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दलित नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी पूर्व प्रधान के बेटे को सात साल की सजा

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Published : Mar 5, 2021, 12:50 PM IST

Updated : Mar 5, 2021, 12:57 PM IST

यूपी के हमीरपुर में दलित लड़की से दुष्कर्म करने और उसका गर्भपात कराने के दोषी युवक को सात साल जेल की सजा सुनाई गई. अदालत ने युवक पर 11 हजार और उसके पिता पर 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया.

विशेष अदालत
विशेष अदालत

हमीरपुर : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की एक विशेष अदालत ने दलित समुदाय की 17 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म करने और उसका गर्भपात कराने के मामले में पूर्व प्रधान के बेटे को सात साल कैद की सजा सुनाई. अदालत ने उस पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) चंद्रिका प्रसाद ने शुक्रवार को बताया जिले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति समुदाय के व्यक्ति ने 30 जून 2007 को पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

आरोप लगाया गया था कि 10 फरवरी 2007 वह पत्नी के साथ मजदूरी करने गया था, घर में उसकी 17 साल की बेटी अकेली थी. उसे अकेला पाकर पूर्व प्रधान बासदेव का बेटा रामशरण निषाद तमंचा लेकर घर पहुंचा और जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म किया.

उसने कहा था कि डर की वजह से बेटी ने तब घटना किसी से नहीं बताई थी, जिसके बाद रामशरण कई बार-बार संबंध बनाता रहा, जिससे उसकी बेटी गर्भवती हो गई थी.

एसपीओ प्रसाद ने बताया कि जब लड़की के पिता ने बेटी के गर्भवती होने का उलहना प्रधान को दिया तो उसने 19 जून 2007 को उसकी बेटी को जबरन बांदा ले जाकर उसका गर्भपात करा दिया था.

अभियोजन अधिकारी चंद्रिका प्रसाद ने बताया कि दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एससीएसटी) के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ला ने अभियुक्त रामशरण निषाद को किशोरी के साथ दुष्कर्म करने का दोषी करार देते हुए सात वर्ष कैद की सजा सुनाई और उस पर 11 हजार रुपये जुर्माना लगाया.

पढ़ें- सड़कों पर हाथ में कटा हुआ सिर लेकर घूम रहे इंसान की शक्ल में हैवान

प्रसाद ने बताया कि जबकि किशोरी का गर्भपात कराने के मामले में निषाद के पिता वासुदेव (पूर्व प्रधान) भादंवि की धारा-437 ए के तहत 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

हमीरपुर : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की एक विशेष अदालत ने दलित समुदाय की 17 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म करने और उसका गर्भपात कराने के मामले में पूर्व प्रधान के बेटे को सात साल कैद की सजा सुनाई. अदालत ने उस पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) चंद्रिका प्रसाद ने शुक्रवार को बताया जिले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले अनुसूचित जाति समुदाय के व्यक्ति ने 30 जून 2007 को पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

आरोप लगाया गया था कि 10 फरवरी 2007 वह पत्नी के साथ मजदूरी करने गया था, घर में उसकी 17 साल की बेटी अकेली थी. उसे अकेला पाकर पूर्व प्रधान बासदेव का बेटा रामशरण निषाद तमंचा लेकर घर पहुंचा और जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म किया.

उसने कहा था कि डर की वजह से बेटी ने तब घटना किसी से नहीं बताई थी, जिसके बाद रामशरण कई बार-बार संबंध बनाता रहा, जिससे उसकी बेटी गर्भवती हो गई थी.

एसपीओ प्रसाद ने बताया कि जब लड़की के पिता ने बेटी के गर्भवती होने का उलहना प्रधान को दिया तो उसने 19 जून 2007 को उसकी बेटी को जबरन बांदा ले जाकर उसका गर्भपात करा दिया था.

अभियोजन अधिकारी चंद्रिका प्रसाद ने बताया कि दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एससीएसटी) के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ला ने अभियुक्त रामशरण निषाद को किशोरी के साथ दुष्कर्म करने का दोषी करार देते हुए सात वर्ष कैद की सजा सुनाई और उस पर 11 हजार रुपये जुर्माना लगाया.

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प्रसाद ने बताया कि जबकि किशोरी का गर्भपात कराने के मामले में निषाद के पिता वासुदेव (पूर्व प्रधान) भादंवि की धारा-437 ए के तहत 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

Last Updated : Mar 5, 2021, 12:57 PM IST
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