिलाफ मुकदमा दर्ज है. इस मामलें में कोर्ट ने NBW जारी किया और लखनऊ पुलिस को उसे कोर्ट में पेश करने के लिए कई बार समय दिया गया. बावजूद इसके लखनऊ पुलिस की 10 से ज्यादा टीमें 100 से ज्यादा ठिकानों पर दबिश डालने के बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी. यही नहीं पूरे राज्य की पुलिस मऊ, गाजीपुर समेत अन्य राज्यों पंजाब, बिहार व राजस्थान में छापेमारी कर चुकी है फिर भी अब्बास की गिरफ्तारी करने में नाकाम रही है.

अतीक अहमद के बड़े बेटे को ढूंढती रही CBI-पुलिस, कर दिया सरेंडर
माफिया अतीक अहमद के बड़े बेटे उमर के ऊपर सीबीआई ने 2 लाख का इनाम घोषित किया था. उसे सीबीआई व लखनऊ पुलिस पिछले कई महीनों से तलाश रही थी. लेकिन सीबीआई व पुलिस की आंखों में धूल झोंक उमर अहमद ने लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया. जहां उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दरअसल, साल 2018 में लखनऊ के व्यापारी मोहित ने ये आरोप लगाते हुए कृष्णा नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया कि उसे उमर अहमद ने अपने साथियों के साथ किडनैप किया और उसे देवरिया जेल ले गए. जहां अतीक अहमद बंद था. वहां उसकी पिटाई की गई और उसकी 2 कंपनी अतीक ने अपने लोगों के नाम करवा ली. इसमें अतीक के बेटे उमर को नामजद किया गया था.

अतीक के छोटे बेटे को ढूंढती रही पुलिस कोर्ट में कर दिया सरेंडर
अतीक अहमद के छोटे बेटे अली पर प्रयागराज पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित किया था. 7 महीनों तक प्रयागराज पुलिस की कई टीमें उसे तलाशती रही, लेकिन अली उनके हाथ नहीं लगा. लेकिन जुलाई 2022 को अली अहमद ने प्रयागराज कोर्ट में सरेंडर कर दिया और पुलिस देखती रह गई. दरअसल, अली पर आरोप था कि उसने अपने रिश्तेदार जीशान अहमद के दफ्तर को बुलडोजर से ढहवा दिया और उससे 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी.

पूर्व डीजीपी एके जैन के मुताबिक, यूपी में अपराधी दहशत में है. जिस तरह से सरकार उनके अवैध संपत्तियों पर बुल्डोजर की कार्रवाई कर रहे है. उनका गैंग खत्म कर रही है. उससे वो परेशान होकर फरार हो जा रहे हैं. देश बहुत बड़ा है वो कहीं भी छुप सकते है और मौका मिलने पर सरेंडर कर देते है. ऐसे में यह कहना ठीक नहीं होगा कि यूपी पुलिस कुछ करती नहीं है. वो कहते है ये जरूर है कि पुलिस को अपना सूचनातंत्र और मजबूत करना होगा, जिससे इन जैसे माफिया को समय पर गिरफ्तार किया का सके.

इसे भी पढे़ं- पूर्व सांसद अतीक अहमद समेत 5 नामजद के खिलाफ FIR, एक करोड़ की मांगी थी रंगदारी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.