बलिया : लगभग एक दशक तक समाज सेवा करने के बाद ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए एक 45 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित किए जाने के बाद शादी कर ली. बलिया जिले के करण छपरा गांव के हाथी सिंह ने 2015 में अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और वह उपविजेता रहे थे.
हालांकि, उनकी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित की गई और सिंह के इस बार निर्वाचित होने की उम्मीद टूट गई. उनके समर्थकों ने सुझाव दिया कि वह शादी कर लें, ताकि उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकें. इसके बाद सिंह ने आखिरकार 26 मार्च को शादी कर ली.
दिलचस्प बात यह है कि इस विवाह को 'खर-मास' के दौरान संपन्न कराया गया. जिसे हिंदू परंपराओं के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है. उन्होंने कहा कि मुझे 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी ही थी. उनकी पत्नी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही है और अब ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.
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हाथी सिंह ने कहा कि मैं पिछले पांच सालों से कड़ी मेहनत कर रहा हूं और मेरे समर्थक भी हमारे लिए प्रचार कर रहे हैं. यह मुख्य रूप से मेरे समर्थकों के कारण है कि मैंने कभी शादी न करने के अपने फैसले को बदलने का फैसला किया. मेरी मां 80 साल की हैं और वह चुनाव नहीं लड़ सकती हैं.