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ATS का खुलासा : केंद्रीय मंत्रालय तक धर्मांतरण गिरोह की पहुंच

धर्मांतरण मामले में यूपी एटीएस की टीम केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी से पूछताछ कर रही है. इस अधिकारी पर सरकार से मदद के लिए आवेदन करने वाले बच्चों की लिस्ट आईडीसी (इस्लामिक दावा सेंटर) को भेजने का आरोप है.

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Published : Jun 27, 2021, 8:00 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नोएडा में धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद लगातार कई अहम खुलासे हो रहे हैं. पूछताछ में गिरोह के सदस्यों से कई अहम जानकारियां मिली हैं. धर्मांतरण में विश्वविद्यालय, मंत्रालय से लेकर एनजीओ तक अब जांच के दायरे में हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि धर्मांतरण का जाल किस कदर तक सरकारी महकमों में फैला हुआ है.

बता दें कि धर्मांतरण मामले में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद का नाम सामने आया है. मोहम्मद शाहिद पर कानपुर की एक युवती ऋचा देवी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा है. इसको लेकर यूपी एटीएस की टीम शाहिद से पूछताछ करती, उससे पहले ही शाहिद घर पर ताला लगाकर परिवार सहित फरार हो गया है. वहीं अब धर्मांतरण के तार केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़ गया है. धर्मांतरण मामले में हिन्दू से मुस्लिम बने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अफसर की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. यूपी एटीएस की टीम अफसर से पूछताछ कर रही है.

राज्य संरक्षण बाल आयोग सतर्क
धर्मांतरण मामले में हिन्दू से मुस्लिम बने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के इस अफसर की भूमिका सामने आने के बाद UP सरकार की योजना में धर्म परिवर्तन के सिंडिकेट की घुसपैठ का शक गहरा गया है. एहतियातन, राज्य संरक्षण बाल आयोग सतर्क हो गया है. बाल आयोग ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि अपने जिलों में संचालित अनाथ और बेसहारा बच्चों को पढ़ाने या उन्हें संरक्षण देने वाली सभी संस्थाओं की सूची तैयार करें. इनके कर्मचारियों का नाम, पता और मोबाइल नंबर भी सूची में दर्ज करें. सरकार के निर्देश पर योजना का लाभ देने के लिए जिन बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है. उनके अभिभावकों से लगातार संपर्क में रहकर बच्चों से बातचीत करते रहें, जो बच्चे अभी चिन्हित नहीं हो सके हैं, उनका जल्दी से जल्दी पता लगाएं.

शक की यह है वजह
उत्तर प्रदेश की सरकारी योजना में धर्मांतरण सिंडिकेट की घुसपैठ करने का शक इसलिए भी गहरा गया है, क्योंकि योगी सरकार की तरफ से कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों को संरक्षण देने की योजना शुरू की गई है. बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के बीच अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चों की जिम्मेदारी हमारी सरकार उठाएगी. ये बच्चे राज्य की संपत्ति हैं. कोविड के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का देहांत हो गया है, उनके भरण-पोषण सहित सभी तरह की जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी. इसके लिए सीएम योगी ने महिला एवं बाल विकास विभाग को इस संबंध में तत्काल विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे.

बाल संरक्षण आयोग के हाथ लगे ऑडियो कॉल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई इस घोषणा के कुछ दिन बाद ही बाल संरक्षण आयोग को पांच फोन कॉल (ऑडियो) मिले थे. इसमें कुछ लोग एनजीओ का सदस्य बनकर बच्चों को ऐसी संस्थाओं में ले जाने की बात कर रहे थे. इसकी जांच और कॉल करने वालों को पकड़ने के लिए आयोग ने डीजीपी को पत्र भेजा था, लेकिन अब तक पुलिस इन्हें पकड़ नहीं पाई है. वहीं अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी की भूमिका सामने आने के बाद माना जा रहा है कि कोई धर्म परिवर्तन कराने वाला गिरोह यूपी के बेसहारा बच्चों को निशाना बना रहा था.

ATS से साझा की जा रही महत्वपूर्ण जानकारी
राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता का कहना है कि धर्मांतरण के मामले को लेकर आयोग सतर्क है और बराबर मॉनिटरिंग की जा रही है. बच्चों के सुधार और सहयोग के क्षेत्र में काम करने वाली सभी संस्थाओं की जानकारी ATS से भी साझा की जा रही है. संस्थाओं और उनसे जुड़े बच्चों का पता लगाने के लिए सभी डीएम को पत्र भेजा गया है.

यह है मामला
दरअसल, UP ATS ने 21 जून को नोएडा से संचालित इस्लामिक दावा सेंटर के मौलाना उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया था. इन दोनों मौलानाओं से पूछताछ में यूपी एटीएस को धर्मांतरण कराने संबंधित कई अहम जानकारियां हाथ लगी थीं. ये दोनों मूक बधिर छात्र-छत्राओं और गरीब हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करके उन्हें मुस्लिम बना रहे थे. दोनों से पूछताछ में पता चला कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अनुवादक के पद पर तैनात अधिकारी सरकार से मदद के लिए आवेदन करने वाले बच्चों की लिस्ट आईडीसी (इस्लामिक दावा सेंटर) को भेज रहा था. ATS मंत्रालय के इस अधिकारी से पूछताछ कर रही है.

