नई दिल्ली : यूपी की कैबिनेट में बेबी रानी मौर्य (up cabinet baby rani maurya) को जगह मिल सकती है. सूत्रों का मानना है कि बेबी रानी मौर्य डिप्टी सीएम बन सकती हैं. बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में केशव प्रसाद मौर्य को पटखनी मिली है. माना जा रहा है कि बेबी रानी मौर्य केशव प्रसाद का स्थान लेंगी.
गौरतलब है कि यूपी में कैबिनेट विस्तार (UP Cabinet expansion) से पहले योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीजेपी पदाधिकारी बीएल संतोष और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल से मुलाकात की. योगी और पीएम की मुलाकात (Yogi PM Modi meeting) डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली.
दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है. इसी बीच संत समाज में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है. योगी की कैबिनेट के संबंध में संत समाज ने कहा है कि सरकार गठन के बाद योगी आदित्यनाथ को धर्म नगरी काशी में कैबिनेट की पहली मीटिंग का आयोजन करें. संतों का मानना है कि योगी को मुख्यमंत्री पद की शपथ भी काशी विश्वनाथ धाम में करनी चाहिए. ऐसे में योगी के शपथ ग्रहण और यूपी के कैबिनेट विस्तार पर सबकी नजरें टिकी हैं.
पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य का राजनीतिक सफर
उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य का राजनीतिक सफर बहुत ही रोचक रहा है. उनके पति प्रदीप कुमार पंजाब नेशनल बैंक में डायरेक्टर एवं सीनियर मैनेजर पद से रिटायर हैं. एमए बीएड बेबी रानी मौर्य साल 1995 में भाजपा में शामिल हुईं. उसी साल वे भाजपा के टिकट पर आगरा की महापौर बनीं. सन 1997 में बेबी रानी मौर्य भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित जाति मोर्चा की कोषाध्यक्ष बनी थीं. उसी समय मोर्चा के अध्यक्ष वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे.
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सन 2002 में उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाया गया. 2007 में भाजपा ने एत्मादपुर विधानसभा सीट पर उन्हें प्रत्याशी बनाया था. मगर, उन्हें तब हार का सामना करना पड़ा था. फिर 26 अगस्त, 2018 को बेबी रानी मौर्य को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया. 8 सितंबर, 2021 को उन्होंने उत्तराखंड के राज्यपाल के 3 साल का कार्यकाल पूरा किया. फिर राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया. तब उन्हें भाजपा ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया.
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बता दें कि 10 मार्च को हुई मतगणना में भाजपा को यूपी में प्रचंड बहुमत मिला. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ने वाली भाजपा को अकेले 255 सीटें मिलीं. सहयोगी दलों को मिलाकर भाजपा नीत एनडीए को यूपी में कुल 273 सीटें हासिल हुई हैं. समाजवादी पार्टी गठबंधन को 125 सीटों पर सफलता मिली.
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटें हैं. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे ज्यादा 312 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुई थी. जबकि 2012 में सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी महज 47 सीटों पर सिमट गई. वहीं बसपा सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई.