लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Poll 2022) की तैयारियों की समीक्षा के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम राजधानी लखनऊ दौरे पर है. विधान भवन के तिलक हॉल में उत्तर प्रदेश के शीर्ष अधिकारी- कमिश्नर, आईजी, डीएम, एसपी सहित शासन के शीर्ष अफसरों के साथ उच्च स्तरीय चुनाव तैयारी समीक्षा बैठक (2022 Assembly elections preparedness) की गई. गुरुवार देर शाम जिलाधिकारी पुलिस कप्तान और अन्य वरिष्ठ अफसरों की बैठक के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी सहित अन्य शासन के बड़े अधिकारियों के साथ भी बैठक की जाएगी. बता दें कि एक दिन पहले राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर चुनावी तैयारियों पर चर्चा की गई.
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों की समीक्षा (UP Assembly Election Preparation review) को लेकर हो रही बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा (ECI team led by CEC Sushil Chandra) कर रहे हैं. टीम में चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे सहित सभी बड़े अधिकारी मौजूद हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष पारदर्शी संपन्न कराने और कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से अनुपालन कराने को लेकर इस बैठक में सभी अधिकारियों से चर्चा हो रही है. आयोग की तरफ से दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं.
चुनाव आयोग के अफसरों की टीम उत्तर प्रदेश के सभी प्रशासनिक अफसरों के साथ बैठक आज शाम तक होगी और अलग-अलग चरणों में अलग-अलग बिंदुओं पर चुनावी तैयारियों की समीक्षा की जाएगी. अधिकारियों से यह फीडबैक लिया जाएगा. मतदाता सूची पुनरीक्षण दिव्यांग मतदाता, बुजुर्ग मतदाताओं को लेकर भी पूरा फीडबैक लिया जाएगा और आयुक्त स्तर पर उठाए जाने वाले कदमों को लेकर भी बातचीत की जाएगी.
राजनीतिक दलों से लिया फीडबैक
इससे पहले केंद्रीय चुनाव आयोग के अफसरों की टीम 28 दिसंबर को राजधानी लखनऊ पहुंची. आयोग के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर सुझाव लिए. राजनीतिक दलों ने निष्पक्ष पारदर्शी चुनाव कराने की मांग की.
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सरकारी पैसे का दुरुपयोग रोकने की मांग
कांग्रेस पार्टी की तरफ से उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी को हटाने की मांग की गई. वहीं भारतीय जनता पार्टी की तरफ से महिलाओं के वोट के शत-प्रतिशत सत्यापन की बात कही गई है. इसके अलावा कई और भी सुझाव दिए गए. इसके साथ ही सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग, राजनीतिक रैलियों में सरकारी पैसे का खर्च रोकने और भेदभाव पैदा करने वाले बयानबाजी पर अंकुश लगाने की भी मांग की गई.