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यूपी : पंचायत सीट महिला आरक्षित होने के बाद खरमास में भी कर ली शादी - पंचायत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होने के बाद खरमास में भी कर ली शादी

पंचायत चुनाव जीतने के लिए कई लोग नाना प्रकार के उपाय करते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी हाथी सिंह ने जो किया है, वह अब चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल, हाथी सिंह ने महिलाओं के लिए पंचायत सीट आरक्षित होने के बाद आनन-फानन में शादी कर ली है और जोर शोर से पत्नी को प्रधान बनाने के लिए प्रचार भी शुरु कर दिया है.

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Published : Mar 31, 2021, 8:39 PM IST

बलिया : लगभग एक दशक तक समाज सेवा करने के बाद ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए एक 45 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित किए जाने के बाद शादी कर ली. बलिया जिले के करण छपरा गांव के हाथी सिंह ने 2015 में अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और वह उपविजेता रहे थे.

हालांकि, उनकी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित की गई और सिंह के इस बार निर्वाचित होने की उम्मीद टूट गई. उनके समर्थकों ने सुझाव दिया कि वह शादी कर लें, ताकि उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकें. इसके बाद सिंह ने आखिरकार 26 मार्च को शादी कर ली.

दिलचस्प बात यह है कि इस विवाह को 'खर-मास' के दौरान संपन्न कराया गया. जिसे हिंदू परंपराओं के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है. उन्होंने कहा कि मुझे 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी ही थी. उनकी पत्नी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही है और अब ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.

यह भी पढ़ें-विधानसभा चुनावों के रण में कांग्रेस अध्यक्ष पद की लड़ाई भी लड़ रहा गांधी परिवार

हाथी सिंह ने कहा कि मैं पिछले पांच सालों से कड़ी मेहनत कर रहा हूं और मेरे समर्थक भी हमारे लिए प्रचार कर रहे हैं. यह मुख्य रूप से मेरे समर्थकों के कारण है कि मैंने कभी शादी न करने के अपने फैसले को बदलने का फैसला किया. मेरी मां 80 साल की हैं और वह चुनाव नहीं लड़ सकती हैं.

बलिया : लगभग एक दशक तक समाज सेवा करने के बाद ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए एक 45 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित किए जाने के बाद शादी कर ली. बलिया जिले के करण छपरा गांव के हाथी सिंह ने 2015 में अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और वह उपविजेता रहे थे.

हालांकि, उनकी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित की गई और सिंह के इस बार निर्वाचित होने की उम्मीद टूट गई. उनके समर्थकों ने सुझाव दिया कि वह शादी कर लें, ताकि उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकें. इसके बाद सिंह ने आखिरकार 26 मार्च को शादी कर ली.

दिलचस्प बात यह है कि इस विवाह को 'खर-मास' के दौरान संपन्न कराया गया. जिसे हिंदू परंपराओं के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है. उन्होंने कहा कि मुझे 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी ही थी. उनकी पत्नी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही है और अब ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.

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हाथी सिंह ने कहा कि मैं पिछले पांच सालों से कड़ी मेहनत कर रहा हूं और मेरे समर्थक भी हमारे लिए प्रचार कर रहे हैं. यह मुख्य रूप से मेरे समर्थकों के कारण है कि मैंने कभी शादी न करने के अपने फैसले को बदलने का फैसला किया. मेरी मां 80 साल की हैं और वह चुनाव नहीं लड़ सकती हैं.

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