लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बीते एक माह में आतंकी संगठनों के 10 स्लीपर मॉड्यूल गिरफ्तार किए गए हैं. बीते पांच वर्षों में तो 35 से अधिक आतंकी मॉड्यूल को गिरफ्तार कर यूपी एटीएस ने प्रदेश के खिलाफ रची जाने वाली नापाक साजिशों को नाकाम किया है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के निशाने पर उत्तर प्रदेश है, जो राज्य में बड़ी तबाही के लिए नापाक साजिशें रच रहे हैं.
बीते पांच वर्षों में जम्मू कश्मीर को छोड़ अन्य किसी भी राज्य से कहीं ज्यादा उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठनों के सदस्यों की गिरफ्तारी इस बात की तस्दीक कर रही है कि सूबे में योगी सरकार बनने के बाद प्रदेश का माहौल खराब करने के पुरजोर कोशिश की जा रही है. हालांकि हर बार यूपी एटीएस इन आतंकी संगठनों के मंसूबों पर पानी फेर रही है. बीते दिनों एटीएस ने गोंडा से अलकायदा सक्रिय सदस्य सद्दाम को गिरफ्तार किया जो यूपी में रह कर भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के मिशन में लगा हुआ था. वहीं जम्मू कश्मीर के रिजवान भी कश्मीर में मारे गए आतंकियों का बदला लेने के लिए यूपी को ठिकान बनाए हुए था. इतना ही नहीं आईएसआई के चार एजेंट भी बीते एक माह में यूपी से ही दबोचे गए हैं जो पाकिस्तान को खुफिया जानकारी भेज रहे थे. ऐसे में इन आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद यूपी में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई है.
सैफुल्ला के एनकाउंटर के बाद शुरू हुई आतंकियों की गिरफ्तारी | यूपी में भर्ती करने आया था जैश एरिया कमांडर |
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पांच वर्षों में आतंकियों का अड्डा क्यों बना यूपी : वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र त्रिपाठी मानते हैं कि वर्ष 2017 में सूबे में भाजपा सरकार बनना और योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बनाया जाना आतंकी संगठनों और कट्टरपंथियों को नागवार गुजरा. इसके पीछे सीएम योगी की छवि एक कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप इन होती थ.। यही वो दौर था जब आतंकी संगठन भारत के अलग अलग राज्यों में अपने पैर पसार रहे थे. बीजेपी का सत्ता में आना आतंकी संगठनों के लिए आसान हो गया. ऐसे बेरोजगार, अशिक्षित मुस्लिम युवकों को अपने साथ बहका कर जोड़ना जो मानते थे कि यूपी में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है और अयोध्या राम मंदिर व CAA-NRC के विरोध में थे. इन्हीं के जैसे मुद्दों के सहारे स्लीपर सेल तैयार करना आतंकी संगठनों के लिए आसान हो गया था और उन्होंने जमकर अपने स्लीपर मॉड्यूल तैयार कर लिए थे.
साल 2017 से अगस्त 2022 तक 38 आतंकियों की हुई गिरफ्तारी |
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यूपी में होने वाली बड़ी घटनाओं से बचा रही यूपी ATS
पूर्व डीजीपी एके जैन बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों जितनी भी गिरफ्तारियां हुई हैं वे यदि न होतीं तो शायद यूपी में कई बड़ी घटनाएं घटित हो सकती थीं. ऐसे में कचहरी ब्लास्ट के बाद जिस उद्देश्य के साथ एटीएस का गठन किया गया है, वह चरितार्थ हो रहा है. जैन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा प्रदेश है, जहां पर मुस्लिमों की संख्या बहुत अधिक है. कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ ऐसे इलाके अति संवेदनशील की श्रेणी में आते हैं. यहां हमेशा उग्रवाद की समस्या रही है. पूर्व डीजीपी मानते हैं कि यूपी के मुस्लिम लड़कों को गुमराह करना काफी आसान है और यही लड़के आतंकी संगठनों के स्लीपर मॉड्यूल बनते हैं. बीते कुछ वर्षों में जितनी भी गिरफ्तारियां हुई हैं, उनमें सबसे अधिक संख्या स्लीपर मॉड्यूल्स की है और ये ही सबसे अधिक खतरनाक होते हैं, वो इसलिए क्यों कि ये हमारे बीच में ही रह कर पाकिस्तान में बैठे अपने आका के एक इशारे में बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दे देते हैं.
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