पढ़ेंः AMU में पढ़ चुके भाई-बहन के धर्मांतरण के तार उमर गौतम से तो नहीं जुड़े ?

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नोएडा में धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद लगातार कई अहम खुलासे हो रहे हैं. पूछताछ में गिरोह के सदस्यों से कई अहम जानकारियां मिली हैं. धर्मांतरण में विश्वविद्यालय, मंत्रालय से लेकर एनजीओ तक अब जांच के दायरे में हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि धर्मांतरण का जाल किस कदर तक सरकारी महकमों में फैला हुआ है.

बता दें कि धर्मांतरण मामले में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद का नाम सामने आया है. मोहम्मद शाहिद पर कानपुर की एक युवती ऋचा देवी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा है. इसको लेकर यूपी एटीएस की टीम शाहिद से पूछताछ करती, उससे पहले ही शाहिद घर पर ताला लगाकर परिवार सहित फरार हो गया है. वहीं अब धर्मांतरण के तार केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़ गया है. धर्मांतरण मामले में हिन्दू से मुस्लिम बने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अफसर की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. यूपी एटीएस की टीम अफसर से पूछताछ कर रही है.

राज्य संरक्षण बाल आयोग सतर्क
धर्मांतरण मामले में हिन्दू से मुस्लिम बने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के इस अफसर की भूमिका सामने आने के बाद UP सरकार की योजना में धर्म परिवर्तन के सिंडिकेट की घुसपैठ का शक गहरा गया है. एहतियातन, राज्य संरक्षण बाल आयोग सतर्क हो गया है. बाल आयोग ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि अपने जिलों में संचालित अनाथ और बेसहारा बच्चों को पढ़ाने या उन्हें संरक्षण देने वाली सभी संस्थाओं की सूची तैयार करें. इनके कर्मचारियों का नाम, पता और मोबाइल नंबर भी सूची में दर्ज करें. सरकार के निर्देश पर योजना का लाभ देने के लिए जिन बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है. उनके अभिभावकों से लगातार संपर्क में रहकर बच्चों से बातचीत करते रहें, जो बच्चे अभी चिन्हित नहीं हो सके हैं, उनका जल्दी से जल्दी पता लगाएं.

शक की यह है वजह
उत्तर प्रदेश की सरकारी योजना में धर्मांतरण सिंडिकेट की घुसपैठ करने का शक इसलिए भी गहरा गया है, क्योंकि योगी सरकार की तरफ से कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों को संरक्षण देने की योजना शुरू की गई है. बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के बीच अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चों की जिम्मेदारी हमारी सरकार उठाएगी. ये बच्चे राज्य की संपत्ति हैं. कोविड के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का देहांत हो गया है, उनके भरण-पोषण सहित सभी तरह की जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी. इसके लिए सीएम योगी ने महिला एवं बाल विकास विभाग को इस संबंध में तत्काल विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे.

बाल संरक्षण आयोग के हाथ लगे ऑडियो कॉल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई इस घोषणा के कुछ दिन बाद ही बाल संरक्षण आयोग को पांच फोन कॉल (ऑडियो) मिले थे. इसमें कुछ लोग एनजीओ का सदस्य बनकर बच्चों को ऐसी संस्थाओं में ले जाने की बात कर रहे थे. इसकी जांच और कॉल करने वालों को पकड़ने के लिए आयोग ने डीजीपी को पत्र भेजा था, लेकिन अब तक पुलिस इन्हें पकड़ नहीं पाई है. वहीं अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी की भूमिका सामने आने के बाद माना जा रहा है कि कोई धर्म परिवर्तन कराने वाला गिरोह यूपी के बेसहारा बच्चों को निशाना बना रहा था.

ATS से साझा की जा रही महत्वपूर्ण जानकारी
राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता का कहना है कि धर्मांतरण के मामले को लेकर आयोग सतर्क है और बराबर मॉनिटरिंग की जा रही है. बच्चों के सुधार और सहयोग के क्षेत्र में काम करने वाली सभी संस्थाओं की जानकारी ATS से भी साझा की जा रही है. संस्थाओं और उनसे जुड़े बच्चों का पता लगाने के लिए सभी डीएम को पत्र भेजा गया है.

यह है मामला
दरअसल, UP ATS ने 21 जून को नोएडा से संचालित इस्लामिक दावा सेंटर के मौलाना उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया था. इन दोनों मौलानाओं से पूछताछ में यूपी एटीएस को धर्मांतरण कराने संबंधित कई अहम जानकारियां हाथ लगी थीं. ये दोनों मूक बधिर छात्र-छत्राओं और गरीब हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करके उन्हें मुस्लिम बना रहे थे. दोनों से पूछताछ में पता चला कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अनुवादक के पद पर तैनात अधिकारी सरकार से मदद के लिए आवेदन करने वाले बच्चों की लिस्ट आईडीसी (इस्लामिक दावा सेंटर) को भेज रहा था. ATS मंत्रालय के इस अधिकारी से पूछताछ कर रही है.

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