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अनोखा प्रेम, पत्नी की याद में पति ने बनवाया मंदिर, मूर्ति स्थापित कर सुबह-शाम करते हैं पूजा - फतेहपुर न्यूज

फतेहपुर में एक व्यक्ति की पत्नी की कोरोना काल में मौत हो गई. वह पत्नी से बेइंतहा प्यार करता था. पत्नी की याद में उसने खेत में मंदिर (Husband built temple memory of wife) का निर्माण कराया. इसमें पत्नी की मूर्ति स्थापित कर सुबह-शाम पूजा करता है.

Husband built temple memory of wif
Husband built temple memory of wif
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Published : Aug 7, 2023, 4:15 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 4:28 PM IST

फतेहपुर में पति ने पत्नी की याद में बनवाया मंदिर.

फतेहपुर : शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में आगरा में ताजमहल बनवा दिया था. इसी तरह का मामला जिले में भी सामने आया है. कोरोना काल में पत्नी की मौत होने के बाद पति गुमसुम रहने लगा. पत्नी उसे बहुत प्यार करती थी. वह भी पत्नी को शिद्दत से चाहते थे. पत्नी के दुनिया छोड़ जाने के बाद वह हर वक्त उसकी यादों में डूबे रहने लगे. उन्होंने खुद को व्यस्त रख पत्नी को भुलाने की भरसक कोशिश भी की, लेकिन नाकाम रहे. इसके बाद उन्होंने पत्नी की याद में घर से दो किलोमीटर की दूरी पर खेत में मंदिर का निर्माण कराया. उसमें पत्नी की मूर्ति स्थापित करवा दी. इसके बाद सुबह और शाम पूजा करने लगे.

कोराना काल में हुई थी पत्नी की मौत : पत्नी के प्रति प्यार और समर्पण की ये कहानी है बकेवर इलाके के पधारा गांव की. यहां के रहने वाले राम सेवक रैदास अमीन थे. अब वह रिटायर हो चुके हैं. उनकी शादी 18 मई 1977 में रूपा के साथ हुई थी. उनके 5 बच्चे हैं. इनमें 3 लड़के और 2 बेटियां हैं. राम सेवक ने बताया कि 'रूपा में बहुत सारी खूबियां थीं. वह पूरी तरह पतिव्रता स्त्री थी. मेरी सेवा को ही वह अपना धर्म समझती थी. जीवन में कई दर्दभरे पड़ाव भी आए, लेकिन वह न तो खुद निराश हुई और न ही मुझे फिक्र में डूबने दिया. वह साये की तरह मेरे साथ रहती थी. मुझे कोई काम नहीं करने देती थी. आफिस से घर लौटने के बाद जब तक मैं खा न लूं, वह अपने मुंह में एक निवाला तक नहीं डालती थी. जब तक वह साथ रही, हमेशा परिवार में खुशियां रहीं. कोरोना काल में 18 मई 2020 को रूपा मुझे छोड़कर चली गई. उसके जाने के बाद मैं बेचैन हो गया, जहां भी जाता, हमेशा रूपी की यादें मेरे साथ रहती थींं'.

हर वक्त होता है पत्नी के साथ होने का अहसास.
हर वक्त होता है पत्नी के साथ होने का अहसास.

पत्नी की यादों में गुजार दूंगा जीवन : राम सेवक ने बताया कि काफी प्रयास के बाद भी जब रूपा को नहीं भुला पाया तो उसकी याद में एक मंदिर बनाने का ख्याल आया. इसके बाद घर से दो किलोमीटर की दूरी पर मंदिर का निर्माण कराया. इसमें रूपा की मूर्ति भी स्थापित करा दी. इसके बाद सुबह और शाम जाकर पूजा करने लगा. इसी मंदिर में रहने भी लगा. पहले तो ग्रामीण मजाक उड़ाते थे, लेकिन अब सब सामान्य हो गया है. राम सेवक ने बताया कि 'मंदिर में पूजा करने से पत्नी के साथ होने का आभास होता है. मन को शांति मिलती है, पत्नी भले ही नजरों से दूर दूसरी दुनिया में है, लेकिन आज भी उसके होने का अहसास हर वक्त होता है. रूपा की याद में मंदिर बनवाकर मैं काफी खुश हूं. मैं हर साल मंदिर का स्थापना दिवस भी मनाता हूं. नवंबर में भंडारा भी कराता हूं. रूपा ही मेरे लिए सबकुछ थी, उसकी यादों में ही पूरा जीवन गुजारना चाहता हूं.

