नई दिल्ली: जय जवान, जय किसान का नारा इस बैरिकेडिंग के आगे अधूरा हो गया है. बॉर्डर के एक तरफ जवान और दूसरी तरफ किसान पूरी मुस्तैदी से डटे हैं. जहां जवान मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं तो वहीं किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं.
किसानों के मुकम्मल इंतजाम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बॉर्डर पर ही खाना, सोना और प्रार्थना हो रही है. सुबह उठते ही ईश्वर की प्रार्थना और फिर लंगर का आयोजन, किसानों के इस आंदोलन को अलग अंदाज दे रहा है.
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बीते 15 दिनों से दिल्ली की पंजाब-हरियाणा समेत अलग-अलग राज्यों से आए किसान दिल्ली की सीमाओं को पूरी तैयारी के साथ घेरे हुए हैं. ऐसे में किसानों और जवानों की मुस्तैदी के बीच इंतजार है तो सरकार की रुख का, जिसके फैसले पर इस आंदोलन का भविष्य टिका है.