नई दिल्ली : इलाहाबाद से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (up election 2022) में बेटे मयंक जोशी के लिए लखनऊ कैंट से टिकट चाहती हैं. इसके लिए वह लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने को तैयार हैं. भाजपा सांसद ने इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है.
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि उनके बेटे मयंक जोशी साल 2009 से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने लखनऊ कैंट से टिकट के लिए आवेदन किया है. लेकिन अगर पार्टी 'एक परिवार एक टिकट' की नीति अपना रही है, तो मयंक को टिकट मिलने पर वह अपनी वर्तमान लोकसभा सीट से इस्तीफा देने को तैयार हैं.
भाजपा सांसद ने आगे कहा, 'मैंने यह प्रस्ताव भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा है और हमेशा भाजपा के लिए काम करती रहूंगी. पार्टी मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करने या न करने का विकल्प चुन सकती है. मैंने कई साल पहले ही घोषणा कर दी थी कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी.'
लखनऊ कैंट सीट बनी महत्वपूर्ण?
लखनऊ कैंट सीट से कई भाजपा नेता दांव लगा रहे हैं भले ही इस सीट पर पार्टी का एक मौजूदा विधायक है. भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने 2017 में यह सीट जीती थी, अब अपने बेटे मयंक जोशी को मैदान में उतारना चाहती हैं, जो अपना राजनीतिक पदार्पण कर रहे हैं. इलाहाबाद से लोकसभा सीट जीतने के बाद उन्होंने 2019 में सीट खाली कर दी थी. पूर्व विधायक सुरेश तिवारी ने 2019 में यहां से उपचुनाव जीतकर भाजपा के लिए सीट हासिल की थी. उन्होंने 1996, 2002 और 2007 में भी यह सीट जीती थी.
जोशी टिकट के लिए जोरदार पैरवी कर रही हैं और उनके समर्थकों का दावा है कि अगर सांसद राजनाथ सिंह अपने बेटे पंकज सिंह के लिए टिकट प्राप्त कर सकते हैं, और राजवीर सिंह भी एक सांसद हैं, तो वे अपने बेटे संदीप सिंह के लिए टिकट प्राप्त कर सकते हैं, रीता बहुगुणा जोशी भी अपने बेटे को मैदान में उतारने की हकदार हैं.
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पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस सीट पर उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की भी नजर है, जहां ऊंची जाति के वोट काफी ज्यादा हैं. जबकि अन्य उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य को कौशांबी जिले के सिराथू सीट के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया है, शर्मा की उम्मीदवारी को मंजूरी दी जानी बाकी है. पार्टी के एक नेता के अनुसार, दिनेश शर्मा कैंट सीट को तरजीह देंगे, जिसमें 1.5 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं. यहां 60,000 सिंधी और पंजाबी मतदाता हैं, जो पारंपरिक रूप से भाजपा समर्थक हैं.
खबर है कि समाजवादी मुखिया मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा ने लखनऊ कैंट सीट से 2017 का चुनाव लड़ा था, लेकिन वह बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं. कयास लगाए जा रहे हैं कि अपर्णा भाजपा में शामिल होने की तैयारी कर रही हैं, लेकिन उनके करीबी सूत्रों का दावा है कि ऐसा तभी हो सकता है जब समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया हो. उनके चाचा शिवपाल यादव पहले ही उन्हें परिवार और पार्टी में रहने और काम करने की सलाह दे चुके हैं.
दूसरी ओर, भाजपा नेताओं को लगता है कि सुरेश तिवारी को इस सीट के लिए फिर से नामांकित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें उपचुनाव में चुने जाने के बाद बमुश्किल दो साल मिले थे.
(एजेंसी इनपुट)