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फतेहपुर में पति ने पत्नी की याद में बनवाया मंदिर.

फतेहपुर : शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में आगरा में ताजमहल बनवा दिया था. इसी तरह का मामला जिले में भी सामने आया है. कोरोना काल में पत्नी की मौत होने के बाद पति गुमसुम रहने लगा. पत्नी उसे बहुत प्यार करती थी. वह भी पत्नी को शिद्दत से चाहते थे. पत्नी के दुनिया छोड़ जाने के बाद वह हर वक्त उसकी यादों में डूबे रहने लगे. उन्होंने खुद को व्यस्त रख पत्नी को भुलाने की भरसक कोशिश भी की, लेकिन नाकाम रहे. इसके बाद उन्होंने पत्नी की याद में घर से दो किलोमीटर की दूरी पर खेत में मंदिर का निर्माण कराया. उसमें पत्नी की मूर्ति स्थापित करवा दी. इसके बाद सुबह और शाम पूजा करने लगे.

कोराना काल में हुई थी पत्नी की मौत : पत्नी के प्रति प्यार और समर्पण की ये कहानी है बकेवर इलाके के पधारा गांव की. यहां के रहने वाले राम सेवक रैदास अमीन थे. अब वह रिटायर हो चुके हैं. उनकी शादी 18 मई 1977 में रूपा के साथ हुई थी. उनके 5 बच्चे हैं. इनमें 3 लड़के और 2 बेटियां हैं. राम सेवक ने बताया कि 'रूपा में बहुत सारी खूबियां थीं. वह पूरी तरह पतिव्रता स्त्री थी. मेरी सेवा को ही वह अपना धर्म समझती थी. जीवन में कई दर्दभरे पड़ाव भी आए, लेकिन वह न तो खुद निराश हुई और न ही मुझे फिक्र में डूबने दिया. वह साये की तरह मेरे साथ रहती थी. मुझे कोई काम नहीं करने देती थी. आफिस से घर लौटने के बाद जब तक मैं खा न लूं, वह अपने मुंह में एक निवाला तक नहीं डालती थी. जब तक वह साथ रही, हमेशा परिवार में खुशियां रहीं. कोरोना काल में 18 मई 2020 को रूपा मुझे छोड़कर चली गई. उसके जाने के बाद मैं बेचैन हो गया, जहां भी जाता, हमेशा रूपी की यादें मेरे साथ रहती थींं'.

हर वक्त होता है पत्नी के साथ होने का अहसास.
हर वक्त होता है पत्नी के साथ होने का अहसास.

पत्नी की यादों में गुजार दूंगा जीवन : राम सेवक ने बताया कि काफी प्रयास के बाद भी जब रूपा को नहीं भुला पाया तो उसकी याद में एक मंदिर बनाने का ख्याल आया. इसके बाद घर से दो किलोमीटर की दूरी पर मंदिर का निर्माण कराया. इसमें रूपा की मूर्ति भी स्थापित करा दी. इसके बाद सुबह और शाम जाकर पूजा करने लगा. इसी मंदिर में रहने भी लगा. पहले तो ग्रामीण मजाक उड़ाते थे, लेकिन अब सब सामान्य हो गया है. राम सेवक ने बताया कि 'मंदिर में पूजा करने से पत्नी के साथ होने का आभास होता है. मन को शांति मिलती है, पत्नी भले ही नजरों से दूर दूसरी दुनिया में है, लेकिन आज भी उसके होने का अहसास हर वक्त होता है. रूपा की याद में मंदिर बनवाकर मैं काफी खुश हूं. मैं हर साल मंदिर का स्थापना दिवस भी मनाता हूं. नवंबर में भंडारा भी कराता हूं. रूपा ही मेरे लिए सबकुछ थी, उसकी यादों में ही पूरा जीवन गुजारना चाहता हूं.

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Last Updated : Aug 7, 2023, 4:28 PM IST
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