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कोरोना जैसा दिखता है ऊंट कटारा, औषधीय गुणों से भरपूर है पौधा, बढ़ाता है इम्यूनिटी - Beneficial untkatara in corona

आयुर्वेद में ऊंट कटारा पौधे का औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इस औषधीय पौधा का फूल देखने में कोरोना वायरस जैसा दिखता है. आयुर्वेद विशेषज्ञों की मानें तो इस औषधी के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो कोरोना वायरस से लड़ने में शक्ति प्रदान करती है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर..

ऊंट कटारा,
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Published : Apr 24, 2021, 4:20 AM IST

भरतपुर : ऊंटकटारा एक जंगली पौधा है लेकिन आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल दवा के तौर पर वर्षों से किया जाता रहा है. क्या कोरोना वायरस जैसा दिखने वाला यह पौधा कोरोना से लड़ने में सक्षम है, इसी सवाल का जवाब पाने के लिए हमने बात की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. चंद्रप्रकाश दीक्षित से...

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ चंद्रप्रकाश दीक्षित ने बताया कि ऊंट कटारा पौधे को उत्कंटक भी कहा जाता है. वानस्पतिक भाषा में इसे एकीनॉप्स एकीनेटस के नाम से जाना जाता है. यह पौधा पश्चिमी राजस्थान के रेतीले क्षेत्रों में पाया जाता है. इस पौधे की ऊंचाई करीब दो से चार फीट तक होती है. इसके पत्तों में भी कांटे होते हैं. गर्मियों के दिनों में यह पौधा काफी अधिक मात्रा में देखा जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट..

एकीनॉप्स एकीनेटस के औषधीय गुण
डॉ दीक्षित ने बताया कि यह पौधा तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है. यदि इसके पंचामृत का सेवन किया जाए तो इससे श्वसन तंत्र मजबूत होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह पौधा एंटीबायोटिक और एंटीफंगल होता है. यदि इस पौधे का औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाए तो कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से न केवल लड़ने की शक्ति मिलेगी बल्कि उससे सुरक्षा भी मिल सकती है.

ऐसे कर सकते हैं सेवन
डॉ दीक्षित ने बताया कि ऊंट कटारा की जड़ों का इस्तेमाल अधिक किया जाता है. लेकिन इसके पंचामृत यानी पूरे पौधे का उपयोग भी फायदेमंद साबित होता है. पंचामृत का मतलब पौधे की जड़, तना, पत्ती, फूल और फल इन सभी को मिश्रित रूप से इस्तेमाल किया जाता है. इस पौधे की पंचामृत को लेकर उसको गीला या फिर सूखा दोनों तरीके से बराबर मात्रा में कूट कर रख लें.

उसके बाद एक गिलास पानी में एक चम्मच पंचामृत मिला लें और उस पानी को तब तक उबालें जब तक वह एक कप के बराबर न रह जाए. उबालने के बाद बचे उस एक कप औषधीय पानी का सुबह के वक्त सेवन करें. इससे श्वसन तंत्र मजबूत होगा, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. इससे कोरोना जैसी घातक बीमारी से लड़ने की शक्ति मिलेगी.

औषधि, फल और शरीर के अंग
डॉक्टर चंद्र प्रकाश दीक्षित ने बताया कि प्रकृति ने कुछ औषधि और फलों की रचना इस प्रकार की है कि उनके आकार का मेल शरीर के अंगों से मिलता है. इतना ही नहीं उनके सेवन करने से शरीर के उसी अंग और उसकी बीमारी पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि उदाहरण के रूप में अखरोट का आकार देखने में मस्तिष्क जैसा लगता है. इसका सेवन मस्तिष्क के लिए लाभकारी होता है. इसी तरह गोखरू का आकार किडनी और वृक्क से मिलता है. इसके सेवन से किडनी की बीमारियों में राहत मिलती है.

गौरतलब है कि भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. हर दिन हजारों लाखों लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में दावा किया जा रहा है कि ऊंट कटारा जैसी औषधि का सेवन लोगों के लिए इस बीमारी से सुरक्षा में मददगार साबित हो सकता है.

भरतपुर : ऊंटकटारा एक जंगली पौधा है लेकिन आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल दवा के तौर पर वर्षों से किया जाता रहा है. क्या कोरोना वायरस जैसा दिखने वाला यह पौधा कोरोना से लड़ने में सक्षम है, इसी सवाल का जवाब पाने के लिए हमने बात की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. चंद्रप्रकाश दीक्षित से...

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ चंद्रप्रकाश दीक्षित ने बताया कि ऊंट कटारा पौधे को उत्कंटक भी कहा जाता है. वानस्पतिक भाषा में इसे एकीनॉप्स एकीनेटस के नाम से जाना जाता है. यह पौधा पश्चिमी राजस्थान के रेतीले क्षेत्रों में पाया जाता है. इस पौधे की ऊंचाई करीब दो से चार फीट तक होती है. इसके पत्तों में भी कांटे होते हैं. गर्मियों के दिनों में यह पौधा काफी अधिक मात्रा में देखा जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट..

एकीनॉप्स एकीनेटस के औषधीय गुण
डॉ दीक्षित ने बताया कि यह पौधा तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है. यदि इसके पंचामृत का सेवन किया जाए तो इससे श्वसन तंत्र मजबूत होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह पौधा एंटीबायोटिक और एंटीफंगल होता है. यदि इस पौधे का औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाए तो कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से न केवल लड़ने की शक्ति मिलेगी बल्कि उससे सुरक्षा भी मिल सकती है.

ऐसे कर सकते हैं सेवन
डॉ दीक्षित ने बताया कि ऊंट कटारा की जड़ों का इस्तेमाल अधिक किया जाता है. लेकिन इसके पंचामृत यानी पूरे पौधे का उपयोग भी फायदेमंद साबित होता है. पंचामृत का मतलब पौधे की जड़, तना, पत्ती, फूल और फल इन सभी को मिश्रित रूप से इस्तेमाल किया जाता है. इस पौधे की पंचामृत को लेकर उसको गीला या फिर सूखा दोनों तरीके से बराबर मात्रा में कूट कर रख लें.

उसके बाद एक गिलास पानी में एक चम्मच पंचामृत मिला लें और उस पानी को तब तक उबालें जब तक वह एक कप के बराबर न रह जाए. उबालने के बाद बचे उस एक कप औषधीय पानी का सुबह के वक्त सेवन करें. इससे श्वसन तंत्र मजबूत होगा, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. इससे कोरोना जैसी घातक बीमारी से लड़ने की शक्ति मिलेगी.

औषधि, फल और शरीर के अंग
डॉक्टर चंद्र प्रकाश दीक्षित ने बताया कि प्रकृति ने कुछ औषधि और फलों की रचना इस प्रकार की है कि उनके आकार का मेल शरीर के अंगों से मिलता है. इतना ही नहीं उनके सेवन करने से शरीर के उसी अंग और उसकी बीमारी पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि उदाहरण के रूप में अखरोट का आकार देखने में मस्तिष्क जैसा लगता है. इसका सेवन मस्तिष्क के लिए लाभकारी होता है. इसी तरह गोखरू का आकार किडनी और वृक्क से मिलता है. इसके सेवन से किडनी की बीमारियों में राहत मिलती है.

गौरतलब है कि भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. हर दिन हजारों लाखों लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में दावा किया जा रहा है कि ऊंट कटारा जैसी औषधि का सेवन लोगों के लिए इस बीमारी से सुरक्षा में मददगार साबित हो सकता है.

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